- आठ नवंबर को अहोई अष्टमी का व्रत रखना श्रेष्ठ
- संतान की दीर्घायु एवं रक्षा के लिए रखा जाता है अहोई माता का व्रत
जनवाणी ब्यूरो |
बिजनौर: संतान की दीर्घायु एवं रक्षा के लिए रखा जाने वाला व्रत अहोई अष्टमी इस वर्ष आठ नवंबर दिन रविवार को है। इस बार अहोई अष्टमी पर रवि पुष्य योग बन रहा है इससे संतान को विशेष आशीर्वाद मिलेगा।
धार्मिक संस्थान विष्णुलोक के ज्योतिषविद् पंडित ललित शर्मा ने बताया कि इस बार अहोई अष्टमी के व्रत को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस भ्रम को दूर करते हुए बताया कि अष्टमी तिथि आठ नवंबर 2020 को प्रात सात बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होकर नौ नवंबर को प्रात पांच बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी।
इस दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। इससे रवि पुष्य योग बन रहा है, जो कि संतान की लंबी आयु और उन्नति के लिए अति उत्तम है। अत: अहोई अष्टमी आठ नवंबर को ही करना श्रेष्ठ रहेगा। अहोई अष्टमी की पूजा का समय छ: बजकर दो मिनट से शाम छ: बजकर 57 मिनट तक श्रेष्ठ रहेगा।
अहोई अष्टमी के दिन माताएं अपनी संतान को दीर्घायु के लिए व्रत रखती है। इस व्रत के लिए महिलाएं शाम को तारों को देखकर अर्ध्य देकर ही व्रत का पारण करती है। इस व्रत में अहोई माता (माता पार्वती) की पूजा की जाती है। अहोई माता की विधि विधान से पूजा और कथा के बाद फल फूल मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है।