आखिर लापरवाह इंस्पेक्टर जानी नप ही गए। कदम-कदम पर घोर लापरवाही उनकी सामने आ रही थी। गोकशी की घटनाओं को लेकर इन पर अंगुली उठ रही थी। गोकशी की घटनाएं लगातार जानी क्षेत्र में बढ़ रही थी, जिस पर अंकुश लगा पाने पर इंस्पेक्टर विफल थे। फिर जनता के साथ भी व्यवहार रुखा था। जनता से अभद्रता करना उनके लिए कोई नई बात नहीं थी। इसी वजह से जानी के ज्यादातर लोग इंस्पेक्टर से नाराज थे। आम आदमी को न्याय मिलने की बजाय थाने से फटकार मिलती थी। …भले ही लापरवाह हो… अभद्र हो। अदृश्य कारणों से वृदहस्त भी प्राप्त था। घटनाएं भी खूब हो रही थी, जिसमें फर्जी मुकदमें में जेल भेजने के मामले को भी भाजपा नेताओं ने उठाया था। लापरवाह इंस्पेक्टर पर अफसर फिर भी मेहरबान थे।
- प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी की गाज गिरी इंस्पेक्टर संजय वर्मा पर, खफा थे भाजपाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: तीन साल से जानी थाने में जमे रहने वाले इंस्पेक्टर संजय वर्मा पर आखिरकार गाज गिर गई। प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी के आदेश का पालन तो हुआ, लेकिन कैसे हुआ, यह सब जगजाहिर हैं। पहले एसपी देहात ने जांच के नाम पर प्रकरण को लटकाये रखा। प्रभारी मंत्री के आदेश पर जो त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए थी, उसको 10 सितंबर तक खिंच दिया गया।
मीडिया में इंस्पेक्टर जानी पर खास मेहरबानी का मामला सुर्खियां बना तो इसके बाद एसएसपी को एक्शन लेना पड़ा। भाजपा के तमाम नेता इंस्पेक्टर जानी के खिलाफ थे। क्योंकि इंस्पेक्टर का व्यवहार बेहद रुखा था। जनता के साथ आये दिन उनका विवाद होता रहता था। भाजपा के मंडल अध्यक्ष सचिन प्रजापति के साथ भी इंस्पेक्टर ने मारपीट कर दी थी। इसकी तहरीर भी भाजपा नेताओं ने एसएसपी को दी थी।
यही नहीं, भाजपा जिला स्तर के एक नेता के साथ भी फोन पर इंस्पेक्टर ने अभद्रता कर दी थी। इस तरह के प्रकरण से भाजपा के तमाम नेता इंस्पेक्टर जानी संजय वर्मा से खफा हो गए थे। लगातार इंस्पेक्टर को हटाने और भाजपा नेता सचिन प्रजापति की तहरीर पर इंस्पेक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की जा रही थी।
बता दें, चार सितंबर को कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में दिये गए निर्देश पर एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने शनिवार को निर्णय लिया और संजय वर्मा को इंस्पेक्टर जानी के पद से हटा दिया। जब से जानी थाने का चार्ज संजय वर्मा को मिला था, तभी से जानी थाना क्षेत्र में लूट, हत्या, गोकशी और महिला अपराधों की बाढ़ आ गई थी। पूर्व एसएसपी अजय साहनी ने संजय वर्मा को चार्ज दिया था।
इसके बाद प्रभाकर चौधरी के कार्यकाल में अपराधों पर अंकुश नहीं लगा और हत्या की लगातार घटनाएं होती रही। एक तरफा कार्रवाई और जानी पुलिस पर वसूली के आरोप बदस्तूर लगते रहे, लेकिन थाना स्तर पर कोई कार्रवाई न होने से थाना क्षेत्र के लोग काफी नाराज थे। एसएसपी आफिस पर इंस्पेक्टर संजय वर्मा के खिलाफ कई बार प्रदर्शन और धरने भी हुए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
इससे जानी थाने की पुलिस निरंकुश होती गई और बेगुनाहों को उठाकर रात भर हवालात में रखना और सुबह होने से पहले सेटिंग करके छोड़ने की घटनाएं लगातार बढ़ने की शिकायतें प्रभारी मंत्री के पास पहुंचने लगी थी। इसके अलावा जानी थाना क्षेत्र में गोकशी और अवैध शराब, अवैध हथियार और विस्फोटक सामग्री आदि के मामले लगातार आने के बावजूद कप्तानों की मेहरबानी ने तीन साल तक थाने को बेलगाम छोड़ दिया था।
प्रभारी मंत्री के निर्देश देने के बाद भी मेरठ पुलिस को दागदार इंस्पेक्टर को हटाने में छह दिन से अधिक का समय लग गया। जानी थाना प्रभारी के खिलाफ एसपी देहात केशव कुमार की सख्त रिपोर्ट ने आग में घी का काम किया और शनिवार को इंस्पेक्टर संजय वर्मा की जानी थाना से विदाई हो गई।
नौचंदी और सरधना थाना प्रभारी हटे
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने इंस्पेक्टर नौचंदी जितेन्द्र कुमार सिंह को हटाकर उनकी जगह सरधना थाना प्रभारी लक्ष्मण वर्मा को चार्ज दिया गया है। इंस्पेक्टर नौचंदी को सरधना थाना प्रभारी बनाया गया है। वहीं सीओ दौराला आशीष शर्मा को हटाकर सीओ ट्रैफिक बनाया गया है। अभी तक सीओ ट्रैफिक का काम देख रहे अभिषेक पटेल को सीओ दौराला बनाया गया है।
दुल्हैड़ा बवाल में सीओ दौराला हटे
मोदीपुरम: दुल्हैड़ा गांव में दीपक चौहान की हत्या के बाद लगभग आठ घंटे रात में बवाल चला। इस बवाल में पुलिस को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। ग्रामीणों द्वारा उनके साथ धक्का-मुक्की की गई। इस पूरे बवाल को सीओ दौराला आशीष शर्मा समझ न सके और ग्रामीणों के गुस्से को समझने में असफल हो गए। इस पूरे प्रकरण को एसएसपी द्वारा गंभीरता से लिया गया।
जिसके बाद एसएसपी ने सीओ दौराला आशीष शर्मा को हटा दिया और उनके स्थान पर सीओ ट्रैफिक आशीष पटेल को चार्ज दिया। दीपक चौहान का शव जब गांव में पहुंचा तो ग्रामीण उग्र हो गए। मृतक परिवार के साथ मिलकर ग्रामीणों ने पुलिस अधिकारियों के साथ जमकर धक्का-मुक्की की। सीओ दौराला आशीष शर्मा, इंस्पेक्टर दौराला, इंस्पेक्टर कंकरखेड़ा और एसओ पल्लवपुरम फोर्स के साथ गांव में जमे हुए थे,
लेकिन इनकी ग्रामीणों ने एक न सुनी। ग्रामीणों ने इन्हे खरी-खरी सुनाई। इस पूरे बवाल में किसी पर भी गाज गिरना तय था। जिसके चलते सीओ दौराला पर एसएसपी ने गाज गिरा दी। एसएसी की इस कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि सूत्रों की माने तो अब एसओ पल्लवपुरम का हटना भी तय माना जा रहा है। हालांकि एसएसपी ने अभी कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन उनका हटना भी तय बताया जा रहा है।