Sunday, July 20, 2025
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कांस्य पर साधा भाला, मेहनत से खोला किस्मत का ताला

  • पांच साल का वनवास काटने के बाद मेडल जीतने में कामयाब हुई अन्नू रानी
  • पांच साल से चल रही थी परीक्षा की घड़ी, मगर अन्नू ने नहीं हारी हिम्मत

जनवाणी संवाददाता |

सरधना: करीब पांच साल बिना थके मेहनत और कभी न टूटने वाले हौसले के साथ आखिरकार अन्नू रानी ने कॉमनवेल्थ में मेडल जीत ही लिया। वर्ष 2017 में एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के बाद अन्नू की किस्मत में इंटरनेशनल मेडल का सूखा चल रहा था। पहले आॅलंपिक और फिर वर्ल्ड चैंपियनशिप में निराशा हाथ लगने के बाद एक बार को अन्नू का हौसला टूट-सा गया था।

मगर उसने हार नहीं आनी और पूरे जोश के साथ देश को मेडल दिलाने के लिए पसीना बहाना शुरू किया। एक दो नहीं पूरे पांच साल वनवास काटने और सब्र का इम्तिहान देने के बाद आखिरकार अन्नू और देश के लिए वो घड़ी आई जिसका सपना अन्नू को सोने नहीं दे रहा था। अन्नू ने ना केवल कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक अपने नाम किया, बल्कि इतिहास के पन्नों में नया रिकॉर्ड दर्ज करा दिया। अन्नू रानी कॉमनवेल्थ में मेडल जीतने वाली पहली भाला फेंक महिला खिलाड़ी बन गई।

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वैसे तो अन्नू रानी ने देश को कई इंटरनेशनल मेडल देकर तिरंगे का मान बढ़ाया है। मगर अन्नू रानी पिछले पांच साल से परीक्षा की घड़ी से गुजर रही थी। अन्नू ने आखिरी इंटरनेशनल मेडल वर्ष 2017 में एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीता था। रजत पदक जीतने के बाद अन्नू ने आगे का पड़ाव पार करने के लिए कोशिश की। मगर अन्नू को पांच साल से लगातार हार का सामना करना पड़ रहा था।

वर्ष 2020 में आॅलंपिक का समय आया तो अन्नू को खाली हाथ लौटना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2021 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी अन्नू के हाथ सिर्फ निराशा ही लगी। पांच साल से अन्नू मानो वनवास काट रही थी। इस बीच कई बार ऐसा मोड़ आया कि अन्नू को लगा अब बस हो गया, लेकिन आंखों में जो सपना घूम रहा था वह अन्नू रानी को सोने नहीं दे रहा था। अन्नू ने फिर से कमर कसी और सब्र का इम्तिहान देते हुए बिना थके कोशिश जारी रखी।

जिसके बाद रविवार को आखिरकार वो घड़ी आ ही गई जिसका अन्नू और पूरे देश को इंतजार था। अन्नू ने देश की झोली में कांस्य पदक डाल दिया। इतना ही नहीं एक नया इतिहास रचकर अपना नाम अमर कर लिया। कॉमनवेल्थ में मेडल जीतने वाली अन्नू रानी पहली भारतीय भाला फेंक महिला खिलाड़ी बन गई हैं। इससे पहले कोई खिलाड़ी भाला फेंक में मेडल नहीं जीत सका।

भले ही अन्नू ने चंद सैकेंड में मेडल अपने नाम कर लिया, इसके पीछे पांच साल की वो रातें है जिनमें मेडल के सपनों ने अन्नू को सोने नहीं दिया। आज अन्नू की सफलता पर पूरे देश को गर्व हो रहा है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और तमाम सखसियत अन्नू रानी को सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दे रही हैं।

कठिन गुजरे पांच साल

पिछले पांच साल अन्नू रानी के बेहद ही कठिन गुजरे हैं। अन्नू रानी के भाई उपेंद्र सिंह बताते हैं कि बीच में ऐसा समय कई बार आया कि अन्नू और पूरा परिवार सोचने को मजबूर हो गया कि आगे बढ़ना है या यहीं बस करना है। कई बार अन्नू को विवाह के बंधन में बांधने पर विचार किया गया।

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मगर इन सब उतार चढ़ाव के बाद भी अन्नू रानी ने हार नहीं मानी और खुद के हौसले से परिवार को भी हिम्मत दी। पांच साल की इस परीक्षा का फल आज देश ही नहीं पूरी दुनिया के सामने है।

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