- चंद कदम की दूरी पर कैंट बोर्ड आफिस, लेकिन अफसरों को नहीं आता नजर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंट बोर्ड जहां अध्यक्ष/ब्रिगेडियर व सीईओ कैंट समेत बोर्ड के तमाम सेक्शन जिनमें इंजीनियरिंग, सेनिटेशन व रेवेन्यू भी शामिल हैं के हेड बैठते हैं, वहां से आॅफिस से चंद कदम की दूरी बॉम्बे बाजार चैपल स्ट्रीट स्थित 167 जहां कभी पैलेस सिनेमा हुआ करता था, पहली बात तो यह कि बोर्ड ने जो इसका नक्शा पास किया था, उसकी मियाद जुलाई में खत्म हो चुकी है।
बीते जुलाई माह तक यह काम खत्म कर लिया जाना चाहिए था, लेकिन वहां मौके पर अवैध रूप से निर्माण का काम जारी है। इसके अलावा सबसे बड़ा सवाल यह कि 167 का जो नक्शा कैंट बोर्ड की बैठक में पास किया गया था। उसमें जिन निर्माणों का उल्लेख है उनमें सिनेमा हाल व शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी शामिल है।
दरअसल इसमें पहले पैलेस सिनेमा के नाम से सिनेमा हाल ही हुआ करता था। शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के नाम पर कितनी दुकानों की अनुमति है और कितनी मौके पर बनायी जा रही हैं। यह देखने का काम सीईओ कैंट का है। इसके अलावा यह भी कि वहां सिनेमा हाल बनाया जा रहा है या नहीं यह भी सीईओ कैंट बोर्ड ही देखें।
रक्षा मंत्रालय ने कर दिया था प्रस्ताव खारिज
167 पैलेस सिनेमा में निर्माण के लिए 4 जनवरी 2008 को बोर्ड की बैठक में नक्शा पास किया गया था। उस वक्त सीईओ केसी गुप्ता व सब एरिया कमांडर विपिन नोटियाल हुआ करते थे। बोर्ड ने नक्शा पास कर रक्षा मंत्रालय को भेज दिया था। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने कैंट बोर्ड के उक्त प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। नक्शा निरस्त किए जाने विरोध में आवेदन करने वाला राजेश अग्रवाल हाईकोर्ट चला गया।
2011 में एक रिट पिटिशन दिल्ली हाईकोर्ट में दायर कर दी गयी, लेकिन वहां से राजेश अग्रवाल के पक्ष में फैसला आ गया। इसके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अपील की गई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद राजेश अग्रवाल कैंट बोर्ड के अफसरों को कोर्ट में पटखनी देने में सफल हो गया। जब कोर्ट में कैंट बोर्ड को पटखनी दे दी गयी उसके बाद बारी आयी पैलेस सिनेमा की बिल्डिंग की नक्शा पास कराए जाने की।
बोर्ड से नक्शा पास होने के बाद उसके एक्सटेंशन को लेकर जो कुछ कारगुजारियां की गई और उसके क्या-क्या साइड इफेक्ट रहे वो सब पब्लिक डोमेन मे हैं। बताया गया है कि फरवरी 2024 को इसका निर्माण पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन यह आज भी जारी है। दरअसल, इसको लेकर राजेश अग्रवाल की मदद का काम बोर्ड के स्टॉफ ने किया।
जो आवेदन किया गया था बताया जाता है कि स्टॉफ ने सेटिंग-गेटिंग कर उसको लिखा पढ़ी में देरी कर दी। ऐसा केवल मदद के लिए किया गया। इस मदद के बाद भी निर्माण का काम जुलाई माह में खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन मौके पर आज भी निर्माण कार्य जारी है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है।
सीईओ को जानकारी है या नहीं
जुलाई माह में एक्सपायर हो चुके नक्शे के बाद भी 167 में अवैध से निर्माण का काम जारी है इसको लेकर सीईओ कैंट को जानकारी है या नहीं यह बड़ा सवाल है। या फिर यह तथ्य जानबूझ कर उनसे छिपाया गया है। यह जांच का विषय है। फिलहाल जो निर्माण चल रहा है वो अवैध है, क्योंकि नक्शा तो अस्वीकृत हो चुका है।