- हस्तिनापुर से 15 किमी दूर चारागाह की जमीन पर हुआ था पौधरोपण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वन विभाग को उम्मीद भी नही थी कि पांच साल पहले खाली पड़ी जमीन पर को पौधरोपण कराया गया था, उसके भविष्य में सुखद परिणाम सामने आएंगे। वन विभाग भी लगभग इसे भूल ही गया था, लेकिन जब हस्तिनापुर वन क्षेत्र से सटी चारागाह जमीन का ड्रोन से सर्वे कराया गया तो वन विभाग की मानों किस्मत खुल गई। सर्वे रिपोर्ट में पता चला कि जहां पौधरोपण किया गया था वहां जंगल विकसित हो रहा है। हालांकि बहुत दिनों से प्रयास चल रहे थे कि हस्तिनापुर के बगल में एक और जंगल को विकसित किया जाए।
बता दें कि पूरे प्रदेश में वन क्षेत्र बढ़ रहा है। सिर्फ मेरठ और मुजफ्फरनगर में वन क्षेत्र पहले जितना ही है। इसका खुलासा हाल ही में जारी वन क्षेत्र की सर्वे रिपोर्ट में भी हुआ है। पांच साल पहले हस्तिनापुर से 15 किमी दूर स्थित चारागाह की जमीन पर लगाए गए पौधों ने जंगल का रुप लेना शुरू कर दिया है। इसका क्षेत्र 62 हेक्टेयर के करीब है और उम्मीद की जा रही है। बहुत जल्द इसका विस्तारीकरण हो जाएगा। हस्तिनापुर वन सेंचुरी का मेरठ में क्षेत्र लगभग 400 वर्ग किमी का है।
वर्ष 2016 में राजकीय पशु धन ने बेकार पड़ी भूमि को वन विभाग को पौध रोपण के लिए दिया गया था। पशुओं के चारागाह के रूप में दर्ज यह भूमि उबड़-खाबड़, दलदल और कई जगह गढ्ढों वाली थी। 2017 और 2018 में यहां पर तीन अलग अलग क्षेत्रों में 16456 पौधे रोपे गए थे। अधिकांश पौधों में यह सामान्य की तुलना में 1.5 गुनी है। 2020 तक पशु धन विभाग ने बेकार पड़ी भूमि को चिन्हित कर वन विभाग को देने का क्रम जारी रखा।
कुल चार से 10 हेक्टेयर के नौ पैचों में 2021 तक पौधरोपण किया गया है। जंगल में जाने के लिए मार्ग भी बनाए गए हैं। इको टूरिज्म का केंद्र हस्तिनापुर में वन विभाग के गेस्ट हाउस के समीप ही पशुधन परिक्षेत्र शुरू हो जाता है। यहां पर लगाए पेड़ों में मुख्यत: शीशम, जंगल जलेबी, जामुन, बेर और शरीफा हैं। यहां से कुछ दूरी गंगा नदी है।
वन विभाग ने हाल के कुछ वर्षों में इकोटूरिज्म के लिहाज से विकसित किया है। 24 हेक्टेयर के नए विकसित जंगल के साथ यहां पर घड़ियाल, कछुए और डाल्फिन के वास्तविक आकार के डिजायन हैं। एक स्वच्छ सरोवर में कछुआ प्रजनन केंद्र है।