- मौत के विश्लेषण के लिए कमेटी, लापरवाही पर होगी कार्रवाई
- बने पांच जोन, नियुक्त हुये जोनल प्रभारी, मजिस्ट्रेट और अधिकारी
- कोरोना टेस्टिंग मोबाइल वैन के ठीक न होने पर आयुक्त नाराज
जनवाणी संवाददाता,
मेरठ: जनपद में अब कोरोना से होने वाली प्रत्येक मृत्यु का विश्लेषण किया जायेगा। इसके लिए सीडीओ की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। विश्लेषण में प्राइवेट अस्पताल या सरकारी अस्पताल में लापरवाही परिलक्षित होने पर दायित्व निर्धारण कर कार्रवाई की जायेगी।
जनपद में कोरोना के प्रभावी नियंत्रण के लिए पांच जोन बनाये गये हैं। जिसमें जोनल प्रभारी के साथ-साथ मजिस्ट्रेट और अधिकारियों की तैनाती भी की गयी है।
ये जानकारी आयुक्त सभागार में कोरोना महामारी के नियंत्रण के संदर्भ में आहुत बैठक की अध्यक्षता करते हुये आयुक्त मेरठ मंडल अनीता सी मेश्राम ने दी।
उन्होंने जनपद में कोरोना टेस्टिंग के लिए संचालित मोबाइल वैन के प्राइवेट अस्पतालों में उनके खुलने के समय प्रात: नौ बजे के स्थान पर प्रात: 11.30 बजे या उसके बाद पहुंचने पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार ने मोबाइल वैन टेस्टिंग के लिए दी है।
एक ओर मोबाइल वैन जनपद को मिल जायेगी। आयुक्त ने कोरोना से बढ़ती मृत्यु पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि मृत्युदर को प्रत्येक दशा में रोका जाये। उन्होंने कोरोना से होने वाली प्रत्येक मृत्यु की डेथ समरी व अन्य बिन्दुओं पर मृत्यु के विश्लेषण व उसमें मिलने वाली लापरवाही पर कार्रवाई के लिए मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया।
जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रधानाचार्य लाला लाजपत रॉय स्मारक मेडिकल कालेज व आईएमए के प्रतिनिधि होंगे। कमेटी इस बात पर भी ध्यान देगी कि मरीज ने किन-किन अस्पतालों में इलाज कराया, उसको क्या-क्या दवाइयां दी गयी, आॅक्सीजन पर रखा गया था तो कितने दिन से वह आक्सीजन पर था। प्राइवट अस्पताल द्वारा उसको कब व किस स्थिति में मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया गया।
आयुक्त ने कहा कि जो भी कोरोना से मृत्यु होगी उसकी सूचना जोनल प्रभारी को दी जायेगी। जोनल प्रभारी भी कमेटी का सहयोग करेंगे। प्राइवेट अस्पताल प्रत्येक दशा में प्रतिदिन कोरोना के संदिग्ध मरीजों की सूचना प्रशासन को दें। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि वह कुछ प्राइवेट अस्पतालों को भी कोरोना की जांच के लिए एंटीजन टेस्ट किट उपलब्ध कराये।
कमिश्नर नाराज
आयुक्त ने आईएमए व नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष से कहा कि अगर आवश्यकता होगी तो संदिग्ध केस पर कैसे मरीज का प्रबंधन करना है उस संदर्भ में प्राइवेट अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिया जा सकता है ताकि मरीज कोे समय रहते अच्छा इलाज मिल सके।
ये बड़ा खेदजनक है कि कुछ प्रकरणों में देखने में आया है कि मेडिकल कालेज में भर्ती होने के कुछ समय बाद ही मरीज की मृत्यु हो गयी है। ऐसे प्रकरण मुख्यत: वह है जिसमें प्राइवेट अस्पतालों ने मरीज की काफी हालत बिगड़ने के बाद ही उसे मेडिकल कालेज भेजा।
जबकि अगर समय रहते मरीज को मेडिकल कालेज भेज दिया जाता तो उस मरीज की जान बचायी जा सकती थी। डीएम केबालाजी ने कहा कि कोरोना से होने वाली मृत्यु को रोका जाना आवश्यक है।
डेथ समरी के आधार पर ये आंकलन किया जाये कि मृत्यु का क्या कारण था और मरीज किस अवस्था में मेडिकल लाया गया था। उन्होंने बताया कि आज कैंट बोर्ड द्वारा संचालित सीएचसी का निरीक्षण किया तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं।