- पति की मृत्यु के बाद टूट गई थीं पिंकी, फिर से शुरू किया आगे बढ़ने का प्रयास
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: वो मुफलिसी में जी रही है। फिर भी अपना ईमान नही खोया। वो मेहनतकश मजदूर है। उसने अपना स्वाभिमान नही खोया। यह पंक्ति दौराला नगर पंचायत की अध्यक्षा रही पिंकी चौधरी पर चरितार्थ होती है। शायर नरेंद्र अभिषेक की यह पंक्तियां पिंकी चौधरी के स्वाभिमान और ईमानदारी को दर्शाती है।
मुफलिसी के इस दौर में आज नगर पंचायत दौराला की अध्यक्षा रही पिंकी चौधरी को अपना मकान बनवाने के लिए प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत आवेदन करना पड़ा। वर्ष 2013 में अपनी कलम से लोगों का मुस्तकबिल लिखने वाली आज पिंकी गुमनाम की जिंदगी जी रही है। 2018 तक अध्यक्षा रहने के बाद तो परिवार में सबकुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन उसके बाद अचानक पति की मृत्यु के बाद वह टूट गई और गुमनाम हो गई।
कंकरखेड़ा निवासी पिंकी चौधरी मोदीपुरम के मिलांज माल में प्राइवेट नौकरी करती थी। इसी बीच उसकी मुलाकात दौराला के रहने वाले श्वेत चौधरी से हुई। दोनों ही मिलांज माल में नौकरी करते थे। धीरे-धीरे दोनों में प्यार की पीगे बढ़ी और दोनों ने एक साथ रहने का प्रण किया। 2011 में दोनों की शादी हो गई। दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की तो परिवार के लोग नाखुश हो गए और एक साल तक दोनों साथ बाहर रहे।
हालांकि बाद में परिवार के लोग मान गए और दोनों दौराला में आकर रहने लगे। दोनों के दो बेटे हुए, जिनमें एक बेटा अभिराज और दूसरा बेटा शार्दुल शामिल है। वर्ष 2013 में दौराला नगर पंचायत की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के कारण पिंकी चौधरी को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाया गया और पिंकी अध्यक्षा के रूप में निर्वाचित हुई। 2013 से लेकर 2018 तक पिंकी चौधरी का कार्यकाल अच्छा रहा और कस्बे के विकास के लिए बेहद कार्य कराए, लेकिन 26 दिसंबर 2018 को पिंकी के पति की बीमारी के चलते मौत हो गई। पति की मौत के बाद वह टूट गई और गुमनाम जिंदगी गुजर बसर करने लगी।
यहीं नहीं रुका सफर फिर शुरू कर दी मेहनत
पिंकी का सफर यही नहीं रुका। पिंकी ने अपने बेटों को शिक्षा दिलाने के लिए मेहनतकश जिंदगी गुजारनी शुरू कर दी। इसके बाद खुद आगे का सफर तय किया। अब पिंकी स्याना के महेश्वरी कॉलेज से पांच वर्षीय एलएलबी कर रही है। तीन वर्ष की एलएलबी वह कर चुकी है। अभी दो वर्ष का कोर्स बाकी है।