- शताब्दीनगर में चल रही शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने किया कथा का रसपान, भगवान आशुतोष की भक्ति में नजर आए लीन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शिव के दर पर बढ़ता हुआ आस्था का जनसैलाब अर्थात इस बात का साक्ष्य है कि लोगों का भरोसा अभी टूटा नहीं है। उम्मीदें अभी जिंदा है। शताब्दी नगर में चल रही शिव महापुराण कथा में अंतर्राष्ट्रीय कथावचक पं. प्रदीप मिश्रा की तीसरे दिन कथा का रसपान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। विशाल पंडाल श्रद्धालुओं से पूरी तरह से खचाखच भरा नजर आया। ठंड में भी लाखों श्रद्धालु कथा में भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन नजर आए।
कथा के तीसरे दिन व्यास पूजन भगवती कॉलेज से डा. निधि बंसल द्वारा किया गया। जिसके पश्चात ओम शिवाय नमस्तुभ्यं के जाप के साथ कथा का आरम्भ किया गया। कथा प्रारंभ करते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि समुद्र के अंदर खजाना है, जिसमें बहुत सारे रत्न, मोती व आभूषण है। बस उन्हें निकालने वाला कोई चाहिए। समुद्र में सब समाया हुआ है। समुद्र को देखने से वह खजाना नहीं मिल सकता और न ही समुद्र के तट पर घूमने से मिलेगा और न ही समुद्र के जल में नहाने से वह खजाना प्राप्त होगा।
शिवमहापुराण कथा कहती है कि जिसने समुद्र के अंदर डुबकी लगा ली, उसको रत्न अर्थात खजाना अवश्य मिलेगा। कहते हैं कि शिव महापुराण शंकर का स्वरूप है, जब हम कथा पढ़ते हैं तो शिव को अपने अंदर बुला लेते हैं। समुद्र के किनारे पर कभी आबादी नहीं होती और शिव को जल चढ़ाने वाले की कभी बर्बादी नहीं होती। जल देने वाले पात्र से भोले समझ जाते हैं कि भक्त किस वक्त क्या मांगने आया है और उसे क्या देना है?
सनातन धर्म को मजबूत बनाने पर दिया जोर
कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि समझदार और नालायक में बड़ा अंतर होता है। नायक हमेशा दूसरों से लड़ेगा नालायक अपनों से ही लड़ता है। जो सनातनी होकर भी हिंदुओं व सनातन धर्म का विरोध करें वो नालायक है। उन्होंने कहा सनातनी आगे बढ़ रहा है। राष्ट्र की रक्षा कर रहा है, राष्ट्र को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है तो हर सनातनी को उनका साथ देना चाहिए कई लोग ऐसे हैं जो दिन भर पैर खींचते हैं। अभी सनातन धर्म मजबूत करना होगा सबसे बड़ी परेशानी होती है। जब अपनों से लड़ते हैं जरा से धन, सत्ता, वैभव और लोभ के कारण सनातन धर्म बुरा लगने लगता है और धर्म श्रेष्ठ लगते हैं।
घर के शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाओ
अगर रोज मंदिर नही जा सकते तो अपने घर के शिवलिंग पर जल चढ़ाओ अगर घर पर भी जल नही चढ़ा पा रहे हो तो किसी बेलपत्र के वृक्ष के नीचे जल चढ़ाओ भोले बाबा कृपा कर देते हैं। साल के किसी एक सोमवार को तीन नियम बनाओ पहले भगवान शंकर को मंदिर जाकर जल चढ़ाओ, दोपहर में बेलपत्र की पेड़ के नीचे एक अक्षत रखकर उसकी परिक्रमा लो व बेलपत्र के पेड़ के नीचे शाम को भगवान के मंदिर में घी का एक दीपक जलाओ।
दूसरे की पीड़ा को जरूर समझो
कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हर पानी का अपना एक अलग स्वाद है, हैंडपम्प, कुएं, बोर का पानी यहां तक कि नेत्र के आंसू भी बता देते हैं कि खुशी के है या दुख के है। खुशी के आंसू ठंडे होते हैं, दुख के आंसू गरम होते हैं। आप हम जौहरी नहीं है। भोले ने जिसको जन्म दिया है, उसको जौहरी बनाकर पैदा किया है कि आप भले ही हीरे को न समझो पर अपने नजदीक में कोई दुखी है तो उसकी पीड़ा को जरूर समझो। शंकर कहते हैं उसकी पीड़ा का स्मरण करो। कथा कहती है हीरे को समझने और परखने वाले बहुत मिलेंगे पर किसी की पीड़ा को समझने वाले कम मिलेंगे।
कपास की बत्ती बनाकर दान करने से मिलता है फल
आज भी भारत की कई माताए ऐसी है जो हाथ से कपास की बत्तियां बनाकर दान कर देती है। अग्निपुराण में कहा गया है कि जब भी कोई कपास की बत्ती का निर्माण करता है। उसमे जितने कपास के रुए होते हैं और वो जब एकत्रित होकर जुड़ते हैं व घी में जुड़कर वो जिस देवता के सामने जलते हैं, तब बनाने वाले को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल प्राप्त हो जाता है।
विभिन्न कथा प्रसंगों का किया वर्णन
पं. प्रदीप मिश्रा ने मंगलवार को कई कथा प्रसंगो का वर्णन किया। जिसमें गणेश जी द्वारा कुबेर के घर भोजन पर जाने का प्रसंग सुनाया। जिससे कुबेर का घमंड टूटा। भगवान कहते हैं कि मुझे आमंत्रित करने के लिए मेरे सारे परिवार को भी आमंत्रित करना पड़ेगा। इसके साथ ही 16 सोमवार की कथा के प्रसंग का विवरण किया। जिसमें राजा ने रानी से कहा था कि पूजन का सामान लाओ, लेकिन वो दासी के हाथों भिजवा देती है।
चिट्ठियों को पढ़कर सुनाया…दिया आशीर्वाद
कथा में आये अनुयायियों का दावा है कि हमारे संकट प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने के बाद दूर हो गए। वे यहां पर चिट्ठी लिखकर भी लाते हैं। वह कहते हैं कि जो काम दवाई नहीं कर पाई वो पंडित की कथा सुनकर भगवान भोले को एक लोटा जल अर्पित करने से पूरी हो गई। पं. प्रदीप मिश्रा ने इस दौरान कई चिट्ठियां भी पड़ी व उनको आशीर्वाद दिया। जिसमें किसी को बरसों बाद अपना घर मिला। कोई कैंसर मुक्त हुआ किसी की बीमारी ही दूर हो गई।
शिव पार्वती विवाह देख झूमे श्रद्धालु
कथा के दौरान भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह उत्सव मनाया गया। जिसमें भगवान शिव और मां पार्वती ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। इस दौरान पूरा पंडाल नम: पार्वती पतये हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा।
बेटे-बेटियों को दी नसीहत
कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने कथा के तीसरे दिन भी बेटियों के विषय में बोला-उन्होंने कहा कि जीवन में कितने भी वीआईपी बनना पर अपने माता-पिता को छोड़कर मत जाना बेटियों अपने तन से दुपट्टे को नहीं जाने देना। साथ ही कहा दहेज में धन मिले या ना मिले, लेकिन बेटी संस्कारी मिलनी चाहिए। जो परिवार को संस्कार के साथ लेकर चले।
कथा में ये रहे मौजूद
अंकुर गोयल, विनीत शारदा, अश्विनी गुप्ता, बृजभूषण गोयल, संदीप गोयल, पूनम बंसल, जेपी अग्रवाल, रुपाली गुप्ता , कृष्ण कुमार गुप्ता, ऋषि अग्रवाल, निहारिका, प्रदीप गर्ग, गौरव आदि मौजूद रहे।