- न्यू ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया चली, फिर बैकफुट पर क्यों आया मेडा
- जहां न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बनना था, वहां बन गई अवैध कॉलोनी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मास्टर प्लान 2021 में शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ट्रांसपोर्ट नगर को बाहर भेजने का प्लान बना था। इसके लिए मेडा ने बागपत रोड पर जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया भी की थी। धरा (5)और (6)की कार्रवाई भी कर दी थी। जमीन अधिग्रहण करने के लिए बीस करोड़ रुपये भी मेडा ने प्रशासन को दे दिये थे, लेकिन अचानक मेडा पीछे हट गया। ट्रांसपोर्ट नगर में बड़े ट्रकों का आवागमन होता हैं, जिससे लोगों को हर रोज जाम का सामना करना पड़ रहा हैं।
जाम से बड़ी दिक्कत शहर के लोगों को हो रही हैं, लेकिन प्राधिकरण की तरफ से इस दिशा में कोई पहल अब नहीं हो रही हैं। जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया गया हैं। सिर्फ और सिर्फ प्राधिकरण का बुलडोजर चल रहा हैं, विकास की कोई बात नहीं हो रही हैं। अभी तक नहीं तो शहर के लिए न्यू ट्रांसपोर्ट नगर बसा है और नहीं रोडवेज बस डिपो को शिफ्ट किया गया हैं। इस तरह से जनप्रतिनिधि भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
देखिये जहां पर न्यू ट्रांसपोर्ट नगर विकसित किया जाना था, वहां पर अवैध कॉलोनी एक वर्ष के भीतर विकसित कर दी गई। इसमें मकान बना दिये गए। ये अवैध कॉलोनी एक साल में बनती चली गई। इंजीनियरों को प्राधिकरण के अफसर अदला-बदली करते रहे और अवैध कॉलानियां अपना विस्तार लेती रही। न्यू ट्रांसपोर्ट नगर की जिस भूमि को अधिग्रहण प्रक्रिया में लगाया गया, वहां पर अवैध कॉलोनी कैसे बन गई? इसको कोई पूछने वाला नहीं हैं।
प्राधिकरण के अफसर भी इस तरफ से आंखें बंद किये हुए हैं। यही नहीं, बीस वर्ष पहले बागपत बाइपास पर रोडवेज बस डिपो शिफ्ट करने के लिए जमीन का मास्टर प्लान में भूमि चिन्हित की गई थी। लंबे अरसे तक ये जमीन इस तरह से खाली पड़ी रही, लेकिन अब यहां भी दो वर्ष के भीतर अवैध कॉलोनी विकसित कर दी गई। आखिर प्राधिकरण के इंजीनियरों की निगाहबानी कैसी हो रही हैं, जो उन्हें ये भी पता नहीं चल रहा है कि यहां पर अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही हैं।
इसको रुकवाया तक नहीं गया। महत्वपूर्ण बात ये है कि शहर के लिए सबसे पहले रोडवेज बस डिपो को शिफ्ट किया जाना चाहिए। ट्रांसपोर्ट नगर भी शहर से बाहर जाना चाहिए, इस पर अधिकारी ईमानदार तरीके से विचार करें और जनता को राहत देने की दिशा में कदम बढ़ाये, लेकिन अफसरों की सेहत पर असर नहीं पड़ता। जनता हर रोज जाम से जूझती रहे, उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
मास्टर प्लान में ये दोनों प्रोजेक्ट 2021 में रखे गए थे। 2021 तो बीत गया और 2031 मास्टर प्लान में फिर से इनको रख दिया गया हैं। अब भगवान ही मालिक है कि 2031 तक न्यू ट्रांसपोर्ट नगर और रोडवेज डिपो को शहर से बाहर कर दिया जाएगा, इस पर कम ही विश्वास हो रहा हैं।