Wednesday, July 23, 2025
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एमबीबीएस प्रकरण में विवि के तीन अधिकारी पाए गए दोषी

  • एमबीबीएस उत्तर पुस्तिका के अदला-बदली से जुड़ा है मामला
  • लंबे समय से एसआइटी कर रही थी जांच, एसआइटी ने जांच पूरी कर अब शासन को सौंपीं रिपोर्ट
  • दायित्व में लापरवाही के लिए दोषी तीनों का विवरण शासन ने मांगा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मार्च 2018 में एमबीबीएस की उत्तर पुस्तिका बदलने के मामले में विश्वविद्यालय के तीन अधिकारियों को दायित्व में लापरवाही बरतने का दोषी करार दिया गया है। तीन सदस्यीय प्रदेश स्तरीय एसआइटी ने 30 जून को शासन को अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है।

शासन की ओर से विशेष सचिव द्वारा 21 जुलाई के पत्र में विश्वविद्यालय को यह जानकारी दी गई है। शासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए विश्वविद्यालय ने तीनों अधिकारियों की वर्तमान तैनाती या सेवानिवृत्त होने का विवरण मांगा है। इतना ही नही रिपोर्ट में कहा गया है की सीसीएसयू की व्यवस्था खराब है।

एसआइटी की अंतिम विवेचना आख्या में कहा गया है कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में उत्तर पुस्तिकाओं के वितरण, परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं के संग्रहण और मूल्यांकन प्रक्रिया की सुचिता के लिए एवंगोपनीयता-पारदर्शिता-सुरक्षा-निगरानी के लिए जो व्यवस्था होनी चाहिए वह व्यवस्था-नियम-प्रक्रिया-निगरानी के लिए जो व्यवस्था होनी चाहिए वह तत्कालीन अधिकारी परीक्षा नियंत्रक नारायण प्रसाद, सहायक कुलसचिव-प्रशासन संजीव कुमार और सहायक कुलसचिव-गोपनीय वीपी कौशल ने पदीय दायित्व में नहीं अपनाई।

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इसके साथ ही रिपोर्ट में इनके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली, 1999 के नियम सात के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाही की संस्तुति की है। उक्त तीनों में से नारायण प्रसाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वीपी कौशल मेरठ के बाहर तैनात हैं और संजीव विश्वविद्यालय परिसर में ही तैनात हैं।

बता दें कि स्पेशल टास्क फोर्स मेरठ 17 मार्च 2018 को कविराज नामक छात्र और विश्वविद्यालय के तीन कर्मचारियों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने यह राजफास किया था कि कविराज विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत से एमबीबीएस की कापी बदलवाता है। आरोप था कि कविराज उत्तर पुस्तिका के ऊपर का पेज छोड़कर भीतर के लिखे हुए पन्ने बदल देता था।

एसटीएफ ने दावा किया था कि इस गिरोह ने सैकड़ों छात्र-छात्राओं की उत्तर पुस्तिका बदली और अतिरिक्त नंबर बढ़वाए गए। तात्कालीन कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने शासन से मामले की जांच एसआइटी से कराने की मांग रखी। करीब एक वर्ष बाद एसआइटी गठित हुई। एसआइटी की जांच के दौरान वर्ष 2015 से 2018 तक के एमबीबीएस के कागजात खंगाले गए। एसआइटी ने कई बिंदुओं पर विस्तार से जांच की।

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