- लगातार गिर रहा भू-गर्भ जलस्तर, 12 ब्लॉकों में छह ब्लॉक हैं डार्क जोन में
- शहर और देहात तक खूब हो रहा जल दोहन
- प्रशासन ने भी सोख्ता गड्ढा व अमृत योजना शुरू की जल बचाने की पहल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: तेजी से गिरता भूगर्भ जल स्तर मेरठवासियों के लिये एक दिन बड़ा संकट पैदा कर सकता है। अगर अभी से नहीं संभले तो ऐसा न हो कि एक दिन पीने के पानी के लिये भी लोगों को मोहताज होना बड़े। दिल्ली व अन्य कुछ राज्यों में जहां पानी की काफी कमी है कहीं मेरठ भी उन्हीं हालातों में न पहुंच जाए कि यहां लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़े।
वर्तमान हालातों की बात करें तो यहां भूगर्भ विभाग के अनुसार 12 ब्लॉकों में से 6 जोन पहले ही डार्क जोन में हैं और वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार शास्त्रीनगर, मेडिकल क्षेत्र में समेत कई इलाकों में भी लगातार भूजल गिरता जा रहा है। अगर शहर में पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई और वर्षा जल संचयन को लेकर और अधिक ध्यान नहीं दिया गया तो हालात और भी बदतर हो सकते हैं।
भूगर्भ जल विभाग हर वर्ष मानसून के बाद क्षेत्र की स्थिति पर ध्यान देता है और जांच पड़ताल के बाद ही आंकड़ों को जारी करता है। वर्ष 2021 की बता की जाए तो आंकड़ों के अनुसान शास्त्रीनगर, जागृति विहार, गढ़ रोड, दिल्ली रोड क्षेत्र में भी जलस्तर 20 मीटर से नीचे पहुंच चुका है। गढ़ रोड, नौचंदी और कुटी क्षेत्र में भी हालात ठीक नहीं हैं। यह सभी शहर के महत्वपूर्ण आवासीय इलाके हैं।
इसके अलावा जनपद के 12 ब्लॉकों में से छह ब्लॉक तो पिछले साल ही डार्क जोन में पहुंच चुके थे। यहां खरखौदा में अधिक हालात खराब थे। जिसके लेकर विभाग की ओर से कई योजनाओं को भी चलाया गया, लेकिन अभी तक उनसे हालात कुछ सुधर नहीं पाये हैं। शहर में पानी की बर्बादी को अगर नहीं रोका गया और वर्षा जल संचयन व अन्य तरीकों से पानी को भूगर्भ में पहुचाने पर ध्यान नहीं दिया गया तो हालात और भी बदतर हो सकते हैं।
पिछले पांच साल में खरखौदा क्षेत्र में तेजी से गिरा जलस्तर
भूगर्भ जलस्तर तेजी से गिरने के कारण जिले के 12 ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक खतरे में आ गए हैं। केंद्र सरकार ने इन पांच ब्लॉकों का चयन कर जल शक्ति अभियान में शामिल किया था। वर्ष 2020 की ही बात करें तो जिले के खरखौदा, माछरा, मेरठ, परीक्षितगढ़ और रजपुरा में हालात ज्यादा खराब थे।
इन ब्लॉकों को डार्क जोन में शामिल किया गया था। यहां पानी के घटते जल स्तर को रोकने के लिये कुछ अभियान भी चलाये गये। जिसमें वर्षा के जल का संचयन, पौधरोपण, बॉडी एंड वॉटर शेड डेवलपमेंट, रियूज एंड बोरवेल डिस्चार्ज स्ट्रक्चर आदि शामिल हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां हालात ठीक नजर नहीं आ रहे हैं। डार्क जोन में शामिल पांच ब्लॉकों में खरखौदा में जलस्तर तेजी से कम हुआ था। यहां वर्ष 2020 तक पिछले पांच सालों में 3.18 मीटर जलस्तर गिरा था।
पानी की खूब हो रही बर्बादी
लगातार जल स्तर घटने के कारणों की बात करें तो शहर और देहात में पानी की खूब बर्बादी होती है। यहां हर घर में सबमर्सिबल लगाकर पानी को बर्बाद किया जा रहा है। अगर शहर की बात करें तो यहां पर जगह जगह कार वॉशिंग सेंटर खुले हैं, जिनमें प्रतिदिन लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है, लेकिन इसके ऊपर किसी का ध्यान नहीं गया है। इसके साथ साथ शहरों के बाहरी क्षेत्रों में अवैध रूप में बिना अनुमति के लोगों ने स्विमिंग पूल तक बना रखे हैं।
जिनमें रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। स्विमिंग पूल के पानी को कुछ घंटों बाद ही बदल दिया जाता है। अवैध रूप से बने स्विमिंग पूल का पानी नालियों और नालों तक में बहाया जाता है। जिससे न जाने कितना पानी बर्बाद हो रहा है और यह अब बिना अनुमति लिये अवैध रूप से किया जा रहा है। अगर इसी प्रकार से पानी बर्बाद होता रहा तो हालात सुधरने मुश्किल हैं।
कैसे करें बचाव?
पानी के जलस्तर को घटने से रोकना है तो हमें जल संचन विधि सीखनी होगी। सभी को वर्षा जल संचयन करना होगा। पहले की तरह सभी को सोख्ते गड्ढे अगर हो सके तो गांवों में अवश्य बनाने चाहिए। तालाबों को जीर्णोद्धार गांवों में करना होगा। शहर में वर्षा जल संचयन के लिये बनाये गये वॉटर टैंक की देखरेख करना आवश्यक है। साथ ही लोगों को भी जागरूक होना होगा कि पानी को किस प्रकार से बचाया जा सके। अवैध रूप से चल रहे कार वॉशिंग सेंटर और स्विमिंग पूल के खिलाफ प्रशासन को अभियान चलाना होगा।
अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों का हो रहा जीर्णोद्धार
इधर, वर्षा जल संचयन और गांवों से निकलने वाले पानी को बचाने की करें तो प्रशासन की ओर से भी एक पहल शुरू की गई है। जिसमें अमृत सरोवर योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुरू की गई है। यहां मेरठ में भी 15 अगस्त तक कम से कम 15 सरोवर तैयार करने की योजना है। यहां 75 तालाबों का सौंदर्यीकरण इस योजना के तहत होना है। इनके तैयार होने से यह एक पिकनिक स्पॉट भी होगा और यहां वर्षा जल संचन भी हो सकेगा। इसके अलावा पंचायती विभाग की ओर से सभी ग्राम पंचायतों और स्कूलों में सोख्ते गड्ढे भी लगा दिये गये हैं। लगभग यह कार्य हर जगह पूरा हो चुका है जिससे वर्षा जल का संचयन हो सकेगा और जल स्तर भी सही हो सकेगा।
ब्लॉकों की स्थिति (मीटर में)
वर्ष 2021 2020
दौराला 11.61 11.79
हस्तिनापुर 8.41 8.71
जानीखुर्द 4.59 5.48
खरखौदा 21.73 21.91
माछरा 14.82 15.27
मवाना 9.97 10.99
परीक्षितगढ़ 11.54 12.18
रजपुरा 21.73 21.44
रोहटा 9.78 10.11
सरधना 6.45 7.61
सरूरपुर 11.31 13.43
मेरठ 19.24 18.84
पिछले कुछ सालों में इतना गिरा जलस्तर (मीटर में)
खरखौदा 3.18
माछरा 3.12
मेरठ 1.39
परीक्षितगढ़ 2.55
रजपुरा 2.42
हस्तिनापुर 0.83
दौराला 0.49
जानीखुर्द 0.31
मवाना 0.21
रोहटा 0.81
सरधना 0.21
सरूरपुर 0.33
रजपुरा और खरखौदा ब्लॉक में गिरते जलस्तर को रोकने के लिए 57 ग्राम पंचायतों में जल संचयन योजना तैयार कराई गई है। किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसानों को गन्ना के अलावा कम सिंचाई वाली फसलें उगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इससे पानी की बचत होगी। वहीं, अटल भूजल योजना में कई स्थानों पर पानी की टंकी का निर्माण भी कराया जा रहा है।
-नौरत्न कमल, भूभौतिकविद, भूगर्भ जल विभाग