Tuesday, April 8, 2025
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कांवड़ यात्रा से जुड़े UP सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई, यहां पढ़ें पूरी जानकारी

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। जिसमें कांवरिया मार्ग पर भोजनालयों को मालिकों का नाम लिखने के लिए कहा गया था।

यह चिंताजनक स्थिति

याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह चिंताजनक स्थिति है, जहां पुलिस अधिकारी समाज को बांटने का बीड़ा उठा रहे हैं। अल्पसंख्यकों की पहचान करके उनका आर्थिक बहिष्कार किया जाएगा। यूपी और उत्तराखंड के अलावा दो और राज्य इसमें शामिल हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह प्रेस स्टेटमेंट था या औपचारिक आदेश कि इन्हें प्रदर्शित किया जाना चाहिए?

पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही

याचिकाकर्ताओं के वकील ने जवाब दिया कि पहले प्रेस स्टेटमेंट था और फिर लोगों में आक्रोश दिखने लगा और इस पर कहा कि यह स्वैच्छिक है, लेकिन वे इसका सख्ती से पालन कर रहे हैं। वकील ने कहा कि यह कोई औपचारिक आदेश नहीं है, बल्कि पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक छद्म आदेश है।

आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कहा कि अधिकांश लोग बहुत गरीब, सब्जी और चाय की दुकान चलाने वाले हैं और इस तरह के आर्थिक बहिष्कार के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी। इसका पालन न करने पर हमें बुलडोजर की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।

आदेशों में सुरक्षा और स्वच्छता के आयाम शमिल

सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि हमें स्थिति को इस तरह से नहीं बताना चाहिए कि यह जमीनी हकीकत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाए। इन आदेशों में सुरक्षा और स्वच्छता के आयाम भी शामिल हैं। सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा दशकों से होती आ रही है और मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध समेत सभी धर्मों के लोग उनकी यात्रा में मदद करते हैं। अब आप उन्हें बाहर कर रहे हैं।

सिंघवी ने कही ये बात

सिंघवी ने कहा कि हिंदुओं की ओर से भी बहुत से शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट चलाए जाते हैं। इनमें मुस्लिम कर्मचारी भी काम कर सकते हैं। क्या मैं कह सकता हूं कि मैं वहां कुछ भी नहीं खाऊंगा, क्योंकि वहां का खाना किसी न किसी तरह से मुसलमानों या दलितों की ओर से बनाया या परोसा जा रहा है?

निर्देश में स्वेच्छा से लिखा है, लेकिन स्वेच्छा कहां है? अगर मैं बताऊंगा तो मैं दोषी हूं और अगर नहीं बताऊंगा तो भी मैं दोषी हूं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कांवड़ यात्रा के श्रद्धालु (कांवरियां) भी यह उम्मीद करते हैं कि खाना किसी खास श्रेणी के मालिक द्वारा पकाया जाना चाहिए?

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