Wednesday, July 16, 2025
- Advertisement -

लोकतंत्र में आलोचना की अहमियत

Ravivani 32


खुशदीप सहगल |

मजबूत लोकतंत्र की एक पहचान विपक्ष का मजबूत होना भी माना जाता है। स्वस्थ लोकतंत्र में आलोचना का भी खास महत्व है। आलोचना किसी भी व्यक्ति या संस्थान के विकास के लिए भी खाद पानी की तरह ही अहम है। जहां शासक आलोचना को नकार सिर्फ अपना स्तुति गान ही हर वक्त सुनना पसंद करने लगते हैं वहां सुधार की गुंजाइश कम रह जाती है और गाड़ी रिवर्स गियर में घूमने लगती है। ये स्थिति पतन और क्षरण को न्योता देने वाली हो जाती है।

आज नैतिक मूल्यों में गिरावट के लिए सिर्फ़ राजनीति को ही क्यों दोष दिया जाए। समाज के हर क्षेत्र में ही ये क्षरण देखा जा सकता है। हर क्षेत्र में ऐसे आइकन कम ही नजर आते हैं जिन्हें रोल मॉडल मानते हुए जनता उनके पदचिह्नों पर चल सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में एक बयान में कहा कि आलोचना स्वागत योग्य है लेकिन ये भी देखना होगा कि आलोचना कर कौन रहा है?

अब ये तो साफ है कि राजनीति में सबसे अधिक आलोचना विपक्ष की ओर से आएगी। कार्टूनिस्ट, कवि, व्यंग्यकार, कलाकार, साहित्यकार, पत्रकार भी अपने हिसाब से जो राजनीति, समाज में घट रहा है, उस पर कटाक्ष करते हैं। ऐसे में सत्ता पक्ष का आलोचना करने वालों के प्रति क्या व्यवहार रहता है, ये देखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। राजनीति की दशा और दिशा सही तरह से आगे बढ़े इसके लिए आलोचना टॉनिक की तरह काम करती है।

किस्सा मशहूर है कि नेहरू एक बार सीढ़ियों पर लड़खड़ाए थे राष्ट्रकवि दिनकर ने उन्हें संभाला था, साथ ही कहा था-‘राजनीति जब भी लड़खड़ाती है तो साहित्य उसे संभालता है।’ यक्ष प्रश्न ये है कि आज के दौर में दिनकर जी जैसे साहित्यकार भी कहां हैं?

गांधी नेहरू सरनेम विवाद और फिरोज गांधी

नेहरू सरनेम पिछले दिनों खूब चर्चा में रहा। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में एक बयान में कहा था-‘अगर नेहरू महान थे, तो उनके परिवार का कोई व्यक्ति नेहरू सरनेम क्यों नहीं रखता? क्या शर्मिंदगी है नेहरू सरनेम रखने में।‘ जाहिर है उनका इशारा राजीव गांधी, संजय गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से अपने नामों में गांधी के इस्तेमाल की ओर था। राजीव गांधी और संजय गांधी को गांधी सरनेम हिन्दू परम्परा के मुताबिक अपने पिता से मिला। राजीव गांधी के पिता फिरोज गांधी भी राजनीति से जुड़े थे लेकिन वो पत्नी इंदिरा गांधी की तरह कभी सुपर हाई प्रोफाइल नहीं रहे।

फिरोज गांधी का निधन 8 सितंबर 1960 को सुबह पौने आठ बजे नई दिल्ली के वेलिंगटन अस्पताल में हुआ। चार दिन बाद ही उनका 48वां जन्मदिन था। फिरोज गांधी का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर अगले दिन हिन्दू रीति रिवाज से हुआ। तब 16 साल के राजीव गांधी ने पिता की चिता को अग्नि दी। एक हफ्ता पहले से ही फिरोज गांधी के सीने में दर्द उठना शुरू हो गया था।

पहला दिल का दौरा आने के बाद ही फिरोज ने अपने दोस्तों से कह दिया था कि वो हिंदू तरीकों से अंतिम संस्कार करवाना पसंद करेंगे, क्योंकि उन्हें अंतिम संस्कार का पारसी तरीका पसंद नहीं था जिसमें शव को चीलों के लिए खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। दो दिन बाद फिरोज गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में संगम में प्रवाहित किया गया। अस्थियों के एक हिस्से को प्रयागराज के पारसी कब्रगाह में भी दफनाया गया। फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर 1912 को मुंबई के पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जहांगीर फरिदून गांडी था।

आगे चलकर फिरोज स्वतंत्रता संग्राम में बापू से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने सरनेम की स्पेलिंग गांडी से बदलकर गांधी कर ली। फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी की शादी 26 मार्च 1942 को इलाहाबाद के आनंद भवन में हिंदू पद्धति से हुई थी। इन तथ्यों के बीच ये सवाल बेमायने हो जाता है कि नेहरू की अगली पीढ़ी के सदस्यों ने उनका सरनेम क्यों नहीं अपनाया?

स्लॉग ओवर

विमान पर यात्रा करते हुए एक भारतीय को दो पाकिस्तानियों के बीच सीट मिली। भारतीय ने रिलेक्स होने के लिए अपने जूते उतार दिए। थोड़ी देर बाद भारतीय को भूख लगी। उसने दोनों पाकिस्तानियों से कहा-‘मैं अपने लिए स्नैक लेने जा रहा हूं। आप दोनों कुछ लेना पसंद करेंगे।’ दार्इं और बैठे शख्स ने कहा कि वो कोक लेना पसंद करेगा। बार्इं और बैठे यात्री ने कहा-वो भी कोक लेगा। भारतीय ने जवाब दिया-‘ओके, इट्स माई प्लेजर।’

भारतीय सीट से उठ कर गया तो साथ की दोनों सीट वाले पाकिस्तानी यात्रियों ने उसके एक-एक जूते में थूक दिया। भारतीय ने लौट कर दोनों को कोक दी। जब दोनों ने कोक आधी आधी पी ली तो भारतीय ने अपने दोनों जूतों में पैर डाले। फिर ठंडी सांस लेकर दोनों की ओर देख कर बोला…‘ओह ब्रदर्स, कब तक हम एक-दूसरे के जूतों में थूकते रहेंगे और…कोक में यूरिन मिलाते रहेंगे…’
(लेखक आज तक के पूर्व न्यूज एडिटर और देशनामा यूट्यूब चैनल के संचालक हैं)


janwani address 3

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Dipika Kakar: लीवर सर्जरी के बाद अब दीपिका कक्कड़ ने करवाया ब्रेस्ट कैंसर टेस्ट, जानिए क्यों

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक​ स्वागत...

Sports News: 100वें Test में Mitchell Starcs का धमाका, टेस्ट Cricket में रचा नया इतिहास

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

Dheeraj Kumar Death: ‘ओम नमः शिवाय’, ‘अदालत’ के निर्माता धीरज कुमार का निधन, इंडस्ट्री में शोक

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Nimisha Priya की फांसी पर यमन में लगी रोक, भारत और मुस्लिम नेताओं की पहल लाई राहत

जनवाणी ब्यूरो |नई दिल्ली: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की...
spot_imgspot_img