ज्ञान प्रकाश |
मेरठ: अच्छे वेतन के साथ पुलिस विभाग में काम कर रहे कुछ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के कारण पूरे पुलिस विभाग पर कलंक लग रहा है। ऐसे कलंकित पुलिसकर्मियों का दुस्साहस ही कहा जाएगा जब एसएसपी भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है ऐसे में कुछ नकारा पुलिसकर्मी चंद रुपयों के लिये अपना ईमान बेचने पर लगे हुए है। करीब साठ पुलिसकर्मी गंभीर आरोपों के कारण निलंबित हो चुके हैं और उनके खिलाफ जांच बैठी हुई है।
पुलिस विभाग और भ्रष्टाचार का पुराना नाता रहा है और वर्तमान समय में 135 पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार के मामलों में दंडित चल रहे हैं। मेरठ पुलिस के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक साथ उन 75 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया था। इन पुलिसकर्मियों ने अपने विभाग की मर्यादा को ताक पर रखकर अपने थानेदारों को मोटी कमाई करवाई थी। ऐसे पुलिसकर्मियों के अपराधियों से लेकर काला धंधा करने वालों के संबंधों को देखते हुए लाइनहाजिर किया गया था।
सदर थाने के इंस्पेक्टर बिजेन्द्र राणा को 80 हजार रुपये रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित किया गया और मुकदमा दर्ज किया गया था। 55 दिनों से इंस्पेक्टर फरार चल रहा है। इसके साथ ही सिपाही मनमोहन सिंह रिश्वत के आरोप में जेल जा चुका है। गंगा नगर थाने का दारोगा दिनेश कुमार भ्रष्टाचार के मामले में सस्पेंड और मुकदमा दर्ज होने के बाद फरार चल रहा है। ब्रहमपुरी थाने का एक दारोगा भी रिश्वत के मामले में सस्पेंड हो चुका है।
अवैध कारोबार का हब माना जाने वाले किठौर क्षेत्र में गोपनीय जांच के बाद थाना प्रभारी के चेहते माने जाने वाले और हमेशा उनके हमराह बनकर साथ चलने वाले सरकारी गाड़ी के चालक मुकेश कुमार, आरक्षी जोनी गुर्जुर, अरविंद ,पीयूष सहित पांच सिपाहियों को एसएसपी ने लाइन हाजिर किया था। यह ऐसा पहला मौका था जब किसी थाने में सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी। शाहजहांपुर चौकी इंचार्ज हरिभान तथा किठौर चौकी इंचार्ज उदयवीर को लोगों की शिकायत के चलते जांच के बाद दोषी पाए जाने पर निलंबित किया गया था।
एसएसपी की गोपनीय रिपोर्ट में 75 पुलिस कर्मी लाइन हाजिर किए गए थे, इनमें करीब 20 प्रतिशत पुलिस कर्मी किठौर थाने में तैनात रह चुके थे। खास बात यह है की उक्त पुलिसकर्मी सेटिंग कर किठौर थाने के आसपास ही अपनी तैनाती पंसद करते थे ताकि माफियाओ से संपर्क बना रहे।