Friday, May 9, 2025
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आखिर विवादित टेंडर करना पड़ा निरस्त

  • ये टेंडर लगभग 900 कर्मचारियों के अलग-अलग श्रेणी के तीन टेंडर एक ही कंपनी को दिया गया था

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कैंट बोर्ड की स्पेशल बोर्ड बैठक में आखिर विवादित टेंडर को निरस्त कर दिया। ये टेंडर लगभग 900 कर्मचारियों के अलग अलग श्रेणी के तीन टेंडर एक ही कंपनी मैसर्स अग्रवाल एंड सन्स को दिया गया था। पहले दिन से ही ये हैरान कर देने वाला बोर्ड का निर्णय था, जिसको लेकर अंगुली उठ रही थी। मध्यकमान की फटकार के बाद आखिर मंगलवार को कैंट बोर्ड की स्पेशल बैठक बुलाई गयी, जिसमें सफाई का टेंडर निरस्त कर दिया।

बोर्ड अध्यक्ष ब्रिगेडियर राजीव कुमार ने टेंडर निरस्त करने का निर्णय लिया। बोर्ड बैठक में मुख्य अधिशासी अधिकारी ज्योति कुमार ने इस विषय को रखते हुए जानकारी दी किआउटसोर्सिंग के ठेकों के विषय मे उनके द्वारा विभागीय अधिवक्ता से विधिक सलाह ली गयी थी, जिसे बोर्ड के सम्मुख रख रहे हैं। बोर्ड ने विधि विशेषज्ञ की विधिक राय पर चर्चा की ओर लगभग 900 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के तीनो ठेकों को पुन: टेंडर करवाने का निर्णय लिया।

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महत्वपूर्ण बात ये है कि विधिक राय आने से पहले ही आखिर ये टेंडर विवादित कंपनी को क्यों किया गया था? ये बड़ा सवाल हैं। इस प्रकरण को लेकर कैंट बोर्ड के अफसरों की खासी किरकिरी हो रही हैं। बोर्ड के निर्णय के अनुसार तीनो टेंडर अब पुन: नई प्रक्रिया अपनाकर निकाले जाएंगे, लेकिन इस बार टेक्निकल बिड में बिड डालने वाली कम्पनियों को मार्किंग मूल्यांकन से छूट मिल सकेगी। बैठक में मनोनीत सदस्य डा. सतीश शर्मा व कार्यालय अधीक्षक जयपाल तोमर भी शामिल हुए।

एक मामले में सीबीआई जांच का सामना कर रही विवादित कंपनी

जुलाई माह की 19 तारीख को हुई स्पेशल बोर्ड बैठक में लगभग 900 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के तीन ठेके मैसर्स अग्रवाल एंड सन्स को दिए थे। उक्त फर्म कैंट बोर्ड के ही डोर टू डोर ठेके में मध्य कमान की विभागीय जांच और सीबीआई जांच का सामना कर रही है।

पूर्व उपाध्यक्ष विपिन सोढ़ी ने तत्कालीन सीईओ नावेंद्र नाथ पर बोर्ड को गुमराह करके उक्त कंपनी को टेंडर के तय मूल्य से ज्यादा भुगतान करने का आरोप लगाते हुए बोर्ड की वित्तीय हानि ओर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप तत्कालीन सीईओ नावेंद्र नाथ पर लगाये थे और वो इन आरोपो को लेकर हाईकोर्ट भी गए थे। जहां वाद अभी चल रहा है और उपरोक्त विवाद की जांच करने मध्य कमान से निदेशक डा. डीएन यादव भी मेरठ आये थे और जांच भी की थी।

जिसके बाद इस विषय व कुछ अन्य विषयों को लेकर सीबीआई द्वारा भी पत्र लिखकर जांच करने आने की सूचना कैंट बोर्ड को देकर एक दो सदस्यीय जांच दल सीबीआई का मेरठ आया था और उनकी जांच अब भी चल रही है, जिसमें उपरोक्त विवाद से जुड़े कागजात भी सीबीआई द्वारा कैंट बोर्ड से मांगे गए थे। फिलहाल अभी न तो मध्य कमान निदेशक डा. डीएन यादव की जांच का कुछ पता है

और ना ही सीबीआई जांच कहां तक पहुंची इसकी ही कोई जानकारी है, लेकिन इस सबके चलते उपरोक्त कंपनी को टेंडर देना असहज था और तब मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया भी था। कारण कोई भी रहे हो फिलहाल तो कैंंट बोर्ड विवादित फर्म को तीनों टेंडर देने के अपने निर्णय से पीछे हट गया है। हालांकि अब भी वाटर पम्प आपरेटर का ठेका उक्त फर्म के पास ही है।

10 हाईमास्ट लाइट का टेंडर हुआ पास

कैंट के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 10 हाईमास्ट लाइटें लगवाने के टेंडर को भी आज बोर्ड की मंजूरी दे दी गयी। कुछ ही समय में कैंट के ज्यादातर क्षेत्र हाईमास्ट लाइटों से जगमग होंगे।

आबूलेन पर लगेंगी 45 विक्टोरियल लाइट्स

बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया कि आबू लेन का सौंदर्यीकरण किया जाएगा, जिसके तहत 45 विक्टोरियल लाइटें वहां लगाई जाएगी, जिससे दीपावली तक मेरठ का कनॉट प्लेस कहे जाने वाले आबू लेन बाजार का लुक बदल जायेगा।

व्यापारी दिन में नही बनाने देते एमईएस को सड़कें

कुछ सड़कों की मरम्मत के विषय पर बोर्ड अध्यक्ष ब्रिगेडियर राजीव कुमार ने बताया के कुछ सड़कें जो एमईएस को बनानी है, वो दिन में ही बन सकती है और दिन में बाजार की सड़क बनाने का व्यापारी विरोध करते हैं।

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उन्होंने बताया किलगभग तीन माह पहले बॉम्बे बाजार की सड़क बनाने आये एमईएस के ठेकेदार को विरोध करके सड़क बनाने से व्यापारियों द्वारा ये कहते हुए रोक दिया गया था कि दिन में बाजार की सड़क नही बनाने देंगे। बोर्ड अध्यक्ष ने ऐसे व्यवहार को विकास विरोधी बताते हुए व्यापारियों को भी संयम बरतने की बात कही।

महानिदेशक और प्रधान निदेशक मौन क्यों?

कैंट बोर्ड में कभी टेंडर कर दिया जाता हैं, वो भी दागदार कंपनी को। ये सब जानते हुए, लेकिन इसके बाद भी मध्य कमान महानिदेशक और प्रधान निदेशक दोनों मौन हैं। आखिर ये आला अफसर इस तरह के मामलों में कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि गलत पर गलत कार्य कैंट बोर्ड में कर दिये जा रहे हैं। ये टेंडर इसका एक उदाहरण हैं। गलतियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन रहस्मय मौन, बहुत कुछ कह रहा हैं।

22-बी पर जुर्माना क्यों लिया वापस?

बड़ा सवाल ये है कि 22-बी पर कैंट बोर्ड ने ट्रेड लाइसेंस निरस्त कर जुर्माना लगाया था। ये निर्णय भी बोर्ड बैठक में लिया गया था। इसमें संबंधित अफसरों की वेतन रोक दी गई थी। सात माह बीतने के बाद जुर्माना कैंट बोर्ड के अफसरों ने कैसे माफ कर दिया? इस मामले में 22-बी के मालिक ने किसी तरह की अर्जी भी बोर्ड अफसरों के सामने नहीं लगाई, फिर भी जुर्माना निरस्त कर दिया गया। आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि पहले जुर्माना लगाया, फिर निरस्त कर दिया। वो भी बिना किसी अर्जी के।

मेडा ने तीन अवैध कॉलोनियों में चलाया बुलडोजर

प्राधिकरण उपाध्यक्ष के निदेश पर मंगलवार को अवैध कालोनियों पर मेडा इंजीनियरों ने पुलिस की मौजूदगी में बड़ी कार्रवाई की। कई कालोनियों को ध्वस्त कर दिया। कई दिनों से मेडा का ध्वस्तीकरण का अभियान अवैध कॉलोनियों को लेकर चल रहा हैं। पहली कार्रवाई थाना भावनपुर में रोहित चौहान द्वारा खसरा संख्या 142 राजस्व ग्राम राली चौहान किला रोड पर बिना तलपट मानचित्र बिना ले-आउट पास कराये लगभग 520000 वर्ग गज भूमि बाउंड्रीवाल व अन्य विकास कार्य किया गया है।

जिसके विरूद्ध प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण अभियान चलाकर कॉलोनी को ध्वस्त कर दिया। दूसरी कार्रवाई भी थाना भावनपुर क्षेत्र में सुभाष उपाध्याय, पवित्र मिश्रा व अन्य द्वारा खसरा संख्या 93ए राजस्व ग्राम राली चौहान परीक्षितगढ़ रोड पर बिना तलपट मानचित्र बिना ले-आउट पास कराये लगभग 450000 वर्ग गज भूमि मिटटी भराव कार्य के साथ-साथ अवैध रूप से भू-भाग में प्लाटिंग का कार्य किया जा रहा था, जिस पर मंगलवार को बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीकरण कर दिया। थाना कंकरखेडा में नत्थू सिंह द्वारा सरधना रोड एफसीआई गोदाम के सामने बिना तलपट मानचित्र बिना ले-आउट पास कराये लगभग 2000000 वर्ग मीटर भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर विकास कार्य किया जा रहा था।

जिसके विरुद्ध प्राधिकरण इंजीनियरों की टीम ने ध्वस्तीकरण अभियान चलाया। यहां बाउंड्रीवाल व सड़क के निर्माण साइट आफिस को ध्वस्त कर दिया। इसके अलावा गंगानगर क्षेत्र में मुनादी करायी गयी है, जिसमें बिना मानचित्र स्वीकृत कराये व आवासीय मानचित्र स्वीकृत कराकर व्यवसायिक निर्माण कराये जाने पर निर्माण के विरुद्ध सील ध्वस्तीकरण की कार्रवाई किये जाने के लिए सूचित किया गया है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान प्रभारी अधिकारी प्रवर्तन अर्पित यादव, प्रभारी अधिकारी पवन भारद्वाज, अवर अभियन्ता मनोज शिशौदिया, अवर अभियन्ता नरेश शर्मा, अवर अभियन्ता सुशील कुमार, अवर अभियन्ता ओमपाल सिंह व पुलिस मौजूद रही।

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