देश में डॉक्टर बनाने को लेकर सबसे बड़ी परीक्षा नीट में जिस प्रकार भ्रष्टाचार, घोटाले और घपले के मामले सामने आ रहे हैं, उसमें सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने और एनटीए को फटकार के बावजूद सही तरीके से कार्रवाई नहीं हो रही है। कहने को अब ये मामला सीबीआई की जांच के दायरे में हैं, लेकिन असली दोषियों और दलालों को सजा मिल सकेगी, ये हाल की कार्रवाई से तो नहीं लगता। सीबीआई और पुलिस सिर्फ मेडिकल छात्रों को ही गिरफ्तार किए जा रही है। दलालों और भ्रष्टाचार में लिप्त परीक्षा कराने वाले नेताओं, अफसरों, कर्मचारियों और पेपर रटाने या नकल कराने वाले टीचरों की गिरफ्तारियां इसमें नहीं की जा रही हैं। बिहार में चार छात्रों की गिरफ्तारी के बाद अब राजस्थान में 10 मेडिकल के छात्र गिरफ्तार किए गए हैं। लेकिन असली खेल जहां से हुआ, वहां न तो सीबीआई पूछताछ करने की हिम्मत कर पा रही है और न ही पुलिस के हाथ भ्रष्ट अफसरों के गिरेबान तक पहुंच रहे हैं। अगर भ्रष्ट अफसर पकड़े गए, तो फिर कुछ नेता और हो सकता है कि मंत्री तक लपेटे में आ जाएं। नीट की परीक्षा में हुए पेपर लीक और पैसे के दम पर 67 छात्रों को टॉपर घोषित करने का जो खेल हुआ, ग्रेस मार्क्स देने का जो खेल हुआ, उसे लेकर न सिर्फ देश भर के छात्र, बल्कि विपक्ष भी केंद्र की मोदी सरकार से जवाब चाहता है और इसी को लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 28 जून को संसद में सरकार से सवाल पूछने चाहे, लेकिन हैरानी हुई कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उनका माइक बंद कर दिया। उन्होंने न सिर्फ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का माइक बंद कर दिया, बल्कि साफ शब्दों में ये भी कह दिया कि उनकी बात को संसद के रिकॉर्ड में नहीं रखा जाएगा। इसके बाद संसद में हंगामा हुआ और लोकसभा के 28 जून के संसद सत्र को स्थगित कर दिया गया। क्या ओम बिड़ला इस मामले को सुनने की जगह सरकार का बचाव करने का काम कर रहे हैं? क्या उनकी दोबारा इस पद पर नियुक्ति इसी के चलते हुई है? क्या वो सरकार के नुमाइंदे के रूप में काम कर रहे हैं? ओम बिड़ला सभी के स्पीकर हैं और उन्हें सभी की बात सुननी चाहिए। मुझे याद आता है कि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में भी यही काम किया था और विपक्ष के तकरीबन 143 सांसद बर्खास्त करके विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाही का एक रिकॉर्ड बनाया था, जो किसी दूसरे स्पीकर ने कभी नहीं बनाया और एक तरह से ये साबित कर दिया था कि वो केंद्र सरकार के लिए ही काम करते हैं।
बहरहाल, केंद्र की मोदी सरकार चाहे जिस तरह की भी कोशिश कर ले और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी चाहे जो कर लें, लेकिन नीट पेपर के लीक होने का मुद्दा मोदी सरकार के गले की फांस बन चुका है, जिसे लेकर पहले से ही पेपर लीक के कई मामलों से जूझ रहे देश भर के छात्रों में गुस्सा है और वो आंदोलन पर उतर आए हैं। विपक्ष इस मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को हर रोज घेरने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि अब संसद सत्र चल तो रहा है, लेकिन उसमें विपक्ष को कुछ भी नहीं समझा जा रहा है। ये तब है, जब इस बार विपक्ष काफी मजबूत है और एनडीए के साथ खड़े आरजेडी या टीडीपी पार्टियों में से एक ने भी हाथ खींचे, तो सरकार गिर जाएगी और विपक्ष केंद्र में अपनी सरकार बनाने की स्थिति में आ सकता है। इतने पर भी स्पीकर ओम बिरला का राहुल गांधी को समय देने से साफ इनकार करना मोदी सरकार के प्रति उनके झुकाव को साफ-साफ दर्शाता है। गौर करने वाली बात ये है कि नीट परीक्षा के पेपर लीक को लेकर जिस वक्त सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ था, उस वक्त नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का माइक बंद कर दिया गया। लेकिन जब राहुल गांधी और दूसरे विपक्ष के सांसदों ने ओम बिड़ला पर माइक बंद करने का आरोप लगाया, तो वो इससे मुकर गए और बोले कि यहां पर कोई बटन नहीं होता है, जिससे माइक को बंद किया जाए। स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि सभी सासंदों को पहले ही अवगत कराया गया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब के लिए आपको समय दिया जाएगा। लेकिन माइक बंद होने के बावजूद राहुल गांधी बोले और उन्होंने कहा कि हम विपक्ष और सरकार की ओर से भारत के छात्रों को एक संयुक्त संदेश देना चाहते हैं कि ये हमारे लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस मामले के बाद जब संसद स्थगित की गई, तो विपक्षी सांसद गुस्से में दिखे। वहीं इस घटना के बाद कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया, जिसमें उसने लिखा कि जहां एक ओर नरेंद्र मोदी नीट पर कुछ नहीं बोल रहे, उस वक्त विपक्ष के नेता राहुल गांधी जी युवाओं की आवाज सदन में उठा रहे है, लेकिन ऐसे गंभीर मुद्दे पर माइक बंद करने जैसी ओछी हरकत करके युवाओं की आवाज को दबाने की साजिश की जा रही है।
बहरहाल, केद्र की मोदी सरकार को समझने की जरूरत है कि लोकतंत्र में उसे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को छुपाने और अपनी आवाज उठाने वालों की आवाज दबाने का कोई अधिकार नहीं है। उसका काम निष्पक्ष रूप से देश और देश के हर तबके के लोगों के हितों में काम करना है, न कि जवाबदेह मुद्दों को अपने हिसाब से मोड़ते-तोड़ते हुए उन पर पर्दा डालने का काम केंद्र सरकार का है। नीट की परीक्षा से लेकर नेट की परीक्षा हो, चाहे उत्तर प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा हो, जिन-जिन परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं, उन्हें केंद्र की मोदी सरकार को दोबारा आयोजित कराना चाहिए और साथ ही साथ पेपर लीक करने वाले भ्रष्टाचारी कर्मचारियों और अफसरों को सजा देने के लिए एजेंसियों को सही दोषियों को पकड़कर लाने का काम करना चाहिए। इसके साथ ही छात्र जो फीस पेपर के लिए जमा कर चुके हैं, उस राशि के बदले या तो दोबारा परीक्षा आयोजित करनी चाहिए या फिर छात्रों को पैनाल्टी के साथ उनका फार्म भरने और भेजने का खर्चा लौटाना चाहिए।
सरकार को ये भी सोचना चाहिए कि जब रिश्वत के दम पर नकल करके छात्र मेडिकल कॉलेजों में पहुंचेंगे और कल को जब वो डॉक्टर बनेंगे, तो उनके आधे-अधूरे डॉक्टरी के ज्ञान के चलते न जाने कितने ही मरीजों की जिंदगी खतरे में पड़ेगी और न जाने कितने ही लोग इलाज के दौरान मारे जाएंगे। क्योंकि वो रिश्वत देकर परीक्षा पास करने के लिए उत्सुक रहते हैं, लिहाजा उन्हें पढ़ाई से उतना लेना-देना नहीं होता है, जितना एक डॉक्टर को होता है, क्योंकि वो सोचते हैं कि किसी प्रकार से उनके पास डॉक्टर की एक डिग्री होनी चाहिए, जिससे वो अपनी खुद की दुकान यानि क्लीनिक या अस्पताल आदि खोलकर बैठ सकें या किसी बड़े अस्पताल में नौकरी पा सकें। डिग्री मिलने के बाद कौन पूछ रहा है कि उन्हें डॉक्टरी का कितना ज्ञान है? तो इस प्रकार भी कम सझदार और नीट परीक्षा देने के लिए जरूरी पढ़ाई न कर पाने वाले भी कल को डॉक्टर बनकर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करेंगे।