- सबसे बड़ा सवाल:मदरसे वालों से ही क्यों कराया जा रहा मदरसों का सर्वे
- चिन्हांकन के नाम पर मदरसों का सर्वे शुरू
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मदरसों के सर्वे को लेकर दैनिक जनवाणी के बुधवार के अंक में ‘हवा हवाई सर्वे’ संबंधी खबर छपने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आ गया और उसने आनन-फानन में मदरसों का सर्वे शुरू कर दिया। सर्वे के दौरान सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि आखिर सर्वे में अनुदानित मदरसों के अध्यापकों को किस आधार पर लगाया गया है। इस संबंध में जब हमने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शैलेश रॉय से सवाल किया
तो पहले तो उन्होंने सर्वे के बारे में कोई भी जानकारी देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि जब भी हम सर्वे शुरू करेंगे तो सभी को एक साथ इसकी जानकारी दे दी जाएगी, लेकिन जब उनसे यह सवाल किया गया कि बुधवार को सरधना के विभिन्न गांवों में अनुदानित मदरसों के अध्यापकों की जो पांच सदस्य टीम भेजी गई। वह किस आधार पर वहां गई।
इस पर पहले तो जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शैलेश रॉय कुछ सेकंड के लिए चुप रहे, फिर सफाई दी कि यह सर्वे टीम नहीं है। इस टीम को केवल मदरसों के चिन्हांकन के लिए लगाया गया है। सर्वे तो प्रशासन की टीम ही करेगी। उधर सूत्रों से यह भी पता चला है की अनुदानित मदरसों की पांच सदस्यीय अध्यापकों की टीम को पांच दिन का समय सर्वे के लिए दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार पहले दिन इस टीम ने सरधना के मढ़ियाई, कालंदी, पिठलोकर, दुर्वेशपुर, टीहरकी, नवाबगढ़ी और पारसी गांवों में जाकर ग्राम प्रधानों से वार्ता की और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में जानकारी हासिल की। बताया जाता है कि पहले दिन इस टीम ने कुल 11 मदरसों का सर्वे किया, और सभी मदरसों में टीम यहां की व्यवस्थाओं से संतुष्ट दिखी। सूत्रों के अनुसार उक्त टीम जो रिपोर्ट तैयार कर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को सौंपेगी,
उस रिपोर्ट में भी सभी मदरसों की व्यवस्थाएं दुरुस्त दिखाने की तैयारी की जा रही है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे में अनुदानित मदरसों के अध्यापकों को लगाकर सर्वे की पारदर्शिता पर सवालिया निशान लग गया है। यहां यह सवाल भी खड़ा होता है कि जब अनुदानित मदरसों के अध्यापक सर्वे का कार्य या चिन्हांकन का कार्य करेंगे तो इनकी जगह मदरसों में पांच दिन तक शैक्षिक कार्य कैसे होंगे।