Wednesday, July 30, 2025
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जानिए, जाटलैंड में इस बार कैसा है माहौल, किसका चलेगा जादू!

अवनीन्द्र कमल |

सहारनपुर: उप्र के सत्ता संग्राम में पश्चिम को फतह कर लेने वाले किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता प्रतिष्ठान पर कब्जा कुछ आसान हो जाता है। सत्तानशीं भाजपा को यह अच्छी तरह पता है लेकिन, 2017 का इतिहास दुहरा पाना भाजपा के लिए नाको चने चबाने जैसा है। बेशक, भाजपा पलायन के जरिये हिंदू मतों के ध्रुवीकरण पर आमादा है किंतु जाट लैंड में इस बार जादूगरी नहीं चल पा रही है।

सहारनपुर मंडल की बात करें तो यहां हर सीट पर भाजपा प्रत्याशी मुश्किल में हैं। भाजपा के सिटिंग एमएलए टिकट पाने में भले कामयाब हो गए हैं पर गांव-दर-गांव उनका विरोध हो रहा है। सियासी पंडितों का कहना है कि सपा-रालोद गठबंधन ने भाजपा के सूरमाओं की पेशानी पर बल ला दिया है।

यह बताने की जरूरत नहीं कि पहले चरण का चुनाव पश्चिम से ही शुरू हो रहा है। कहा जाता है कि पहले चरण में जिस पार्टी के पक्ष में हवा बनेगी, उसको पूरब तक के चुनाव में इसका फायदा मिलेगी। साल 2017 में बीजेपी के साथ ऐसा ही हुआ था। बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 80 फीसदी यानि 109 सीटें जीत ली थीं। इस दफा समाजवादी पार्टी के हिस्से 21 सीटें आई थीं। कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिली थीं जबकि बीएसपी को 3 सीटें मिली थीं।

आरएलडी को सिर्फ बागपत की छपरौली सीट से संतोष करना पड़ा था। ठीक दो साल बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हुए तो इस बार भी पश्चिमी यूपी ने बीजेपी को 27 लोकसभा सीटों में से 19 सीटों पर विजय दिला दी। लेकिन, इस बार हालात उलट हैं। किसान आंदोलन से शुरू हुई नाराजगी, गन्ना भुगतान, महंगाई, बेरोजगारी और बेलगाम अफसरशाही ने सत्ताविरोधी लहर पैदा कर दी है। भाजपा फकत पलायन मुद्दे को हवा दे रही है। उधर, सपा-रालोद गठबंधन ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

पश्चिम में भाजपा प्रत्याशियों का जगह-जगह विरोध हो रहा है। दूसरे सिटिंग एमएलए का टिकट न काटकर भाजपा ने बड़ी भ्ूाल की है। दरअसल, भाजपा प्रत्याशियों के नाम आनन-फानन घोषित कर दिए। सिटिंग एमएलए का टिकट इसलिए नहीं काटा कि कहीं वह दूसरे दल का रुख न कर लें। जबकि क्षेत्र में ज्यादातर विधायकों का विरोध है।

सहारनपुर मंडल की बात करें तो यहां शहरी सीट को छोड़ दें तो बाकी जगहों पर भाजपा प्रत्याशी मुश्किल में हैं। यह भी बता दें कि पश्चिमी यूपी में करीब 27 फीसदी मुस्लिम हैं। 17 फीसदी जाट और दलितों की संख्या 25 फीसदी है।

गुर्जर करीब 4 फीसदी हैं और राजपूत 8 फीसद। पश्चिमी यूपी में 26 जिले आते हैं जहां विधानसभा की 136 सीटें हैं। पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 और दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों में 55 सीटों पर वोटिंग होनी है। बाकी के जो 6 जिले हैं उनमें तीसरे चरण में चुनाव है।

भाजपा ही नहीं, अन्य दलों ने भी अपनी फौज उतार दी है। लेकिन, सपा-रालोद के रिश्ते पश्चिम में खिलते नजर आ रहे हैंं। ऐसे में कमल मुरझा भी सकता है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल की नजर मुस्लिम और जाट वोटों पर है जो कुल वोटों का करीब 44 फीसदी है।

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