Saturday, January 4, 2025
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मैं लोगों की कम अपने दिल की ज्यादा सुनती हूं-अनुष्का शर्मा


एसएस

1 मई, 1988 को अयोध्या में आशिमा शर्मा तथा कर्नल अजय कुमार शर्मा की बेटी के रूप में जन्मी फिल्म एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने अपने फिल्म कैरियर की शुरुआत आदित्य चोपड़ा की फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ (2008) के साथ की थी। इसमें वह शाहरुख के अपोजिट लीड एक्ट्रेस थीं। उनकी यह फिल्म बॉक्स आॅफिस पर जबर्दस्त हिट साबित हुई थी।
‘जब तक है जान’ (2011) में अनुष्का शर्मा को यश चोपड़ा के निर्देशन में काम करने का अवसर मिला। राजकुमार हीरानी की फिल्म ‘पीके’ (2014) में वह आमिर खान की हीराइन बनीं। ‘सुल्तान’ (2016) में वह सलमान के अपोजिट थीं। उनकी ये सारी फिल्में बॉक्स आॅफिस पर जबर्दस्त हिट साबित हुर्इं।  32 की हो चुकीं अनुष्का शर्मा ने ‘एनएच 10’ (2015) के द्वारा फिल्म निर्माण में कदम रखा और यहां भी उन्हें अच्छी खासी सफलता हासिल हुई। ‘एनएच 10’ के बाद अनुष्का अब तक ‘फिल्लोरी’ (2015) और ‘परी’ (2017) जैसी फिल्में बना चुकी हैं। एक लंबे रोमांस के बाद अनुष्का शर्मा ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली के साथ, 2017 में शादी की और अब वह उनके बच्चे की मां बनने वाली हैं।
अनुष्का शर्मा, इस साल प्रदर्शित ‘अंग्रेजी मीडियम’ के एक स्पेशल सांग में नजर आई थीं। एक लीड एक्ट्रेस के तौर पर वह आखिरी बार 2018 में प्रदर्शित ‘जीरो’ में शाहरुख के अपोजिट नजर आई थीं। अनुष्का शर्मा ने भले ही एक्टिंग से ब्रेक ले लिया हो लेकिन वह वेब सिरीज और फिल्मों के निर्माण में पहले से ज्यादा सक्रिय हैं। अमेजन प्राइम पर, उनकी पिछली सीरीज ‘पाताल लोक’ की सफलता के कुछ ही हफ्तों बाद नेटफ्लिक्स पर दूसरी वेब सिरीज ‘बुलबुल’ आॅन स्ट्रीम हुई। प्रस्तुत हैं अनुष्का शर्मा के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश:
‘पाताल लोक’ के बाद ‘बुलबुल’ से आॅडियंस को बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं लेकिन इसने उन्हें निराश किया?
-इसका निर्माण मैंने अपने भाई कर्णेश के साथ मिलकर किया था। इसका निर्देशन अन्विता दत्ता ने किया था। एक एक्ट्रेस होने के बावजूद मैंने इसमें कोई किरदार नहीं निभाया, क्योंकि हम चाहते थे कि बतौर मेकर इस पर ज्यादा से ज्यादा कंसंट्रेट कर सकें और हमने ऐसा किया भी। मैं मानती हूं कि इसे ‘पाताल लोक’ जितनी कामयाबी नहीं मिली लेकिन हर बार यह संभव भी तो नहीं है।
‘पाताल लोक’ तल्ख सोशियो पॉलिटिकल सच्चाई पर आधारित वेब सिरीज थी जबकि ‘बुलबुल’ एक बालिका वधू जो एक आत्मघाती महिला बन जाती है, की कहानी पर आधरित थी। हर बार नए-नए सब्जेक्ट कहां से ढूंढ कर लाती हैं?
-निश्चित ही हर बार एक नया सब्जेक्ट सिलेक्ट करना काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है। मेरी कोशिश होती है कि मैं हर बार ऐसा सब्जेक्ट चुनूं, जिसे पहले किसी ने पहले न छुआ हो। यह मुश्किल भरा होने के साथ ही साथ जोखिमपूर्ण भी होता है जैसे कि ‘पाताल लोक’ जबर्दस्त सफल होने के बावजूद उसका विरोध भी खूब हुआ। वह आज की पॉलिटिक्स की हकीकत को बयान करती थी, इसलिए उसे बैन करने की मांग भी उठी थी लेकिन आॅडियंस द्वारा मिले समर्थन के कारण उसे बैन करने की मांग बेअसर ही साबित हुई।
पूर्व महिला क्रिकेट कप्तान झूलन गोस्वामी की बायोपिक में आप उनका किरदार निभाने वाली थी। उस फिल्म का क्या हुआ?
-कोरोना महामारी के कारण काफी प्रोजेक्ट फिलहाल ठंडे बस्ते में हैं। उनमें ंसे एक यह भी है।  हम सभी को बस हालात सामान्य होने का इंतजार है।
एक्टिंग में आपकी गाड़ी क्या खूब चल रही थी। इसके बावजूद आपने प्रोडयूसर बनने का निर्णय लेकर बेकार का सिर दर्द क्यों मोल लिया?
-मैं हमेशा कुछ नया करना चाहती थी और मुझे लगता है कि मेरी इसी दृढ़ता की वजह से ही आज मैं इस मुकाम पर हूं। मैं उस वक्त सिर्फ 25 साल की थी। फिल्म बनाने का मुझे कोई तजुर्बा और नोलेज नहीं थी। इसके बावजूद मैं प्रोडयूसर बनीं और मुझे कामयाबी भी मिली। उस वक्त अनेक नजदीकी लोगों ने मुझे प्रोडक्शन में आने से मना किया था लेकिन मैंने किसी की न मानी और सिर्फ अपने दिल की सुनी। मैं शुरू से ऐसी ही हूं। लोगों की कम और अपने दिल की ज्यादा सुनती हूं।

 


फीचर डेस्क Dainik Janwani

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