Wednesday, May 28, 2025
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110 बच्चों के लिए महज दो कमरे

  • हाल-ए-बेसिक शिक्षा: उच्च प्राथमिक विद्यालय रजपुरा में बच्चों के बैठने की पूरी जगह नहीं
  • महज दो कमरों में ही चल रहा स्कूल, आफिस और स्टोर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शिक्षा का अधिकार सभी को मिलना चाहिए चाहे कोई भी बच्चा कैसे भी परिवार से ताल्लुख रखता हो। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग चलाया जा रहा है। इस विभाग के द्वारा सरकार तमाम तरह की योजनाएं भी चलाती है जिससे गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षित किया जा सके।

साथ ही मध्यानतंर भोजन, निपुण भारत व डीबीटी योजनाओं के द्वारा बच्चों को सरकारी मदद भी मिलती है। लेकिन ऐसे भी कई स्कूल है जहां बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह का आभाव है। इसका उदाहरण है रजपुरा स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय जिसमें छात्रों की संख्या तो 110 है लेकिन उनके बैठने के लिए महज दो कमरे ही हैं।

लगातार बढ़ रही बच्चों की संख्या, संसाधनों का अभाव

उच्च प्राथमिक विद्यालय रजपुरा का संचालन 1971 से हो रहा है उस समय इसमें महज 20 छात्र थे। लेकिन धीरे-धीरे छात्रों की संख्या में इजाफा होता गया जो आज 110 तक जा पहुंचा है। लेकिन समय के साथ संसाधनों को नहीं बढ़ाया गया जिससे आज इस स्कूल में शिक्षा लेने के लिए आने वाले बच्चों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महज 22 बैंच है जिनपर कुल 44 बच्चों के बैठने की सुविधा है जबकि छात्रों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है।

गर्मी के मौसम में यहां बिजली की समस्या रहती है तो ऐसे में बच्चों के साथ शिक्षकों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 16 जुलाई से स्कूल खुलने के बाद स्टॉफ ने ही आपस में पैसे जमा करके 18,700 रूपये का इन्वर्टर लगवाया है।

22 27

जिससे बच्चों को यहां बैठने व पढ़ानें में कोई परेशानी न हो। स्टॉफ के लोगो ने बताया कई बार नए कमरे बनाने के लिए विभाग को लिखा जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में इन हालातों में किस तरह बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

तीन कक्षाओं का होता है संचालन

उच्च प्राथमिक विद्यालय रजपुरा में इस समय कुल 110 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हुआ है जबकि अभी भी दाखिले की प्रक्रिया जारी है जो सितंबर माह तक चलेगी। इनमें कक्षा छह में 42, कक्षा सात में 27 व कक्षा आठ में 41 छात्र शिक्षा लेने के लिए आते है। इनती बड़ी संख्या में बच्चों को शिक्षा दी तो जा रही है लेकिन उनके बैठने की व्यवस्था नहीं है। महज दो कमरों में पूरा स्कूल चल रहा है जिनमें विद्यालय इंचार्ज के बैठने से लेकर रसोई का सामान भी रखा है।

स्कूल के दो कमरों में तो कक्षा सात व आठ के बच्चे बैठते है जबकि कक्षा छह के बच्चों को रोजाना अलग-अलग जगहों पर बैठाया जाता है। बरसात के मौसम में पंचायत भवन के बरांडे में तो चिलचिलाती धूप में खुले आसमान के नीचे बैठाया जाता है। कुल पांच लोगों का स्टाफ है जिनमें एक इंचार्ज, तीन सहायक अध्यापक व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दीपक शर्मा है। लेकिन जिस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की स्कूल में बच्चों की देखभाल के लिए तैनाती है उसे भी पिछले चार साल से बीआरसी रजपुरा में सम्बद्ध कर रखा है।

भ्रष्टाचार में लिप्त रहे बीइओ का तबादला

बीआरसी रजपुरा के खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा बिना कारण शिक्षकों का वेतन अवरूद्ध करने, फर्जी नियुक्तियों के आधार पर नौकरी करने वाले भाइयों के बरखास्त होने समेत एक शिक्षिका पर बच्चों को फेल करने की जांच में शिथिलता बरतने पर गाज गिरी है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने खण्ड शिक्षा अधिकारी रजपुरा समेत छह अन्य बीइओ के तबादले कर दिये। गौरतलब है कि खण्ड शिक्षा अधिकारी रजपुरा कमल राज ने सहायक अध्यापिका का दो दिन का वेतन बिना उचित कारण अवरूद्ध किया था।

जिसकी गूंज गोरखपुर तक पहुंची थी साथ ही दो भाइयों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने के बाद प्रकरण में कार्रवाई होने पर उन्हें बर्खास्त किया गया था जिसके बाद इनके खिलाफ विभाग से पाए गए वेतन की रिकवरी के लिए पुलिस में एफआइआर दर्ज करानी थी जो कमल राज द्वारा नहीं कराई गई। जबकि रजपुरा की ही एक शिक्षिका पर लगे बच्चों को फेल करने के आरोपों की भी जांच इन्ही के द्वारा की जा रही थी।

जिसे इन्होंने ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसी तरह के अन्य प्रकरणों के चलते बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधारी ने कमल राज समेत छह अन्य खण्ड शिक्षा अधिकारियों का तबादला कर दिया है। कमल रात की जगह सुरेन्द्र सिंह को खण्ड शिक्षा अधिकारी बनाया गया है। जबकि अजय कुमार को नगर क्षेत्र प्रथम, नरेन्द्र सिंह को मेरठ ग्रामीण, श्याम मोहन अस्थाना को नगर क्षेत्र तृतीय, कमल राज को हस्तिनापुर, राहुल धामा को जॉनी व कुसुम सैनी को माछरा का खण्ड शिक्षा अधिकारी बनाया गया है।

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