- नगर निगम की कान्हा गोशाला में मौजूद सभी पशुओं को किया वैक्सीनेट
- मामूली लक्षण वाले पशुओं को भी भेजा जा रहा ट्रामा सेंटर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पिछले कुछ दिनों से दुधारू पशुओं में लंपी डिजीज बीमारी देखी जा रही है। हालांकि इसको लेकर पशु कल्याण विभाग ने सार्थक कदम उठाते हुए ऐसे पशुओं का वैक्सीनेशन करना शुरू कर दिया है। जिनमें इसके लक्षण देखे जा रहे है। वहीं नगर निगम ने भी कान्हा गोशाला में मौजूद सभी पशुओं का टीकारण करा दिया है। इसके साथ ही जिन पशुओं में लंपी डिजीज के मामूली लक्षण भी पाए जा रहे है उन्हें सीधा निगम पशुओं के लिए बने ट्रामा सेंटर भेज रहा है।
नगर निगम की गोशाला में इस समय कुल 918 पशु हैं। इनमे बड़ी संख्या में ऐसे पशु शामिल है। जिन्हें सड़कों पर आवारा घूमते हुए पकड़ा गया है। वहीं निगम की गोशाला में इस समय महज 600 पशुओं के रखने की व्यवस्था है, लेकिन वहां मौजूद पशुओं की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। निगम पशु को लंपी डिजीज से बचाने के लिए सभी तरह की सावधानी बरत रहा है।
ऐसा कोई भी पशु जिसमें लंपी डिजीज जैसे लक्षण पाए जा रहे है उसे तुरंत ही पशु ट्रामा सेंटर भेजा जा रहा है। वहीं यदि कोई व्यक्ति अपने पशु को लंपी पाक्स के लक्षण दिखाई देने पर गोशाला में लेकर पहुंच रहा है तो उसे बाहर से ही वापस भेजा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी भी पशु में लंपी डिजीज वायरस मिलता है तो उससे अन्य पशुओं में भी इसके फैलने का खतरा है।
इसी लिए निगम यह सावधानी बरत रहा है। निगम की गोशाला में दूध देने वाले पशुओं की संख्या भी अच्छी खासी है। ऐसे में इन पशुओं के लिए निगम कर्मचारी अलग से सावधानी बरत रहे है। निगम की कान्हा गोशाला में दुधारू पशुओं को अलग रखा जा रहा है जबकि जो पशु कुछ समय में ही बच्चे देने वाले है
उनको अलग रखा जा रहा है। ऐसा इसलिए कि यदि किसी पशु में लंपी डिजीज वायर की वजह से बीमारी फैलती है तो उससे किसी दूसरे पशु खासकर जो पशु दूध दे रहे है या जो बच्चे देने वाले है उनको बचाया जा सके। निगम के कर्मचारी पूरे दिन पशुओं की देखभाल में जुटे है जिस वजह से यहां अभी तक एक भी पशु लंपी डिजीज का शिकार नहीं हुआ है।
कान्हा गोशाला में रखे गए सभी पशुओं को बीमारी से बचाने की जिम्मेदारी निगम की है। ऐसे में सभी तरह के उपाए किए जा रहे हैं। जिसने इन पशुओं को लंपी डिजीज से बचाया जा सके। वहीं एक भी पशु ऐसा नहीं है जिसे वैक्सीन न दी गई हो, आगे भी इसी तरह की सावधानी बरती जाती रहेगी।
-डा. हरपाल सिंह, नगर पशु चिकित्सा अधिकारी।