Sunday, July 20, 2025
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सिस्टम की शह से तालाब की शेष जमीन पर भी अवैध कब्जा

  • शिजरे से तालाब का हिस्सा समाप्त करने की कवायद
  • एसडीएम के निर्देश पर पहुंचे लेखपाल लौटे बैरंग

जनवाणी संवाददाता |

फलावदा: सिस्टम की शह पर सरकारी जमीन पर कब्जे किए जाने के क्रम में फिर से अवैध कब्जा शुरु हो गया। नगर पंचायत और राजस्व विभाग की दरयादिली के चलते अवैध कब्जों से बची तालाब की भूमि भी गुरुवार को कब्जे की भेंट चढ़ गई। इस शेष ज़मीन पर तालाब को समतल करके रातों रात अवैध कब्ज़ा कर लिया गया। शिजरे से इस तालाब के आंशिक भाग के अस्तित्व को समाप्त किए जाने की कवायद की चर्चा हो रही है। एसडीएम के निर्देश पर मौके पर पहुंचे लेखपाल कार्यवाही के बजाय पेमाइश की बात कहकर बैरंग लौट गए।

नगर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे किए जाने की चली आ रही परंपरा में सिस्टम की शह पर बेशकीमती सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। गुरूवार को अवैध कब्जे का मामला नगर के मोहल्ला कानीपट्टी में अंजाम दिया गया है। यहां स्थित खसरा नंबर 477 तथा 1798 में दर्ज तालाब की भूमि पर अवैध कब्जे करके पक्के रास्ते तथा भवन निर्माण तो पहले से होते आ रहे हैं लेकिन अब शेष ज़मीन भी भूमाफियाओं के निशाने पर है। करीब 32 बीघा भूमि के रकबे वाले इस तालाब के आधे भाग पर अवैध कब्जे हो चुके है। हाल ही में तालाब के आंशिक भाग पर मिट्टी डाल कर समतल करके रास्ते का जा रही है लेकिन नगर पंचायत और राजस्व विभाग आंखे मूंदे हुए है। बताया गया है कि शिजरे से ही तालाब का भाग गायब करने की कवायद हो रही है।

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उल्लेखनीय है कि अवैध कब्जे के खेल में हुई शिकायत के निस्तारण में राजस्व विभाग ने अवांछनीय कारणों से 477 में अंकित तालाब के रकबे को खसरा संख्या 1798 के रकबे से पूरा दिखा दिया था। अब नए कब्जों को लेकर राजस्व विभाग अनजान बन रहा है। बताया जा रहा है कि माफियाओं के इशारे पर शिजरे में भी छेड़ छाड़ की जा रही है। गुरुवार को एसडीएम अखिलेश यादव के निर्देश पर लेखपाल ने मौके पर पहुंच कर मुआयना किया लेकिन हाल ही में किए जा रहे अवैध कब्जा हटवाने में लाचार वह लाचार दिखे। उन्होने समीप ही चल रहे निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करके पेमाइश की बात कही है। तालाब में रास्ते के नए निर्माण पर सिस्टम के नुमाइंदे आंखे मूंद रहे है।मनमानी के चलते सुप्रीम कोर्ट द्वारा तालाब बहाली के जारी आदेश प्रशासन के लिए बेमानी हो रहे है। सिस्टम की उदासीनता के कारण भू माफिया सरकार के नियम कायदों तथा आदेश निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे हैं। कस्बे सरकारी जमीनों पर कब्जे होते आ रहे है। लेखपाल वरुण का कहना है कि फिलहाल काम रुकवा दिया गया है।

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