- मेरठ में मदरसों के सर्वे को लेकर अधिकारियों ने साधी चुप्पी
- डीएमओ से लेकर कोई अधिकारी कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: योगी सरकार का आदेश मेरठ प्रशासन के लिए कोई मायने नहीं रखता। सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का जमीनी सर्वे किया जाए ताकि हकीकत से रु-ब-रु हुआ जा सके, लेकिन मेरठ में मदरसों के सर्वे को लेकर कोई प्रशासनिक रणनीति नहीं बनी है। रणनीति के नाम पर अभी तक सिर्फ एक बैठक हुई है और उसमें भी अधिकतर अधिकारी गैर हाजिर थे।
दरअसल, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के कार्यालय में मेरठ के मदरसों का कोई रिकॉर्ड मेन्टेन नहीं किया गया है। यहां जनपद में कहां कितने मदरसे हैं इस प्रकार की कोई सूची उपलब्ध नहीं है। दूसरा सूत्रों से यह भी पता चला है कि इस सर्वे को लेकर स्थानीय प्रशासन कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रहा है। इसके पीछे की वजह भी खास है। वजह का खुलासा भी कुछ जिम्मेदार नेताओं ने ही किया है।
इन नेताओं के अनुसार सीएए एनआरसी आन्दोलन के बाद से परिस्थितियां काफी हद तक बदली हैं। कोई भी अधिकारी मदरसों के सर्वे के लिए किसी भी इन्टीरियर में जाने से बच रहा है। हालांकि शासन के साफ आदेश हैं कि सर्वे टीम यदि चाहे तो उसे सर्वे के दौरान फोर्स उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन इसके बावजूद मेरठ में अधिकारी भीतरी इलाकों में जाकर सर्वे का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
सरकार के करीबी कुछ भाजपा नेता इसकी एक वजह भी बताते हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने बताया कि इस समय मेरठ में मदरसों का एक सिंडिकेट काम कर रहा है। इस सिंडिकेट में कई मदरसों के संचालक हैं और इनका अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालयम में आना जाना लगा रहता है।
बताया जाता है कि इन्ही के माध्यम से प्रशासन पर यह दवाब बनाया जा रहा है कि मदरसा संचालकों से 12 बिन्दुओं वाले प्रारुप पर उनके जवाब मंगा लिए जाएं और फिर उसी आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को सौंप दी जाए। सूत्रों के अनुसार इस मदरसा सिंडिकेट में अधिकतर वो मदरसा संचालक हैं जिनके न तो रिकॉर्ड दुरुस्त हैं और न ही वो कभी अपने यहां का आॅडिट कराते हैं और तो और कई और अनियमितताएं भी इनके यहां जांच में सामने आ सकती हैं।
ऐसे ही मदरसा संचालकों में सर्वे के आदेश के बाद से हड़कंप है। अब तक कुल कितने मदरसों ने प्रारुप पर सर्वे रिपोर्ट सौंपी या कितने मदरसों का मेरठ में स्थलीय निरीक्षण किया गया इसका जवाब न तो जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शैलेश राय के पास है और न कोई अन्य अधिकारी इस प्रकरण में कुछ भी बोलने को तैयार हैं। इन सब को देखते हुए तो यही लगता है कि मेरठ में मदरसों का हवा हवाई सर्वे करने की पृष्ठ भूमि तैयार की जा रही है।
मदरसा सर्वे: सरकार से बात करेगी 12 सदस्यीय स्टेरिंग कमेटी
मदरसों के सर्वे पर यदि सरकार और मदरसा संचालकों के बीच कोई असमंजस की स्थिति पैदा होती है तो उसे दूर करने के लिए देवबंद ने मुस्लिम धर्म गुरुओं की एक 12 सदस्यीय स्टेरिंग कमेटी गठित की गई है जो सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखेगी।
इस कमेटी में दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना अबुल कासिम नौमनी, जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी, जमीयत के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, दारुल उलूम वक्फ के मोहतमिम मौलाना सूफियान कासमी, दारुल उलूम के उप कुलपति मुफ्ती राशिद आजमी, मौलाना अशफाक आजमी, नियाज फारुकी, कमाल फारुकी, मुज्तबा फारुक, मौलाना अशहद रशीदी और मौलाना अजहर मदनी शामिल हैं।