- जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक की मांग के बाद भी नहीं हुई जांच-पड़ताल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: 18 दिन पहले यूपी की राजनीति में प्रदेश के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफा देने के बाद तूफान खड़ा हो गया था। हालांकि तीन दिन बाद ही उनका इस्तीफा नामंजूर भी कर दिया गया था। यह अलग बात हैं, लेकिन कई ऐसे सवाल छोड़ गया, जिनके जवाब अभी नहीं मिले हैं।
गंभीर बात नमामि गंगे योजना में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार को लेकर जो जलशक्ति मंत्री ने जांच कराने की बात की थी, उस जांच का आखिर क्या हुआ? जांच अभी चालू भी नहीं हुई हैं, लेकिन भ्रष्टाचार पर भाजपा के दिग्गजों से लेकर अधिकारियों तक ने चुप्पी साध रखी हैं।
नमामि गंगे योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। इसकी समीक्षा खुद प्रधानमंत्री करते हैं, फिर जिस तरह से नमामि गंगे परियोजना में भ्रष्टाचार होना जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने बताकर जांच कराने की मांग की थी,उसके बाद से लगा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ने कोई समिति गठित होगी, जो भ्रष्टाचार के लगाये गए गंभीर आरोपों की जांच कर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होगी, लेकिन अभी तो इसकी जांच भी आरंभ नहीं हुई हैं।
तब जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने नमामि गंगे योजना में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर पूरे सरकारी सिस्टम को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था। तब मंत्री ने कहा था कि ग्राउंड स्तर पर बड़ा भ्रष्टाचार होने के तथ्यों की उनको जानकारी मिली थी। इस बड़े भ्रष्टाचार की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने की मांग भी की गई थी। स्थानांतरण में वसूली करने के भी गंभीर आरोप लगे थे, लेकिन जो स्थानांतरण तब हुए थे, उनमें से एक भी निरस्त नहीं हुआ।
राज्यमंत्री तो शांत है। जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर लौटे हैं, लेकिन इस्तीफा तो वापस हो गया, लेकिन कई सवाल छोड़ गया हैं। नमामि गंगे योजना में भ्रष्टाचार के तथ्यों को रखा गया था। क्या उन तथ्यों पर जांच पड़ताल हुई हैं। कोई जांच समिति गठित की गई। 18 दिन बीतने के बाद भी किसी एजेंसी से भ्रष्टाचार की जांच नहीं हुई हैं। सिंचाई विभाग में किसी तरह की चहल-पहल भी नहीं हैं।
किसी तरह का डर भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों के चेहरों पर नहीं दिख रहा हैं। जो भी अधिकारी नमामि गंगे योजना को देख रहे हैं, पूरी तरह से शांत हैं। किसी तरह का बयान देने से भी बच रहे हैं। नमामि गंगे योजना में कितना रुपया आया हैं? कितना किस मद् में खर्च हुआ हैं? इसकी डिटेल भी देने को तैयार नहीं हैं। नमामि गंगे परियोजना एक तरह से राज्यमंत्री दिनेश खटीक के उठाने के बाद खासी सुर्खियों में हैं।
हालांकि जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक और कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बीच काम का बटवारा हो गया हैं। आठ जनपदों का काम दिनेश खटीक को सौंपा गया हैं। इस्तीफा देने और इसके बाद चले ड्रामे के बाद आखिर जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के काम का बटवारा तो हो गया, लेकिन भ्रष्टाचार के जो सवाल अनुत्तरित हैं, उनका जवाब अभी नहीं मिला हैं।
…अब कार्रवाई का इंतजार
जनपद में नमामि गंगे योजना से काम चल रहा हैं। दो दर्जन से ज्यादा गांवों में पानी की टंकी का निर्माण कर घर-घर पानी आपूर्ति देने पर काम चल रहा हैं। इसमें भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इसमें पाइप लाइन घटिया दर्जे की बिछाई जा रही हैं। पानी की टंकी के निर्माण को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
इनकी जांच होती है तो इसमें बड़ा घालमेल संभव हो सकता हैं। इसको लेकर भी जलशक्ति मंत्री ने मुददा उठाया था। अब मंत्रालय का बटवारा हुआ है तो उसमें मेरठ दिनेश खटीक के हिस्से में आया हैं। अब देखना यह है कि जलशक्ति राज्य मंत्री भ्रष्टाचार की जांच कब तक कराते हैं। इसमें संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं या फिर नहीं।
इन सवालों का जवाब बाकी
- स्थानांतरण सत्र में भ्रष्टाचार होने की बात कही गई थी। इसकी अभी तक कोई जांच पड़ताल नहीं हुई।
- प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग पर बिना पूरी बात सुनी फोन काटकर अपमानित करने का आरोप लगा था, लेकिन वह भी सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव बने हुए हैं। उन्हें सरकार ने नहीं हटाया।
- नमामि गंगे परियोजना में भ्रष्टाचार होना बताया गया था। इसकी अन्य किसी एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई थी, इस पर सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया?