Saturday, October 26, 2024
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दुर्दिनों पर रो रही 150 साल पुरानी कायस्थ धर्मशाला

  • शाहपीर की कायस्थ धर्मशाला का कोई पुरसाहाल नहीं
  • 1980 से कटी पड़ी है बिजली, मुस्लिम परिवार कर रहे मंदिर में उजाला
  • कायस्थ महासभा बेचना चाह रही प्राचीन मंदिर को एक बार प्रयास हो चुका

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कायस्थों की आस्था और मेरठ में उनके इतिहास का प्रतीक शाहपीर गेट स्थित कायस्थ धर्मशाला बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। मुस्लिम बाहुल्य इलाके में स्थित इस धर्मशाला की देखरेख एक महिला कर रही है। दुर्भाग्य की बात यह है कि सशक्त और आर्थिक रुप से मजबूत कायस्थ महासभा ने इस धर्मशाला को उसके भाग्य पर छोड़ दिया है। 1980 से इस धर्मशाला की बिजली कटवा दी गई थी तब से पड़ोस के मुस्लिम परिवार इस धर्मशाला में स्थित चित्रगुप्त मंदिर को बिजली देकर उजाला दे रहे हैं।

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शाहपीर गेट से थोड़ा आगे चलने पर कायस्थ धर्मशाला दिखाई दे जाती है। इस इमारत को देखकर लगता है कि इसका पुरसाहाल अब कोई नहीं है। दो सौ गज में बनी दो मंजिला इमारत अब जीर्णशीर्ण हालत में पहुंच गई है। कायस्थों के कुलदेवता चित्रगुप्तजी भगवान का मंदिर भी धर्मशाला में स्थित है।

दीवार पर लगे पत्थर के अनुसार संभवत 1903 में इस मंदिर में चित्रगुप्तजी और धर्मराज की मूर्ति बाबू जमना प्रसाद पेशकार ने लगवाई थी। इसका मतलब मंदिर 119 साल से अधिक पुराना है। मंदिर के दरवाजे की फर्श पर एक पत्थर लगा हुआ है जिसमें 1925 दर्ज है। शहर में कायस्थों के प्रतीक के रुप में धर्मशाला काफी प्रसिद्ध थी। हाजी मुस्तफा का कहना है कि इस धर्मशाले से कायस्थ परिवारों की न जाने कितनी बारातें निकली है।

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पहले यह धर्मशाला हिन्दू बाहुल्य इलाके में थी लेकिन वक्त बदला तो यह क्षेत्र मुस्ल्मि बाहुल्य हो गया। बस बदला नहीं तो यहां के लोगों का व्यवहार। इस धर्मशाला में शुरुआत से माथुर परिवार रहता हुआ आ रहा है। साठ वर्षीया रेखा माथुर ने बताया कि वो शादी होकर इस घर में आई थी। उन्होंने बताया इस प्राचीन मंदिर की देखरेख करने के लिये कायस्थ महासभा कोई प्रयास नहीं कर रही है। वो इसको बेचने के प्रयास में लगी हुई है।

1980 से इस धर्मशाले की लाइट कटी हुई है। मकान जर्जर हो रहा है। पड़ोस के लोगों के द्वारा दी जा रही बिजली से मंदिर में उजाला होता है। कायस्थ महासभा के पदाधिकारियों से कई बार अनुरोध किया गया कि इस इमारत को गिरने से बचा लो क्योंकि यह कायस्थों की आस्था का प्रतीक है लेकिन बजाय इसके जीर्णोद्धार कराने के इसे बेचने के पूरे प्रयास किये जा रहे है।

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धर्मशाला के आसपास रहने वाले मुस्लिम परिवारों का कहना है कि इस धर्मशाला में पैसा लगाकर मंदिर को बरकरार रखना चाहिये। यह सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक धर्मशाला है और इस क्षेत्र के गौरव की प्रतीक है। एडवोकेट अयाज अहमद का कहना है कि इस धर्मशाला का अपना अतीत रहा है और कायस्थों का सम्मानित इतिहास है। इसको बनाये रखने के लिये प्रयास होने चाहिये।

फिलहाल रेखा माथुर को इस बात का डर है कि अगर इस पुरानी इमारत पर ध्यान नहीं दिया गया तो एक दिन यह धरती में समा जाएगी। एक ओर जहां समाज में हर बिरादरी अपनी अपनी विरासत को संभालने में लगी हुई है ऐसे में कायस्थ धर्मशाला का जीर्णशीर्ण हालत में पहुंचना तमाम सवाल खड़े करता है।

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