Friday, May 23, 2025
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अखिलेश यादव पहुंचे सिद्धार्थनगर, शोक परिवार से की मुलाकात

जनवाणी ब्यूरो |

लखनऊ: अखिलेश यादव ने सिद्धार्थनगर में कोडरा ग्रांट पहुंचकर पुलिस दबिश के दौरान 14 अप्रैल 2022 की रात पुलिस की गोली से हुई महिला की मृत्यु पर शोक संतप्त परिवार से भेंट की। उन्होंने परिवार को न्याय दिलाने के लिए उनका साथ देने का भरोसा दिलाया।

उन्होंने कहा मामले में पुलिस लीपापोती न कर सके इसके लिए इस घटना की जांच हाईकोर्ट के वर्तमान जज की निगरानी में होनी चाहिए। यह मसला वे विधानसभा में भी उठाएंगे। यह घटना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार ऐसी घटनाएं हो रही है। चंदौली में फांसी लगाने की कहानी पुलिस ने बनाई। ललितपुर में थाने में दारोगा द्वारा बलात्कार का आरोप है। प्रदेश की पुलिस फर्जी एनकाउंटर के लिए बदनाम है। हिरासत में कई मौतें हुई हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राज में गरीब की कमर महंगाई ने तोड़ दी है जबकि उद्योगपतियों की पौबारह है। खुदरा महंगाई के बाद थोक महंगाई दर 30 साल में सबसे ज्यादा बढ़ी है। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस के साथ परिवहन, खाने-पीने का सामान, आटा, तेल, बिजली के दामों में भारी वृद्धि होने से घरेलू अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। नोटबंदी और जीएसटी ने छोटे उद्योगों को बंदी के कगार पर पहले ही पहुंचा दिया है।

गेहूं की सरकारी खरीद की जगह उद्योगपतियों को गेहूं बिकवाने के पीछे भाजपा सरकार का इरादा है कि गरीब तक पूरा अनाज न पहुंचे। पांच बड़ी कम्पनियों ने किसानों से औने-पौने दाम पर गेहूं खरीद लिया। अब वे इसी गेहूं को मनमाने दाम पर बेचकर भारी मुनाफा कमाएंगे। मुफ्त राशन वितरण के नाम पर अब गरीबों को धोखा दिया जा रहा है। तमाम गरीबों को अपात्र बताकर उनसे वसूली की मुनादी की जा रही है। जब किसानों से गेहूं खरीदा तो उसकी कीमत 12 रुपये प्रति किलो थी और अब राशन कार्ड के बहाने लोगों से रूपये 24 प्रति किलो की दर से वसूली होनी है। गेहूं है नहीं लिए राशन से गेहूं हटा दिया गया।

भाजपा सरकार को महंगाई, गरीब की रोजी-रोटी की चिंता नहीं वह नफरत और परस्पर वैमनस्य की राजनीति के सहारे बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने की साजिश कर रही है। भाजपा महंगाई के सवाल से भाग रही है। समाज में भाईचारा मजबूत करने के बजाए भाजपा-आरएसएस समाज को बांटने की साजिश करने में लगी है। भाजपा चाहती है कि ज्ञानवापी के मामले में नौजवान उलझे रहें। उन्हें रोजगार के बारे में जवाब न देना पड़े। विकास के लिए शांति-सौहार्द की जरूरत होती है। चूंकि भाजपा को विकास में कोई रुचि नहीं है इसलिए वह समाज में साम्प्रदायिकता का विषाक्त वातावरण पैदा करना चाहती है।

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