यदि आप नीले आकाश में उड़ने का सपना देखते हैं तो इसको साकार करना काफी आसान है। यह एक ऐसा सेक्टर है, जिसके अंतर्गत इंजीनियरिंग के कई ब्रांच हैं। उदाहरण के लिए एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के साथ-साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैटेरियल्स इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और कई अन्य इंजीनियरिंग के स्ट्रीम्स में स्पेशलाइजेशन के साथ जॉब्स अवेलेबल होते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस सेक्टर में साइंस, ह्यूमैनिटी और कॉमर्स ग्रेजुएट्स के लिए भी जॉब्स की अपार सम्भावनाएं हैं।
प्लस टू के बाद एविएशन सेक्टर में जॉब-ओरिएंटेड कोर्सेज
एयरपोर्ट मैनेजमेंट में बीबीए: यह तीन वर्ष का कोर्स होता है। यह कोर्स एयरपोर्ट के संचालन और एडमिनिस्ट्रेशन से रिलेटेड होता है। इसके लिए मिनिमम एलिजिबिलिटी बारहवीं पास है। वैसे मार्क्स का परसेंट इंस्टिीट्यूट की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है, लेकिन यह प्राय: 50 परसेंट से कम नहीं होता है। कोर्स कंपलीशन के बाद कैंडिडेट को डोमेस्टिक और इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एयरपोर्ट मैनेजर, स्टाफ मैनेजर, सेफ्टी आॅफिसर के पोस्ट पर जॉब्स अवेलेबल होते हैं।
डिप्लोमा इन एअरपोर्ट मैनेजमेंट: यह एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स है, जिसके अंतर्गत एअरपोर्ट स्ट्रेटेजी और फंक्शनिंग, कार्गो मैनेजमेंट और हैंडलिंग इत्यादि के बारे में कैंडिडेट्स को प्रशिक्षित किया जाता है। इसके लिए किसी भी स्ट्रीम में प्लस टू पास होना जरूरी होता है। इस डिग्री के बाद डोमेस्टिक और इंटरनेशनल एअरपोर्ट पर कार्गो डिपार्टमेंट मैनेजर के पोस्ट के लिए रिक्रूटमेंट होता है।
कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग: एविएशन सेक्टर का यह सबसे अधिक ग्लैमरस और लुक्रेटिव प्रोफेशन माना जाता है। लेकिन इस कोर्स की लागत काफी अधिक होती है। इस कोर्स के अंतर्गत एयरोप्लेन के फ्लाइट से रिलेटेड थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के अंत में ट्रेनीज को कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्रोवाइड की जाती है। इस लाइसेंस को पाने के बाद कैंडिडेट कमर्शियल और फेरी पायलट बन जाता है। कमर्शियल पायलट बनने के लिए स्टूडेंट्स को फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स के साथ बारहवीं की परीक्षा का पास होना जरूरी होता है। इस कोर्स में एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट, पायलट अप्टीट्यूड टेस्ट और इंटरव्यू के बाद ही होता है।
डिप्लोमा इन ग्राउंड स्टाफ एंड केबिन क्रू ट्रेनिंग: इस डिप्लोमा का उद्देश्य स्टूडेंट्स को एयर होस्टेस, स्टुअर्ड आॅन फ्लाइट्स के रोल की रिस्पोंसिबिलिटी को निभाने के लिए योग्य बनाना होता है। यह कोर्स 6 महीने से एक वर्ष का होता है जिसके अंतर्गत कैंडिडेट्स को फ्लाइट ट्रेनिंग, फूड बेवरेजेज और कस्टमर सर्विस के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है।
डिप्लोमा इन एविएशन हॉस्पिटैलिटी: एविएशन सेक्टर में हॉस्पिटैलिटी और पैसेंजर कस्टमर को सर्विस देने के लिए बड़ी संख्या में स्किल्ड प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है। इसके लिए इंटरेस्टेड कैंडिडेट्स को एक वर्ष का हॉस्पिटैलिटी में डिप्लोमा का कोर्स कराया जाता है। इस कोर्स के अंतर्गत कैंडिडेट्स को फूड और बेवरेजेज (पेय पदार्थ) के अतिरिक्त फॉरेन लैंग्वेजेज, कंप्यूटर और आईटी स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स और मैनेजमेंट में ट्रेनिंग दी जाती है। इस कोर्स के लिए किसी भी स्ट्रीम में बारहवीं पास स्टूडेंट योग्य हो सकते हैं। इस कोर्स के डिप्लोमा होल्डर्स एअरपोर्ट पर या एयरोप्लेन में केबिन क्रू, ग्राउंड स्टाफ, आॅफिस आॅपरेटर्स के रूप में काम कर सकते हैं।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग: एविएशन सेक्टर में करियर बनाने का यह एक महत्वपूर्ण सेगमेंट माना जाता है। चार वर्ष का बीई या बीटेक डिग्री वाला एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग मुख्य रूप से एविएशन सेक्टर के टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट से जुड़ा होता है जिसके अंतर्गत एयरक्राफ्ट के डिजाइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और मेंटेनेंस का कार्य किया जाता है। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के लिए अनिवार्य योग्यता के रूप में स्टूडेंट का फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स के साथ बारहवीं क्लास पास होना चाहिए।
डिप्लोमा इन एयरक्राफ्ट एंड टिकटिंग मैनेजमेंट: एविएशन सेक्टर में यह ग्राउंड ड्यूटी वाली जॉब होता है। यह एक डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स है। यह कोर्स 6 महीने से लेकर एक वर्ष के पीरियड का होता है जो पार्ट टाइम या फुल टाइम के रूप में अवेलेबल होता है। इस कोर्स में इंटरेस्टेड कैंडिडेट्स को एयरलाइन कोड्स, टिकटिंग टर्मिनोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग, पासपोर्ट और वीजा, फॉरेन करेंसी, हवाई किराये और टिकटिंग सॉफ्टवेयर के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कोर्स के लिए आवश्यक एलिजिबिलिटी के रूप में किसी भी स्ट्रीम में बारहवीं कक्षा पास होना अनिवार्य होता है।
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग: यह तीन-वर्षीय टेक्निकल ट्रेनिंग कोर्स होता है, जिसमें ढाई वर्ष का अकादमिक सेशन होता है और 6 महीने के लिए इंटर्नशिप प्रोग्राम होता है। इन दोनों सेशन को पूरा कर लेने के बाद सफल कैंडिडेट को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग का लाइसेंस प्रदान किया जाता है। एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की रिस्पोंसिबिलिटी के रूप में एयरक्राफ्ट के मेंटेनेंस, सर्विसिंग और इंस्पेक्शन मुख्य होते हैं। इस कोर्स के लिए कैंडिडेट का फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में 50 परसेंट मार्कस के साथ प्लस टू पास होना चाहिए।
बीएससी एविएशन: यह अंडरग्रेजुएट डिग्री कोर्स तीन वर्ष का होता है, जिसके अंतर्गत एयर रेगुलेशन, नेविगेशन, मीटरोलॉजी, एयरक्राफ्ट और इंजन, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, एविएशन सिक्यूरिटी, फ्लाइट सेफ्टी एंड क्रू मैनेजमेंट में ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग में सफल उम्मीदवार एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, ग्राउंड आॅपरेशंस स्टाफ, कार्गो मैनेजमेंट स्टाफ, टिकटिंग स्टाफ, कस्टमर केयर स्टाफ के रूप में जॉब पा सकता है।
महत्वपूर्ण संस्थान
- -फ्रैंकफिन इंस्टीट्यूट आॅफ एयरहोस्टेस ट्रेनिंग, बैंगलोर, दिल्ली
- -इंस्टीट्यूट आॅफ लोजिस्टिक्स एंड एविएशन मैनेजमेंट, बैंगलोर
- -यूनिवर्सल एयरहोस्टेस अकादमी, बैंगलोर
- -गवर्नमेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल, यालाहंका, बैंगलोर
- -ईगल एविएशन इंस्टीट्यूट इन इंडिया फॉर कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग, बैंगलोर
- -स्काईलार्क इंस्टिट्यूट आॅफ ट्रेवल अकादमी, पुणे
- -कोलंबस ट्रेवल अकादमी, पुणे
- -एविएशन अकादमी, बरेली
- -नेशनल कॉलेज आॅफ एविएशन, चेन्नई
- -यूनिवर्सिटी आॅफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज,देहरादून
- -एविएशन एंड एरोनॉटिक्स लिमिटेड, अहमदाबाद
- -राजीव गांधी अकादमी फॉर एविएशन टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम
- -फाल्कन इंस्टीट्यूट एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स, लखनऊ
- -गवर्नमेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, भुवनेश्वर
- आल इंडिया इंस्टीट्यूट्स आॅफ एरोनॉटिक्स ,लुधियाना
बड़े नियोक्ता
भारत में सिविल एविएशन में विभिन्न कोर्स में डिप्लोमा और डिग्री होल्डर्स के लिए जॉब ओपोर्च्युनिटीज के लिए निम्न एम्प्लायर्स मुख्य हैं-
एयर इंडिया, इंडिगो, गो एयर, स्पाइस जेट, जेट एयरवेज, ब्लू डार्ट, डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन आदि।
जिस तेज गति से पूरी दुनिया में ग्लोबलाइजेशन की लहर चल रही है उसको ध्यान में रखते हुए इतना ही कहा जा सकता है कि आनेवाले दशकों में सिविल एविएशन के सेक्टर में प्रोमिसिंग करियर निर्माण का भविष्य और शानदार रोजगार की संभावनाओं की अंतिम सीमा आकाश जैसा ही अनंत और व्यापक है।
-एसपी शर्मा