Monday, June 16, 2025
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विपक्षी एकता को लगा बड़ा झटका, जानिए- इन दलों ने किया किनारा

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष को एक करने में जुटीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को झटका लगा है। दरअसल, चुनाव को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए उन्होंने दिल्ली में आज विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। हालांकि, अब खबर है कि इस बैठक से आम आदमी पार्टी, टीआरएस और बीजद किनारा कर सकती है। इससे पहले सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा भी इस बैठक को लेकर नाराजगी जाहिर कर
चुके हैं।

सूत्रों की मानें तो आम आदमी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही इस मुद्दे पर विचार करेगी। वहीं टीआरएस भी बैठक से दूर रहेगी। इसके अलावा ओडिशा की बीजू जनता दल भी किनारा कर सकती है। चुनाव आयोग की ओर से घोषित कार्रक्रम के मुताबिक, 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं।

ममता का प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं पवार

राजधानी के कंस्टीट्यूशन क्लब में आज ममता बनर्जी के आह्वान पर सभी विपक्षी दल जुटेंगे। इससे पहले ममता की शरद पवार के साथ हुई मुलाकात के बारे में बताते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने शरद पवार को संयुक्त उम्मीदवार बनने के लिए मनाया, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। ममता के साथ येचुरी, डी राजा और प्रफुल्ल पटेल व पीसी चाको ने भी पवार से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस और वाम दल भी बैठक में हिस्सा लेंगे। कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला बैठक में हिस्सा लेंगे।

पवार ऐसी लड़ाई में नहीं उतरना चाहते, जहां हार तय

सूत्रों के मुताबिक पवार ऐसे मुकाबले में नहीं उतरना चाहते हैं, जिसमें हार तय है। सत्तारूढ़ एनडीए के पास राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाताओं के 50 फीसदी वोट मौजूद हैं। इसके बाद बीजद, अन्नाद्रमुक और वाईएसआर-सीपी जैसे कुछ स्वतंत्र दलों के समर्थन से उसके उम्मीदवार की जीत आसानी से तय है।

गोपालकृष्ण गांधी के नाम की भी चर्चा

शरद पवार के मना करने के बाद राष्ट्रपति चुनाव के लिए एकजुट लड़ाई पेश करने के लिए विपक्ष पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के संपर्क में है। सूत्रों के मुताबिक विपक्ष के कुछ नेताओं ने इस संबंध में गांधी से फोन पर बात भी की है। 2017 में पूरा विपक्ष उपराष्ट्रपति के लिए गांधी के नाम पर सहमति जता चुका है, लेकिन तब एम वेंकैया नायडू जीतकर उपराष्ट्रपति बने थे।

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