Sunday, October 6, 2024
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450 साल पुराना है सदर मां काली मंदिर का इतिहास

  • नवरात्रि विशेष: मां काली मंदिर के स्थान पर हुआ करता था श्मशान

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सदर क्षेत्र में स्थित प्राचीन महाकाली मंदिर काफी ख्याति प्राप्त मंदिरों में से एक है। सिद्धपीठ मां काली का मंदिर 450 साल पुराना है। कहा जाता है कि मंदिर के स्थान पर पहले श्मशान हुआ करता था। यही कारण है कि मंदिर को श्मशान महाकाली के नाम से भी जाना जाता है।

मंदिर के देखभाल शुरुआत से ही बंगाली परिवार करता आ रहा है। नवरात्र के दिनों में हर साल भक्तों का तांता लगा रहता है। मान्यता के अनुसार मां काली सभी सच्चे मन से मांगी गई मुरादे पूरी करती हैं। नवरात्र के दिनों में मंदिर में मां का विशेष शृंगार किया जाता है। सुबह शृंगार के बाद आरती होती है। इसके साथ ही रोजना रात दस बजे नगाड़ों के साथ महाकाली की विशेष महाआरती की जाती है। नवरात्र के छठे दिन मंदिर में विशेष पूजा होती है और इस दिन भक्तों की संख्या भी अधिक रहती है।

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श्मशान घाट में हुआ करती थी छोटी सी मूर्ति

बताया जाता है कि सालों पहले यहां श्मशान घाट हुआ करता था। जिसमें मां काली की छोटी सी मूर्ति स्थापित थी। लोग यहां आकर पूजा-अर्चना करते थे। जैसे-जैसे लोगों की मनोकामनएं यहां पूरी होने लगी, तभी से मंदिर ख्याति प्राप्त करने लगा। एक बंगाली परिवार श्मशान में लगी मूर्ति की पूजा करने लगा और तभी से उनकी सेवा करता आ रहा है।

मान्यता के अनुसार मां काली की पूजा करने से बुरी शक्तियां और टोने टोटके नष्ट हो जाते हैं। करीब 150 साल पहले यहां विशाल मंदिर बनाया गया और सिद्धपीठ के रुप में मंदिर को जाना जाने लगा। अन्य शहरों और राज्यों से भी यहां लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।

माता रानी करती हैं कष्टों को दूर

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मंदिर के पुजारी बाबू पंडित ने बताया कि मंदिर में माता रानी सभी भक्तों के कष्टों का निवारण करती हैं। सच्चे मन से मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है। मां के पुजारी निशांत बनर्जी का कहना है कि मंदिर में लोग मां को चुनरी और नारियल भी चढ़ाकर मन्नतें मांगने आते हैं। शहर ही नहीं बल्कि बाहर से भी आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है।

शारदीय नवरात्र: भक्तों ने किया मां ब्रह्मचारिणी का पूजन

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया गया। इस अवसर पर कोविड-19 महामारी के लिए जारी की गई गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए सभी मंदिरों में पूजन किया गया। सभी मंदिरों में सावधानियों के साथ श्रद्धालु पहुंचे। वहीं, माता रानी को प्रसन्न करने के लिए सुबह ही घरों में भी पूजा अर्चना की गई। घरों में महिलाओं ने व्रत रखा और मां ब्रह्मचारिणी से स्वास्थ्य और सुख की कामना की।

शास्त्रीनगर स्थित गोल मंदिर, बाबा औघड़नाथ मंदिर, सदर काली मंदिर, सदर वैष्णो धाम मंदिर, जागृति विहार मां मंशा देवी मंदिर आदि में पहले माता रानी का शृंगार किया गया। इसके बाद आरती की गई। एक समय में कम ही भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया गया। सोशल डिस्टेंस का पालन कराने के लिए सभी को मंदिर समिति द्वारा बनाए गए गोलों का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया। वहीं, घर बैठे भक्तों के लिए लाइव आरती का प्रसारण भी मंदिरों द्वारा किया गया। सोशल मीडिया के माध्यम से मां की मनमोहक आरती घर बैठे श्रद्धालुओं ने देखी।

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