वरिष्ठ संवाददाता |
सहारनपुर: कला ही वह चीज है जो नफरत की दीवारों को ढहा देती है। एक सच्चे कलाकार के लिए धर्म-मजहब बाद की बात होती है। सबसे पहले वह अपनी कला के प्रति समर्पित होता है और सबसे बाद में भी। सहारनपुर के भारतीय कला संगम श्री रामलीला सभा में मुस्लिम कलाकारों के अभिनय को देखकर यही कहा जा सकता है कि यहां राम-रहीम, कृष्ण-करीम में एकरूपता है। धर्म मजहब जैसी कोई चीज नहीं।
रामलीला सभा के संचालक सुरेंद्र मोघा व निर्देशक बब्बर जंग गुरुंग ने बताया कि उनके यहां चार मुस्लिम कलाकार रामलीला मंचन में अभिनय कर रहे हैं। शुक्रवार से उनके यहां रामलीला का मंचन शुरू हो गया था। यह निरंतर चल रहा है। गोविंदनगर निवासी समीर व मोहम्मद दिलशाद मंच से दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़ रहे हैं। दिलशाद ने बताया कि ड्रेस की व्यवस्था संभालने के साथ ही वह राम व रावण की सेना अलग-अलग किरदार करते हैं। उन्होंने सुबाहू, मारीच, जामवंत और नारद का किरदार भी किया है।