Saturday, May 10, 2025
- Advertisement -

यूपी उपचुनाव में ‘बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं’ नारा का चला जादू, योगी की रणनीति ने महाराष्ट्र में भी दिलाया फायदा

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: यूपी की नौ सीटों में हुए उपचुनाव के परिणाम करीब-करीब साफ हो गए हैं। भाजपा सहयोगी दलों के साथ सात सीटों पर निर्णायक बढ़त पर है। चुनाव परिणाम इस बात का साफ इशारा कर रहे हैं सीएम योगी आदित्यनाथ की आक्रामक छवि, धार्मिक एकजुटता का उनका एजेंडा और जातियों में न बंटने वाली उनकी अपील काम कर गई।

मतदाताओं ने बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर अपनी मुहर लगाई। लोकसभा चुनावों के उलट इन चुनावों में भाजपा से छिटका ओबीसी और दलित वर्ग भी उसके साथ आया है। परिणाम बता रहे हैं कि दलितों ने सपा को उस तरह से वोट नहीं किया जैसे उसने लोकसभा के चुनावों में वोट किया था। कांग्रेस की इन चुनावों से दूरी भी सपा के लिए नुकसानदेह और भाजपा के लिए फायदेमंद रहीं।

कटेंगे तो बंटेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिया गया ऐसा नारा है जो यूपी से फूटा और देखते ही देखते पूरे देश में फैल गया। पीएम मोदी द्वारा इसी को एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे कहकर बोला गया। यूपी के उपचुनावों के महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे यह बता रहे हैं कि इस नारे ने जमीन तक में काम किया है।

लोकसभा का चुनाव धर्म से उठकर पूरी तरह से जातियों के बीच का चुनाव हो गया था। राम मंदिर वाली फैजाबाद की सीट भाजपा का हारना इस बात का संकेत था कि लोगों ने धर्म के मुद्दे पर वोट नहीं किया। जातीय जनगणना और संविधान बचाने के मुद्दे धर्म पर भारी पड़े। लोकसभा चुनाव से उलट नौ सीटों के इस चुनाव में धार्मिक एकजुटता देखने को मिली। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन चुनावों की कमान खुद अपने हाथ में ली।

उन्होंने हर छोटी-बड़ी रैली में धार्मिक एकजुटता की बात कही। बंटेंगे तो कटेंगे विचारधारा के स्तर पर भाजपा की कोई नई लाइन नहीं है। भाजपा सदैव ही हिंदुओं के एकजुट रहने की बात कहती आई है लेकिन इन चुनावों में इस नारे ने एक अलग तरह का असर किया। चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि लोगों ने जाति के ऊपर धर्म को चुना।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी ही नहीं महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में भी हिंदू एकजुटता को प्रमुखता से उठाया। महाराष्ट्र में यह नारा गहराई से असर करता दिखा। सीएम ने अपनी हर रैली में लोगों से जाति के आधार पर वोट न करने की अपील की। सीएम की इस अपील की लाइन पर भाजपा के दूसरे नेताओं ने भी अपना प्रचार किया।

लोकसभा से उलट भाजपा इस बार अति आत्मविश्वास के मूड में नहीं थी। उसने सोशल इंजीनियरिंग के अनुसार उम्मीदवारों को टिकट दिए। एक-एक सीट के अनुसार रणनीति बनाई। पार्टी के कार्यकर्ता सुस्त न हों इसके लिए लगातार बैठकों का दौर जारी रहा। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने भी पक्ष में जनमत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

इन चुनावों में यूपी में जाति जनगणना और संविधान का मुद्दा गायब रहा। कांग्रेस के इन चुनावों में दूरी बनाने का भी प्रदेश में इसका असर रहा। संविधान और जातीय जनगणना को प्रमुखता से उठाने वाले राहुल गांधी यूपी से पूरी तरह से गायब रहे। सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने के बाद से कांग्रेस ने राज्य से दूरी बनाई। बड़े नेताओं के साथ कांग्रेस के स्थानीय नेता भी चुनाव प्रचार में सपा के साथ नहीं दिखे।

मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भाजपा ने एतिहासिक बढ़त बनाई। इस सीट पर 1992 के बाद से भाजपा ने जीत दर्ज नहीं की थी। जातीय और सामजिक आधार पर समीकरण भाजपा के पक्ष में नहीं थे। कुंदरकी के परिणाम बताते हैं कि मुस्लिमों ने भी भाजपा के प्रत्याशी को वोट दिए। मुस्लिम बाहुल्य सीट पर सपा की हार ने सपा के पारंपरिक वोट बैक पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Meerut News: मदर्स-डे पर बीएसएनएल ने उपभोक्ताओं को दिया उपहार

जनवाणी संवाददाता |मेरठ: मां के त्याग, स्नेह और सम्मान...

Meerut News: क्रांतिकारियों की मदद को सड़कों पर उतर आए थे लोग

जनवाणी संवाददाता |शेखर शर्मामेरठ: 10 मई 1857 की क्रांति...

Meerut News: अग्निपरीक्षा के लिए तैयार फायर ब्रिगेड महकमा

जनवाणी संवाददाता |मेरठ: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के सैन्य...
spot_imgspot_img