Monday, July 1, 2024
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चूड़ी के कारोबार से जुड़े परिवारों के घर का चराग कैसे होगा रोशन

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  • वैश्विक कोरोना महामारी का असर चूड़ी उद्योग पर
  • बंदी के कगार पर पहुंच रहे चूड़ी उद्योग

जनवाणी संवाददाता |

मोदीपुरम: वैश्विक कोरोना महामारी का प्रकोप का असर अब उद्योग-धंधों पर भी दिखाई देने लगा है। उद्योग-धंधे भी चौपट होने की कगार पर पहुंच गए है। अगर पिछले चार महीने के कारोबार पर निगाह डाली जाए तो इस कारोबार को बेहद नुकसान का सामना करना पड़ा।

वेस्ट यूपी में चूड़ी के कारोबार के लिए अपनी पहचान बनाने वाला लावड़ कस्बे के इस उद्योग को कोरोना महामारी का दंश झेलना भी पड़ रहा है। इस उद्योग से यहां सैकड़ों परिवारों के चराग रोशन होते थे, लेकिन इस कोरोना महामारी में इन घरों के चराग बुझते हुए नजर आ रहे हैं।

चूड़ी उद्योग को पिछले 10 वर्षों से लगातार विकास के पंख लग रहे थे, लेकिन अब इन पंखों पर भी ग्रहण लगता नजरआ रहा है। क्योकि नवरात्र, दीपावली आदि त्योहारों का आयोजन होना है।

इन त्योहारों पर चूड़ी की डिमांड दो से तीन माह पूर्व आने लगती थी, लेकिन इस बार आर्डर तक नहीं आए है। चूड़ी के कारोबार से कस्बे के 100 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, लेकिन अब इनकी रोजी-रोटी के लाले पड़ने लगे हैं।

दयनीय स्थिति में पहुंचा उद्योग

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चूड़ी उद्योग से ज़ुड़े राजा चृूड़ी सेंटर के मालिक जावेद हुसैन का कहना है कि अब तक चूड़ी उद्योग ठीक स्थिति में चल रहा था, लेकिन जैसे-जैसे कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ गया। ऐसे में यह उद्योग बंदी के गार पर पहुंच गया। इस कारोबार से सैकड़ों पविारों के घर का चूल्हा जलता था, लेकिन अब चूल्हा बुझता हुआ नजर आ रहा है।

सरकार का ही सहारा

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कस्बा निवासी सलीम, वहाब, आसिफ आदि का कहना है कि इस कोरोना महामारी के प्रकोप में अब सिर्फ सहारा सरकार से ही है। अगर सरकार इस उद्योग को सब्सिडी, लोन आदि का सहारा लगा देगी तो फिर से इन घरों के चराग रोशन हो जाए, लेकिन ये चराग तभी रोशन होंगे। जब सरकार की मदद मिलेगी।

बंदी की कगार पर पहुंच जाएगा चूड़ी उद्योग

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चूड़ी उद्योग से जुड़े इन दुकानदारों का कहना है कि वैश्विक कोरोना महामारी ने चूड़ी उद्योग को बंदी के कगार पर पहुंचा दिया है।

चूड़ी उद्योग विक्रेता सलीम, जावेद हुसैन, आसिफ का कहना है कि अगर सरकार सब्सिडी लोन दे तो चूड़ी उद्योग को पंख लग सकते हैं, अन्यथा चूड़ी उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच जाएगा। जिसके चलते इस उद्योग से जुड़े लगभग 100 परिवारों के घर के चराग बुझ जाएंगे।

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