10 मई को कर्नाटक की 224 सीटों पर मतदान होगा और 13 मई को नतीजे आएंगे। भारत में कर्नाटक राजनीतिक नाटक का सबसे बड़ा और पुराना गढ़ रहा है। यहां कांग्रेस और भाजपा में लगातार नाटक होते रहते है। कभी भाजपा कांग्रेस का खेल बिगाड़ती है तो कभी कांग्रेस भाजपा का। कभी भाजपा के येदुरप्पा बागी हो जाते हैं तो कभी कांग्रेस में बगावत होती है। कभी कोई संन्यासी हो जाता है तो कभी कोई। दलबदलुओं का पुराना आश्रय स्थल रहा है कर्नाटक, इसलिए कर्नाटक विधानसभा के चुनाव हमेशा की तरह रोचक होंगे। यहां के सियासी ऊंट पर कभी कोई भरोसा नहीं किया जाता, क्योंकि वो कभी भी,कोई भी करवट ले सकता है। कर्नाटक की 224 सदस्यों वाली विधानसभा के भावी चुनावों को लेकर एक सर्वे में कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है। सर्वे के अनुसार, कांग्रेस की 115-127 सीटें और कुल वोट शेयर का 40.1 फीसदी हासिल करने की संभावना है।
भाजपा को 34.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 68-80 सीटें मिलती दिख रही हैं जबकि जेडीएस को 17.9 फीसदी के वोट शेयर के साथ 23-35 सीटें मिलने का अनुमान है। अन्य दलों को 7.3 फीसदी वोट शेयर और 0-2 सीटें मिलने की उम्मीद है।
दरअसल कर्नाटक विधानसभा में असल की राजनीतिक लड़ाई दो दलों के बीच में है।
पांच अप्रैल को कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद राहुल गांधी कोलेरा में पांच अप्रैल को जनसभा को संबोधित करेंगे। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का गृह राज्य है। इसलिए इस बार खरगे की नैतिक जिम्मेदारी भी काफी बढ़ गई है। राहुल गांधी के सचिवालय के सू्त्र बताते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सफलता पाने के लिए पार्टी ने पूरा जोर लगाया है।
वहां चुनाव प्रचार में प्रियंका गांधी भी जाएंगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या समेत अन्य पिछले 15 दिन से कभी भी चुनाव की तारीखों के एलान होने का इंतजार कर रहे थे। उडुड्पी से ताल्लुक रखने वाले कर्नाटक कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि लोग समीकरण चाहें जो बनाएं या बिगाड़ें, हवा कांग्रेस के पक्ष में है।
भाजपा के कई नेता कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और कई शामिल होने के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई खुद इस तरह के हालात को लेकर आशंकित हैं। यह राज्य में भाजपा की सरकार से जनता की निराशा का सबसे बड़ा सबूत है। कर्नाटक के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 38 प्रतिशत वोट शेयर मिला था।
सर्वे के अनुसार इस बार कांग्रेस के वोट शेयर में 2 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है। भाजपा को पिछले चुनाव में 36 प्रतिशत वोट शेयर मिला था जोकि इस बार 1.3 फीसदी कम होता दिख रहा है। जेडीएस को पिछली बार 18 प्रतिशत वोट शेयर मिला था जिसमें इस बार मामूली गिरावट की संभावना है।
ये गिरावट सर्वेयरों को ही नजर आती है, राजनीतिक दलों को नहीं कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव के लिए अयोग्य ठहराए जाने की घटना से ज्यादा राज्य सरकार का कामकाज नतीजों को प्रभावित करने वाला है। कनार्टक की मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर ज्यादातर लोग मौजूदा सरकार से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।
करीब 50 प्रतिशत लोगों ने सरकार का कामकाज खराब बताया। 28 प्रतिशत ने सरकार के काम को अच्छा बताया और 22 प्रतिशत ने इसे औसत माना। यानि सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी लहर ही निर्णायक होगी बशर्ते कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करुण पुकार कोई जादू न करे तो।
विधानसभा चुनावों में हमेशा स्थानीय मुद्दे ही ज्यादा प्रभावी होते है। इस बार भी होंगे, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कोरोना, बिजली, पानी जैसे मुद्दे। कर्नाटक में बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। बिजली, सड़क और पानी के मुद्दे भी चुनावों को प्रभावित करने वाले हैं। कर्नाटक में भाजपा को अपने नेता पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर बड़ा भरोसा है। प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अपने विश्वसनीयों में गिनते हैं।
येदियुरप्पा के नेतृत्व में ही पार्टी ने कर्नाटक में पहली बार कमल खिलाया था। लिंगायत समुदाय का येदियुरप्पा को समर्थन हासिल है। मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई और येदियुरप्पा समानांतर रणनीति पर काम करके सरकार में वापसी की तस्वीर बनाने में जुटे हैं।
दिल्ली से केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, मनसुख मंडाविया समेत तमाम नेता लगातार सक्रिय हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद कर्नाटक में हर डेवलपमेंट पर बारीक नजर रखकर चल रहे हैं। दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित भाजपा मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि मौजूदा समय में जेपी नड्डा के पास कर्नाटक में भाजपा की वापसी का लक्ष्य ही मिशन मोड पर है।
बताते चलें कि संगठन मंत्री बीएल संतोष भी कर्नाटक से हैं। येदियुरप्पा से समीकरण बहुत अनुकूल नहीं है, लेकिन तमाम स्थितियों को साधकर भाजपा के रणनीतिकार फिलहाल राज्य पर ही फोकस कर रहे हैं। कर्नाटक से आने वाले एक सांसद बताते हैं कि राज्य की 63 सीटें ऐसी हैं, जहां हमें कभी सफलता नहीं मिली है। लेकिन 2023 में इन 63 सीटों पर तस्वीर बदली हुई दिखाई देने की पूरी उम्मीद है।
मोदी के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू कर्नाटक के लोगों पर सिर चढ़कर बोलता है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने चुनावों की तारीख की घोषणा होने के बाद प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ की मांग कर दी। अब जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी, बहुत कुछ राजनीतिक समीकरण में बदलाव आ सकता है।
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