Sunday, June 29, 2025
- Advertisement -

पुत्रों की दीघार्यु के लिए अहोई का व्रत

  • संतान प्राप्ति के लिए भी अहोई माता की पूजा-अर्चना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: संतान की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए किया जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत पूजा पूरे शहर में किया। व्रत रखने वाली महिलाओं ने माता पार्वती की पूजा की। महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर व्रत का संकल्प लिया। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखकर शाम को सूर्यास्त के बाद माता की पूजा कर व्रत को पूरा किया। इससे पहले कथा सुनी और प्रार्थना कर मनोकामना की। कुछ महिलाओं ने संतान प्राप्ति और अखंड सुहाग प्राप्ति की कामना से भी ये व्रत किया।

नारदपुराण के अनुसार सभी मासों में श्रेष्ठ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कर्काष्टमी नामक व्रत का विधान बताया गया है। इसे लोकभाषा में अहोई आठें या अहोई अष्टमी भी कहा जाता है। शास्त्र पुराणों में कहा गया है कि अहोई का शाब्दिक अर्थ है-अनहोनी को होनी में बदलने वाली माता। इस संपूर्ण सृष्टि में अनहोनी या दुर्भाग्य को टालने वाली आदिशक्ति देवी पार्वती हैं, इसलिए इस दिन माता पार्वती की पूजा-अर्चना अहोई माता के रूप में की जाती है।

अहोई अष्टमी की पूजा विधि

अंसल कोर्ट यार्ड के शिव दुर्गा मंदिर के पुजारी पंड़ित संदीप पेन्यूली ने बताया कि अहोई का अर्थ अनहोनी को को होनी बनाना होता है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी का व्रत दिनभर निर्जल रहकर किया जाता है। अहोई माता का पूजन करने के लिए महिलाएं तड़के उठकर मंदिर में जाती हैं और वहीं पर पूजा के साथ व्रत प्रारंभ होता है और शाम को पूजा करके कथा सुनने के बाद ये व्रत पूरा किया जाता है।

Untitled 1 copy 1 scaled

कई जगह ये व्रत चंद्र दर्शन के बाद भी खोला जाता है। इस दिन महिलाएं शाम को दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाती हैं और उसके आसपास सेई व सेई के बच्चे भी बनाती हैं। कुछ लोग बाजार में कागज के अहोई माता के रंगीन चित्र लाकर उनकी पूजा भी करते हैं। कुछ महिलाएं पूजा के लिए चांदी की एक अहोई भी बनाती हैं, जिसे स्याऊ कहते हैं और उसमें चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों में विधान का उल्लेख है।

विधान में तो कहा गया है कि तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा शुरू होती है। पूजन से पहले जमीन को साफ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की तरह चौकी के एक कोने पर रखते हैं और फिर पूजा करते हैं। इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनी जाती है। पंड़ित संदीप पेन्यूली ने बताया कि कृष्णा अष्टमी के नाम से अहोई अष्टमी के पर्व पर माताएं अपने पुत्रों के कल्याण के लिए अहोई माता व्रत रखती हैं।

परंपरागत रूप में यह व्रत केवल पुत्रों के लिए रखा जाता था, लेकिन अपनी सभी संतानों के कल्याण के लिए आजकल यह व्रत रखा जता है। माताएं, बहुत उत्साह से अहोई माता की पूजा करती हैं तथा अपनी संतानों की दीर्घ, स्वस्थ्य एवं मंगलमय जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। तारों अथवा चंदमा के दर्शन तथा पूजन कर के ये व्रत पूर्ण किया जाता है। व्रत संतानहीन युगल के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है अथवा जिन महिलाओं को गर्भधारण में परेशानी हो रही हैं अथवा जिन महिलाओं का गर्भपात हो गया हो, उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए अहोई माता व्रत करना चाहिए।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Meerut News: सरकार 2जी मोबाइल से 5जी का काम नहीं हो रहा

जनवाणी संवाददाता |रोहटा: आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सरकार 2जी मोबाइल...

Meerut News: अमृत योजना में अटकी तालाबों की सफाई

जनवाणी संवाददाता |मेरठ: महानगर में तालाबों की गंदगी लाखों...

Meerut News: एडीजी ने किया पल्लवपुरम थाने और कांवड़ यात्रा को लेकर हाईवे का निरीक्षण

जनवाणी संवाददाता |मोदीपुरम: एडीजी ने निरीक्षण के दौरान थाने...
spot_imgspot_img