Sunday, June 1, 2025
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चुनाव बाद मुख्यमंत्री घोषणा की रणनीति

Samvad


ashok bhatiyaआगामी लोकसभा चुनाव से पहले इस साल और अगले साल 2023 में होने वाले किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पेश नहीं कर रही है । सभी चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर ही लड़े जा रहे हैं। बताया जाता है कि चुनाव वाले राज्यों में भारी गुटबाजी, मुख्यमंत्रियों के खिलाफ एंटी इन्कमबैंसी, प्रतिकूल हो रहे सामाजिक समीकरण और कुछ क्षत्रपों को ठिकाने लगाने की शीर्ष नेतृत्व की योजना के तहत पार्टी बिना कोई चेहरा पेश किए चुनाव लड़ेगी। यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव से पहले कराए जा रहे अंदरुनी सर्वेक्षणों में कई मुख्यमंत्रियों के बारे में नकारात्मक फीडबैक मिला है। इसलिए भी मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का फैसला हुआ है।

यह स्थिति बताती है कि पार्टी में राज्य स्तर पर नेतृत्व विकसित करने की जो प्रक्रिया भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के दौर में जारी थी, उसे अब लगभग खत्म कर दिया गया है। पार्टी में अब सब कुछ सिर्फ दो लोगों (मोदी और शाह) की मर्जी से होता है।

7 महीने बाद राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा में सबसे बड़ा सवाल मुख्यमंत्री फेस को लेकर है। भाजपा में हाल ही में कई बड़े परिवर्तन किए गए। सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।

राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष और सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।इन बदलावों के बाद राजनीति के गलियारों में एक कयास ये भी लगाया जा रहा है कि क्या भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को मुख्यमंत्री फेस के रूप में प्रोजेक्ट कर सकती है या जीतने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है?

पर वर्ष 2003 और 2013 में राजस्थान में वसुंधरा राजे को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था और उन्हें ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़े गए। चुनाव जीतने पर उन्हें मुख्यमंत्री भी बनाया गया। 2016-2017 के बाद भाजपा ने किसी भी राज्य में प्रदेशाध्यक्ष को मुख्यमंत्री नहीं बनाया।

हां, उससे पहले जरूर पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष को मुख्यमंत्री बनाया था। मोदी-शाह ने अपनी चुनाव रणनीति में यह बदलाव देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश का चुनाव जीतने के बाद किया। तब से लेकर अब तक पार्टी ने 10-12 राज्यों में सरकार बनाई लेकिन कहीं भी प्रदेशाध्यक्ष को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। उत्तराखंड में तो एक हारे हुए नेता को मुख्यमंत्री बना दिया।

यह मोदी और शाह की नीति रही कि उत्तरप्रदेश में 2017 और 2022 में भाजपा ने लगातार दो बार सरकार बनाई। देश के सबसे बड़े राज्य में 2017 में केशव प्रसाद मौर्य और 2022 में स्वतंत्र देव सिंह प्रदेशाध्यक्ष थे लेकिन मुख्यमंत्री बनाया गया योगी आदित्यनाथ को। असम राज्य में भाभेश कलिता प्रदेशाध्यक्ष हैं।

उनके इस पद पर रहते 2021 में भाजपा की सरकार बनी लेकिन मुख्यमंत्री बनाया गया हेमंत बिश्वा सरमा को। पार्टी ने हरियाणा में 2014 और 2019 में लगातार दो बार सत्ता हासिल की है। इस दौरान रामबिलास शर्मा, सुभाष बराला और ओपी धनखड़ प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं।

वर्तमान में धनखड़ प्रदेशाध्यक्ष हैं लेकिन दोनों बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बनाया गया। आर्थिक रूप से देश के सबसे समृद्ध राज्य महाराष्ट्र में 2015 के बाद दो बार भाजपा सत्ता में आ चुकी है। इस दौरान वहां तीन प्रदेशाध्यक्ष रहे हैंङ्घचंद्रशेखर बावनकुले, राव साहब दानवे और चंद्रकांत पाटिल।

भाजपा ने 2014 और 2019 में मुख्यमंत्री बनाया देवेन्द्र फड़नवीस को। फड़नवीस को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद से तो सप्ताह भर में ही इस्तीफा देना पड़ा था। अब साल भर पहले वहां एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस की सरकार गिर गई तो भाजपा फिर से सत्ता में आई है, लेकिन फड़नवीस को ही उप उप मुख्यमंत्री बनाया गया है किसी प्रदेशाध्यक्ष को नहीं।

भाजपा के अभेद्य गढ़ बन चुके गुजरात में 2017 में जीतू वाघानी प्रदेशाध्यक्ष थे, लेकिन मुख्यमंत्री बनाया था विजय रुपाणी को। इसके बाद हाल ही ही में भाजपा ने अब तक की सबसे बड़ी जीत 2022 में हासिल की।

भाजपा की इस जीत में प्रदेशाध्यक्ष सीआर पाटिल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। पार्टी ने 182 में 156 सीटें हासिल की हैं, लेकिन मुख्यमंत्री बनाया गया है भूपेंद्र पटेल को। देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में पार्टी 2003 से लगातार 2018 तक सत्ता में रही। 2018 में पार्टी चुनाव हारी लेकिन मार्च-2020 में फिर से सत्ता में आ गई।

इस दौरान नरेंद्र पाल सिंह तोमर और राकेश सिंह प्रदेशाध्यक्ष रहे लेकिन मुख्यमंत्री बनाया गया शिवराज सिंह चौहान को। पहाड़ी राज्य ऊतराखंड में भाजपा 2017 और 2022 में लगातार दो बार चुनाव जीतकर सत्ता में आई है। वर्ष 2017 में प्रदेशाध्यक्ष थे अजय भट्ट, लेकिन मुख्यमंत्री बनाया गया त्रिवेंद्र सिंह रावत को।

फरवरी 2022 में प्रदेशाध्यक्ष थे मदन कौशिक लेकिन मुख्यमंत्री बनाया गया पुष्कर सिंह धामी को, जबकि धामी खुद चुनाव भी हार गए थे। 2014 में प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी के आने के बाद भाजपा की बहुत सी नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। उनमें से एक बदलाव यह भी हुआ कि पार्टी ने प्रदेशाध्यक्ष की भूमिका एक आॅर्गेनाइजर की बनाई।

इस भूमिका के तहत प्रदेशाध्यक्ष को संगठन संभालने, संगठन चलाने और संगठन के विस्तार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती रही है। पार्टी का स्पष्ट मत है कि पार्टी का संगठन मजबूत करने पर सत्ता प्राप्ति ज्यादा आसान रहती है।

इसके लिए प्रदेशाध्यक्ष किसी काबिल रणनीतिकार को बनाया जाता है, जो बिना लाग-लपेट के पार्टी को सत्ता में लाने के लिए संगठन को तैयार कर सके। पिछले 8 वर्षों से फैसला केवल दो लोग ही करते हैं एक नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह।


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