- व्यापारियों में मची खलबली, 2500 से ज्यादा आवासीय जमीन पर बने हुए हैं दुकानें और शोरूम
- 10 साल से कोर्ट में चल रही थी सुनवाई, फैसला आते ही व्यापारियों में छाई दहशत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल बाद कड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद इस मार्केट के व्यापारियों में खलबली मच गई। हालांकि यह आदेश शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल मार्केट के ध्वस्तीकरण के लिए है। इसके लिए व्यापारियों को तीन माह में दुकानें खाली करनी होगी। दो सप्ताह बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। आवासीय भवनों में चल रही व्यावसायिक गतिविधि शोरूम, दुकान और आॅफिस आदि के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों को मंगलवार को बड़ा झटका दिया है। करीब डेढ़ हजार से ज्यादा ऐसे निर्माण ध्वस्त होंगे। वहीं, सेंट्रल मार्केट के पूर्व अध्यक्ष किशोर वाधवा कहना है कि कोर्ट का फैसला व्यापारियों के खिलाफ आया है। इसके लिए भाजपा की योगी सरकार ही कुछ कर सकती है।
ये है मामला
नई सड़क से लेकर सेंट्रल मार्केट आवास विकास परिषद के रिकॉर्ड में आवास विकास के रिकॉर्ड में आवसीय संपति दर्ज है। यह मामला 2013 में जब हाईकोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट से व्यापारियों को कोई राहत नहीं मिली। तभी लोग 2014 में सुप्रीम कोर्ट गए थे। तब से यह मामला कोर्ट में चल रहा था। सेक्टर छह और सेक्टर तीन के बीच बने इस मार्केट में 2563 आवासीय भूंखड आवंटित किए गए। जिसमें 9770 भवन बने हैं। 571 लोगों ने इन आवासीय भूखंडों का भूउपयोग परिवर्तन कर बड़ी दुकानें व शोरूम बना लिए।
10 साल पहले शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट में कुछ लोगों ने आवासीय मकानों को तोड़कर उसमें कॉमर्शियल शोरूम, कॉम्प्लेक्स, अपार्टमेंट, दुकानें बना ली। इसके बाद आवास विकास ने उन्हें तोड़ना चाह तो व्यापारी सुप्रीम कोर्ट में चले गए। 10 साल तक सेंट्रल मार्केट में आवासीय जमीन पर बनी दुकानों व कॉम्प्लेक्स का मामला कोर्ट में चल रहा था। मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई ही। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आवासीय क्षेत्र में भू-उपयोग परिवर्तन कर हुए सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं।
इसके लिए भवन स्वामियों को परिसर खाली करने के लिए तीन माह का समय दिया जाएगा। इसके दो सप्ताह बाद आवास एवं विकास परिषद को अवैध निर्माणों को ध्वस्त करना होगा। मंगलवार को आदेश आते ही व्यापारियों में दहशत का माहौल बन गया। उन्होंने कहा कि आवास विकास इंजीनियरों ने सर्वे में गलत रिपोर्ट कोर्ट में भेजी है। जिससे सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अपना नया कानून बनाकर आवासीय जमीन पर बनी दुकानों को ध्वस्तीकरण से बचा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर को मांगी थी स्टेटस रिपोर्ट
10 वर्ष बाद 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आदेश सुरक्षित रखते हुए आवास विकास परिषद से 499 भवनों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी, जिसे तैयार करके परिषद ने कोर्ट में दाखिल कर दिया। इसमें इंजीनियरों ने रिपोर्ट में भेजा था कि यहां पर सभी मकानों पर दुकानें व कॉम्प्लेक्स बने हुए है। जो नियमविरुद्ध है। उन्हें ढहाया जाना चाहिए। उनकी रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
व्यापार बचाओ समिति के पदाधिकारियों ने की बैठक
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही व्यापार बचाओं समिति के पदाधिकारियों ने शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट में एक मीटिंग की। जिसमें व्यापारियों ने अपने अधिवक्ताओं की विधिक राय ली। समिति के अध्यक्ष जितेंद्र अग्रवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भूखंड 661/6 के अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के आदेश कर दिए है। इसके साथ ही आवासीय क्षेत्र में हुए व्यावसायिक निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं।
डीएम व एसएसपी की निगरानी में ढहाया जाएगा अवैध निर्माण
वहां से कोर्ट ने फैसला दिया कि व्यापारियों को तीन माह में अपनी दुकानें खाली करनी होगी। दो सप्ताह बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। डीएम व एसएसपी की निगरानी में अवैध निर्माण ढहाया जाएगा। इस कार्य में सभी प्राधिकारी सहयोग करेंगे अन्यथा कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई की जाएगी।
सेंट्रल मार्केट में 250 लोगों का चल रहा परिवार
सुप्रीम कोर्ट का आदेश सेक्टर 661/6 शास्त्री नगर के आवासीय भूखंड के लिए आया। भूखंड के मालिक किशोर वाधवा ने बताया कि यह प्लाट 365 गज में है। यह आवास विकास से वीर सिंह के नाम अलाट हुआ था। यह आधा बना हुआ था। उन्होंने इसे 1989 में खरीदा। इसके बाद उसमें कॉम्प्लेक्स बनाकर 22 दुकानें बनाई गई। यह दुकानें अधिकतर बिक चुकी है। जिन्होंने दुकानें खरीदी है। उन्होंने इससे किराये पर दे रखा है। जिसमें इस कॉम्प्लेक्स में बनी 22 दुकानों से करीब 250 लोगों का परिवार चल रहा है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि से बात की गई है। वह उसे शासन से नया कानून लाकर उस अवैध निर्माण को काम्लाउंडिग कराकर बचा सकते हैं।
आवास एंव विकास के पूर्व इंजीनियरों के खिलाफ भी होगी कार्रवाई
कोर्ट ने इसके साथ ही आवास एवं विकास के उन सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी आपराधिक एवं विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। जिनके कार्यकाल में ये सबकुछ होता रहा।