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रोज 16 घंटे की मेहनत ने एकेश्वर को दिलाया आस्कर

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रोज 16 घंटे की मेहनत ने एकेश्वर को दिलाया आस्कर
  • क्रियेटिव डायरेक्टर बनने के लिये 16 लाख का लोन लिया
  • दी एलीफेंट व्हिसपर्स के टॉप फाइव में आने के बाद से तनाव बढ़ गया था

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का। इसे शत प्रतिशत हकीकत में तब्दील करके दिखा दिया आस्कर अवार्ड विनर शार्ट डाक्यूमेंट्री दी एलीफेंट व्हिसपर्स के एडीटर एकेश्वर चौधरी ने। बचपन से ही फिल्म निर्माण को लेकर सपना देखने वाले इस होनहार और प्रतिभाशाली एकेश्वर ने सफलता के लिये जितना संघर्ष करना चाहिये

उससे ज्यादा न केवल संघर्ष किया बल्कि एडीटिंग सीखने के लिये विसलिंग वुड में 16 लाख रुपये का लोन तक ले लिया था। अवार्ड जीतने के बाद उसका कहना था कि तनाव इस कदर था अवार्ड समारोह से तीन दिन पहले खाना छोड़ दिया था। बताया कि अब नई चुनौतियां मिलेंगी और बेहतरीन काम करने के लिये। उसने सफलता के लिये अपने माता पिता और पत्नी का आभार व्यक्त किया है।

ट्रांसलेम एकेडमी से इंटर करने के बाद एकेश्वर ने मध्य प्रदेश का रुख किया था। परिवार वाले इसको एमबीए करने को कह रहे थे लेकिन इसके दिमाग में सिर्फ फिल्म निर्माण का तकनीकी पक्ष ही घूम रहा था। सवाल यह था कि एकेश्वर को मुंबई में पढ़ाने और वहां रहने के लिये किसान पिता राकेश चौधरी के पास पैसे नहीं थे, लेकिन विसलिंग वुड एकेडमी में एडमीशन लेने के लिये 16 लाख रुपये लोन ले लिया था।

एकेश्वर ने बताया कि उसने इस ऐतिहासिक सफलता पाने के लिये सात साल तक जमकर मेहनत की थी और रोज 15 घंटे कम्प्यूटर पर काम करता था। आस्कर अवार्ड जीतने वाली डाक्यूमेंटी का निर्देशन गुनीत मोंगा ने किया है। जैसे ही आस्कर समारोह में गोल्ड मेडल की घोषणा हुई तो एकेश्वर की पत्नी लक्ष्मी, बेटा सुमेर, भाई क्षितिज और उसकी पत्नी के चेहरे खिल उठे।

एकेश्वर ने वीडियो काल करके अपनी मां का आर्शीवाद लिया। उसने बताया कि जिस दिन उसकी डाक्यूमेंट्री टॉप फाइव में आई तो उसके मन में अनचाहा तनाव बस गया था। वहीं उसकी पत्नी लक्ष्मी बातचीत के दौरान काफी खुश थी, उसका कहना था कि डाक्यूमेंट्री के कारण पति घर वालों को समय नहीं देते थे, लेकिन इस अवार्ड ने सारे गिले शिकवे दूर कर दिये हैं।