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कोर्ट ने लीज की भूमि बेचे जाने को ठहराया गलत, प्रबंधको में मची खलबली
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प्रशासन की संदिग्ध भूमिका उजागर
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बिना गहन जांच के करोड़ो रूपयों की विवादित सम्पत्तियों की हुई रजिस्ट्री
संजय तिवारी |
मोदीनगर: मोदी ग्रुप की मोदी स्पिनिंग एंड विविंग मिल्स, हरियाणा डिस्टलरी व राजपूताना फर्टीलाईजर की ओर से एक बड़ा भूमि घोटाला कर करोड़ो रूपयों की भू सम्पत्ति बेचे जाने का मामला प्रकाश में आया है।
वर्ष 1945 में 99 साल के पट्टे पर गांव बिशोखर की दी गयी तकरीबन 281000 वर्ग मीटर भूमि पर बनी कोठियां, आवास, बैंक, व्यवसायिक काम्पलैक्स के हिस्से को बेचे जाने के मामले में प्रशासन की संदिग्ध भूमिका उजागर हुई है।
विवादित सम्पत्तियों के बैनामे हो रहे है। जब कि तीन माह पूर्व ही इन कम्पनियों के प्रबंधको की ओर से सिंचाई विभाग की भूमि पर बनी दुकानों तक बेचे जाने का खुलासा होने के बाद उस पर प्रशासन की ओर से रोक लगा दी गयी थी।
दरअसल, मोदी कपड़ा मिल परिसर में स्थित इन उत्पादन कम्पनियों को वर्ष 1945 में 99 वर्ष के लिये लीज पर गांव बिशोखर के किसानों की भूमि दी गयी थी। खसरा नंबर 676, 680, 681, 674, 714, 675, 671, 839 की लीज पर दी गयी भूमि पर ही सतीश पार्क, मोहन पार्क की भूमि पर आवासीय कॉलोनियां बनी। गैलार्ड बिल्डिंग, वर्क्स क्लब, कपड़ा मिल का वर्क्स क्लब, ईएसआई अस्पताल की शाखा, मोदी टायर फैक्ट्री आदि स्थापित रही।
लेकिन, इन कंपनियों के प्रबंधको ने हेरा फेरी करते हुये वित्तीय बोर्ड के दिये गये फैसले को तोड़मोड़ कर दर्शाकर इनमें से अधिकांश सम्पत्तियों को बेच डाला। करोड़ो रूपयों की इस भूमि को बेचे जाने को लेकर श्रमिक नेता एवं पूर्व पालिका चेयरमैन रामआसरे शर्मा के अलावा प्रभावित हुये किसानों ने जिला प्रशासन के समक्ष यह मुद्दा जोर शोर से उठाया।
प्रशासन की अनदेखी के चलते जहां सीलाईन महेंद्रपुरी में ईएसआई अस्पताल की शाखा, कपड़ा मिल की पीएनबी की भूमि बेचे जाने का मामला हाईप्रोफाइल हो जाने पर उस पर रोक लगी हुई है।
सिंचाई विभाग की भूमि पर बनी दुकानों को तोड़े जाने को लेकर बिल्डर का विरोध होने पर उक्त भूमि को बेचने पर रोक लगी। उसके बावजूद भी प्रशासन नहीं चेता। आरोप लगे हैं कि मिल के प्रबंधकों ने स्थानीय प्रशासन की सांठगांठ कर इन लीज की भूमि को बेच रहे है, बकायदा बैनामा हो रहा है, विक्रय पत्र रजिस्ट्रर्ड हो रहे हैं।
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