- रफ्तार में रैपिड रेल: दोनों स्टेशनों के बीच आखिरी वायाडक्ट स्पैन भी स्थापित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रैपिड जिस रफ्तार से दौड़ेगी उसी रफ्तार से रैपिड का काम भी जारी है। ट्रायल रन के रूप में मेरठ साउथ तक पहुंच चुकी रैपिड अब शताब्दी नगर की ओर बढ़ चली है। सोमवार को मेरठ साउथ और शताब्दी नगर के बीच आखिरी वायाडक्ट स्पैन भी सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया। अब साहिबाबाद से शताब्दी नगर तक लगभग 48 किमी वायाडक्ट तैयार हो चुका है।
इस सेक्शन का यह आखिरी स्पैन दिल्ली मेरठ एक्स्प्रेस वे को पार करने के बाद थोड़ा सा आगे मेरठ की दिशा में स्थापित किया गया है। मेरठ साउथ से शताब्दी नगर तक इस सेक्शन की कुल लम्बाई लगभग छह किमी है। अब इस सेक्शन पर शीघ्र ही ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
इस सेक्शन में मेरठ साउथ स्टेशन के आगे परतापुर, रिठानी और शताब्दी नगर स्टेशन हैं और यह तीनों स्टेशन तेजी से आकार ले रहे हैं। इन तीनों स्टेशनों के कॉनकोर्स और प्लेटफॉर्म लेवल की स्लैब कास्टिंग पूरी हो चुकी है और फिनिशिंग का काम तेजी से किया जा रहा है।
सोमवार को वायाडक्ट स्पैन के स्थापित होने के बाद रैपिड ने मेरठ तक दौड़ में एक कदम और आगे बढ़ा लिया है। उधर, परतापुर, रिठानी एवं शताब्दी नगर स्टेशनों पर तकनीकी उपकरण कक्षों का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इन स्टेशनों में सड़क के दोनों ओर प्रवेश और निकास द्वार का काम भी तेजी से जारी है।
इसके अलावा एक लेवल से दूसरे लेवल तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों के साथ साथ लिफ्ट और एस्केलेटर लगाए जा रहे हैं। यहां यह भी गौरतलब है कि हाल ही में मेरठ में आरआरटीएस कॉरिडोर ने परतापुर में भारतीय रेलवे लाइन को लगभग 20 मीटर की ऊंचाई पर पार किया है।
एनसीआरटीसी पर हर्जाने के दावे की तैयारी
दिल्ली रोड के कई व्यापारी और वकील रैपिड रेल निर्माण कर्यों के चलते वहां की कई इमारतों में आर्इं दरारों और एनसीआरटीसी द्वारा इस पर कोई एक्शन न लिए जाने के कारण खुद ही एक्शन मोड में आ गए हैं। यहां के व्यापारियों ने तय किया है कि यदि अब भी एनसीआरटीसी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ेगा तो फिर वह एनसीआरटीसी पर करोड़ों रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा करेंगे।
रैपिड निर्माण कार्यों के चलते मेरठ में पिछले काफी समय से दिल्ली रोड से लेकर बेगमपुल तक मकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में दरारें बढ़ने के मामले सामन आ रहे हैं। पीड़ित लोगों की दलील हे कि कई बार विभाग को अवगत करा दिया है, लेकिन एनसीआरटीसी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहा है। दिल्ली रोड पर योगेश गर्ग (पैप टैलर) की लगभग 4500 स्क्वार फीट की इमारत काफी पुरानी है।
उन्होंने बताया कि जब उनकी इमारत में दरारें बढ़ने लगीं तो उन्होंने इसकी शिकायत एनसीआरटीसी के अधिकारियों से की। उन्होंने आरोप लगाया कि एनसीआरटीसी ने मामले को हल करने के बजाय उनके लिए और सिरदर्दी पैदा कर दी। बकौल, योगेश गर्ग उनकी जिस इमारत में एनसीआरटीसी ने सपोर्ट लगार्इं हैं उसका कोई लाभ नहीं, क्योंकि टनों वजनी बिल्डिंग के झुकाव को रोकने के लिए लकड़ी के पट्टे तक इस्तेमाल किए गए हैं जो नाकाफी हैं।
उन्होंने कहा कि सपोर्ट के बावजूद बिल्डिंग नीचे बैठ रही है जो कि खतरे की घंटी है। यदि ऐसे में खुदा न खास्ता बिल्डिंग गिरती है और कोई जानी नुकसान होता है तो उसकी जिम्मेदारी उनकी न होकर सीधे एनसीआरटीसी की होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि वो बिल्डिंग गिरने की स्थिति में एनसीआरटीसी पर क्षतिपूर्ति का दावा करेंगे। वहीं, दूसरी ओर एडवोकेट अमित जैन और बिरला एयरकॉन के एमडी पीके जैन का कहना है कि इस संबंध में एक दो दिन में जिलाधिकारी से मिलकर सारी बात बताएंगे।
एनसीआरटीसी के दावे हवा हवाई
क्षेत्रीय व्यापारियों का आरोप है कि एनसीआरटीसी के सभी दावे हवा हवाई हैं। व्यापारियों के अनुसार उनकी सारी कार्रवाई सिर्फ कागजी है। टीम आती है मर्ज देखती है, लेकिन दवा नहीं देती।
व्यापारी प्रतिष्ठान बंद कर डीएम को सौंप सकते हैं चाबियां
इस इलाके के कुछ व्यापारियों ने यहां तक चेतावनी दे दी है कि यदि उनकी समस्या हल न हुई तो वो अपने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कर उसकी चाबियां जिला प्रशासन को सौंप देंगे।