Monday, July 1, 2024
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सांप्रदायिक ताकतों से मिल कर लड़ना होगा

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40वर्तमान दौर में सांप्रदायिक ताकतें तरह-तरह के रूप बदलकर, किसानों, नौजवानों, मजदूरों की और भारतीय जनता की एकता को तोड़ने में लगी हुई हैं। हमारे देश का संविधान चार सिद्धांतों- प्रजातंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और गणतंत्र पर आधारित है। ये चारों सिद्धांत एक दूसरे के साथ एक कड़ी में बंधे हुए हैं। संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर ने अपने कई भाषणों और लेखों में इस सच्चाई का खुलासा किया था कि बिना धर्मनिरपेक्षता और राजनीति से धर्म को अलग किए बिना प्रजातंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती।

यह बात सही है कि पूंजीवादी प्रणाली के चलते इन चारों सिद्धांतों को कमजोर करने की लगातार कोशिश शासक वर्गों की तरफ से होती रही है। लेकिन यह भी सही है कि इनको मजबूत बनाए रखने का संघर्ष भी लगातार जारी है।

पिछले नौ वर्षों में निश्चित तौर पर जनतांत्रिक संस्थाओं, हिंदू मुस्लिम एकता और परंपराओं पर क्रूर हमले हुए हैं। अधिकांश नागरिक आर्थिक और सामाजिक व राजनीतिक गैर बराबरी के शिकार हैं। महिलाएं, दलित, आदिवासी, पिछड़े और गरीब इन बढ़ती असमानताओं और अभाव का शिकार बनाकर, उन्हें संवैधानिक अधिकारों से लगातार वंचित किया जा रहा है।

इस सरकार ने भारत की जनता का कल्याण करने वाले संवैधानिक हितों और अधिकारों को लगभग मिट्टी में मिला दिया है। सबसे कठोर हमला धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर किया जा रहा है। धर्मनिरपेक्ष संस्थाओं के मूल अधिकारों को समाप्त करने की मुहिम सरकार की ओर से चलाई जा रही है।

गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी, अत्याचार, गुंडागर्दी और हिंसा, जनता के जनजीवन को बुरी तरह से घेरे हुए है। जनता के गुस्से से बचने के लिए और असंतोष को दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इस्तेमाल से ही सरकार ने जनता के एक बड़े हिस्से को अपने पक्ष में करने की रणनीति अपनाई है। सन 2021 में केवल जनवरी से अक्टूबर तक प्रदेश में ईसाइयों के खिलाफ 66 हमले हो चुके हैं।

उन्हें हैंड पंप से पानी लेने से रोका जा रहा है, प्रार्थना करने से रोका जा रहा है, धर्मांतरण करने का इल्जाम लगाकर उन पर हमला किया जा रहा है, ननों को बुरी तरह से पीटा गया है। जब ईसाइयों के साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा है तो मुसलमानों के प्रति इन हिंदुत्ववादी ताकतों का क्या रुख होगा? उनकी संख्या प्रदेश की कुल आबादी की 15 फीसद है और पिछले सात वर्षों में उनके खिलाफ अनगिनत हमले हुए हैं।

गाय के सवाल को लेकर उनकी हत्याएं हुई हैं, उनको घायल किया गया है, उन्हें जेलों में ठूंसा गया है। यही नहीं, इसी मुद्दे को इस्तेमाल करके उनकी जीविका को छीनने का काम भी बड़े पैमाने पर हुआ है, धर्मांतरण, लव-जिहाद और अंतर धार्मिक विवाह के मुद्दे उठाकर, उनके साथ अन्याय और अत्याचार किया जा रहा है। यहां तक कि उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जा रहा है। उत्तराखंड में यही कहानी दोहराई जा रही है।

हिंदुत्ववादी ताकतें हिंदू मुस्लिम एकता तोड़ने के काम में लगी हुई हैं। ये ताकतें आज भी जनता को लूटने के अभियान में लगी हुई हैं और भारतीय संविधान के आदर्शों को छोड़कर और तोड़कर, मनुवादी संस्कृति कायम करने में लगी हुई हैं। वर्तमान समय में भारत के बहुसंख्यक संप्रदाय का यह कर्तव्य और फर्ज बन जाता है कि सांप्रदायिक ताकतों के मंसूबों को परास्त करने के लिए, हिंदू मुस्लिम एकता जरूरी है और अल्पसंख्यकों और दलितों के हितों और अधिकारों की रक्षा करने का काम सिर्फ और सिर्फ बहुसंख्यक समुदाय का रह गया है।

सरकार इस बारे में कोई मदद नहीं करेगी, क्योंकि यह सरकार किसानों मजदूरों की नहीं है। केवल किसानों मजदूरों की सरकार और जनता, किसान और मजदूर ही एकजुट होकर, देश को बचा सकते हैं। हिंदू-मुस्लिम एकता कायम रखने के लिए सांप्रदायिक ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे झूठे इतिहास और नफरत का मुकाबला करना पड़ेगा। इस विषय में इतिहास हमारी बहुत मदद कर सकता है। यहीं पर महान क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल और महान क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खान को याद करना बहुत जरूरी है।

फांसी के तख्ते पर चढ़ने से पहले, इन दोनों महान क्रांतिकारियों ने भारत की जनता को एक संदेश दिया था, एक अपील की थी और उस अपील में और उस संदेश में इन दोनों महान क्रांतिकारियों ने कहा था कि ‘हमारे लिए सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि भारत की जनता, जैसे भी हो आपस में हिंदू मुस्लिम एकता बनाए रखें।’ क्रांतिकारियों के इस महान संदेश को और दूसरे हिंदू-मुस्लिम हीरे मोतियों की साझी संस्कृति और गंगा जमुनी तहजीब की कहानियों को लेकर हमें जनता के बीच जाना होगा और उन्हें इन साम्प्रदायिक सद्भाव के संदेशों के बारे में जानकारी देनी होगी। हमें यकीन है कि भारत की जनता इस संदेश को सुनकर हिंदू मुस्लिम एकता को कायम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।

यहां पर हमें एक बात और कहनी है। वह यह कि मुसलमानों का एक धड़ा मुस्लिम राष्ट्र की मांग को लेकर हिंसा, हत्या और आतंकवादी कार्रवाइयां करके हिंदुत्ववादी गिरोह की मदद करता रहता है, क्योंकि सब तरह की सांप्रदायिक ताकतें मिलकर, एक दूसरे की मदद करती हैं और जनता की और देश की एकता और अखंडता के खिलाफ काम करती हैं। हमें जनता के बीच इनकी भी कड़ी आलोचना करनी होगी और उसे बताना होगा कि ये दोनों ताकतें, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हम सबको इनसे भी सचेत रहना होगा।


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