नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। ओडिशा के पुरी में हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा देश-विदेश में आस्था, भव्यता और अद्वितीय परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यह पावन यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा की रथों पर सवार होकर मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक के आगमन की परंपरा को निभाती है। लाखों श्रद्धालु इस महायात्रा में भाग लेते हैं और रथों को खींचने का सौभाग्य पाकर स्वयं को धन्य मानते हैं। इस अवसर पर चेरा पूजा, रथ खींचने की रस्म, और पवित्र स्नान जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान होते हैं, जो इस त्योहार को विशिष्ट बनाते हैं।
इन परंपराओं में से एक सबसे महत्वपूर्ण और दिलचस्प रिवाज है यात्रा से पहले किए जाने वाला सफाई का अनुष्ठान, जिसमें सोने के हत्थे वाली झाड़ू से रास्ते की सफाई की जाती है। यह झाड़ू केवल राजाओं के वंशजों के हाथों ही चलती है और इसका विशेष धार्मिक महत्व है। माना जाता है कि इस झाड़ू से सफाई करके भक्त अपनी भक्ति और आभार व्यक्त करते हैं और भगवान के रास्ते को पवित्र और साफ-सुथरा बनाते हैं ताकि यात्रा सफल और मंगलमय हो। यह परंपरा जगन्नाथ रथ यात्रा की खास पहचान बन चुकी है और इसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
सोने की झाड़ू से सफाई
जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले सोने की झाड़ू से सफाई करने के बाद वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है। यह अनुष्ठान रथ यात्रा की शुरुआत का संकेत होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोना एक पवित्र धातु है, जिसका इस्तेमाल भगवानों और देवी-देवताओं की पूजा में किया जाता है। सोने की झाड़ू से सफाई करके यात्रा के मार्ग को पवित्र किया जाता है ताकि भगवान के स्वागत के लिए रास्ता तैयार रहे। यह प्रक्रिया यह भी दर्शाती है कि भक्त अपनी तरफ से भगवान को सर्वश्रेष्ठ अर्पित करने की इच्छा रखते हैं।
धार्मिक महत्व
सोने की झाड़ू से सफाई करने का धार्मिक कारण यह है कि सोना शुभता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इसे उपयोग में लाकर मंदिर के रास्ते को साफ करना भगवान के प्रति सम्मान और भक्ति का प्रतीक होता है। यह दर्शाता है कि भगवान के लिए हर चीज सबसे उत्तम होनी चाहिए। इसलिए यह अनुष्ठान भक्तों की श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करता है।
सकारात्मक ऊर्जा
सोने की झाड़ू से सफाई करने से उस क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। सोना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है, इसलिए इसे लगाने से माहौल में पवित्रता और सकारात्मकता बनी रहती है। यह न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है, जो पूरे आयोजन की भव्यता और उल्लास को बढ़ाता है।
सांस्कृतिक
सोने की झाड़ू का इस्तेमाल जगन्नाथ रथ यात्रा की भव्यता और राजसी स्वरूप को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह रथ यात्रा के गौरव और इतिहास को भी दर्शाती है। इस अनुष्ठान को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं, जो इस त्योहार की खास पहचान बन चुका है। इस प्रकार, सोने की झाड़ू से सफाई का अनुष्ठान जगन्नाथ रथ यात्रा के पवित्र और भव्य आयोजन का एक अभिन्न हिस्सा है।