जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: गंदगी, कूड़े और ट्रेनों से निकलने वाले बायोवेस्ट के भंडार बने रेलवे स्टेशनों पर एनजीटी ने अपना शिकंजा कस दिया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को देश के 706 रेलवे स्टेशनों के अभी तक पर्यावरण नियमों के तहत संचालन की अनुमति लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं करने को लेकर नाराजगी जताई।
शीर्ष हरित पैनल ने इन स्टेशनों को आवेदन के लिए बुधवार से अगले 3 महीने का समय दिया है। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को आवेदन के बाद तीन महीने के अंदर उनका निस्तारण करने का आदेश दिया है।
एनजीटी ने इस पर भी ध्यान दिया कि देश के 720 मुख्य रेलवे स्टेशनों में से महज 11 ने जल अधिनियम व वायु अधिनियम के तहत ‘सहमति’ और केवल 3 स्टेशनों ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत ‘प्राधिकार’ के लिए आवेदन किया है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ वकील सलोनी सिंह और आरुष पठानिया की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि कानून का पालन होने पर सीपीसीबी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य वैधानिक प्राधिकरण कानून के तहत कठोर कदम उठाने के लिए स्वतंत्र रहेंगे।
पीठ ने कहा, रेलवे बोर्ड का विभिन्न स्तरों पर अपना भी निगरानी तंत्र हो सकता है। इसमें पर्यावरणीय नियमों के पालन की स्थिति की जानकारी जुटाने के लिए मुख्यालय भी शामिल है।
पीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को भी रेलवे बोगियों से निकलने वाले सॉलिड कचरे और प्लास्टिक कचरे को आखिरी स्टेशन तक लाने और उस स्टेशन पर एकत्र किए गए कचरे को प्रोसेस करने के बाद निस्तारित करने के लिए एक तंत्र गठित करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने यह भी कहा कि स्टेशन पर मलमूत्र का निस्तारण नहीं किया जाएगा। पीठ ने बायो टॉयलेटों को अच्छी तरह खाली कराकर उसका सीवेज एसटीपी तक पहुंचाने का निर्देश दिया।
साथ ही कहा कि पेयजल सुविधाओं से इतर सभी जगह दोबारा साफ किए गए पानी का ही उपयोग सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया। पीठ ने इसके लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत समयसीमा वाली योजना बनाने का आदेश दिया है।
पर्यावरण कानून के तहत आते हैं स्टेशन
इससे पहले एनजीटी पीठ ने कहा था कि पूरे देश में रेलवे स्टेशनों पर विभिन्न प्रकार की पर्यावर्णीय अनुमति लेना आवश्यक है, क्योंकि वहां विभिन्न प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां होती हैं। पीठ ने कहा था कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 मुख्य रेलवे स्टेशनों पर भी लागू होते हैं।