नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में खरमास को विशेष महत्व दिया जाता हॅै। हिंदू पंचाग के अनुसार, साल में दो बार खरमास आता है। इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस दौरान पहला खरमास मार्च अप्रैल के महीने में लगता है, जबकि दूसरा दिसंबर-जनवरी में आता है। खरमास में भगवान सूर्य देव गुरु बृहस्पति के घर जाते ही अपने तेज को कम कर लेते हैं। ऐसे में सूर्य की स्थिति कमजोर मानी जाती है और सभी शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती हैं। तो चलिए जानते हैं कि साल का पहला खरमास कब से शुरू होने वाला है।
इस दिन से लगेगा खरमास
वर्तमान में भगवान सूर्य कुंभ राशि में स्थित है और वह 13 मार्च तक भी इसी राशि में रहेंगे। ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्यदेव 14 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में 14 मार्च से ही खरमास की शुरुआत होगी।
खरमास समापन
पंचांग के अनुसार सूर्यदेव 14 अप्रैल 2025 के दिन मीन राशि से निकलकर मेष में विराजित होंगे। इसलिए 14 अप्रैल को खरमास समाप्त होगा। मान्यता है कि खरमास समाप्त होने के बाद एक बार फिर घरों में शादी-विवाह, गृह प्रवेश व अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
सूर्य का वेदोक्त मंत्र
ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनद:
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोग: ।
मंत्र : ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च ।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।
सूर्य ग्रह के 12 मंत्र
- ॐ आदित्याय नमः।
- ॐ सूर्याय नमः।
- ॐ रवेय नमः।
- ॐ पूषणे नमः।
- ॐ दिनेशाय नमः।
- ॐ सावित्रे नमः।
- ॐ प्रभाकराय नमः।
- ॐ मित्राय नमः।
- ॐ उषाकराय नमः।
- ॐ भानवे नमः।
- ॐ दिनमणाय नमः।
- ॐ मार्तंडाय नमः।