- शाम को प्रथम दौर की वार्ता हुई विफल, एडीएम सिटी बृजेश सिंह वापस लौटे
- विधायक के कलक्ट्रेट पहुंचने पर पुलिस से झड़प के बाद माइक और भट्ठी शुरू
- अधिवक्ताओं के साथ भीम आर्मी, आम आमी पार्टी, आजाद अधिकार सेना समेत कई ने दिया समर्थन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सपा विधायक अतुल प्रधान द्वारा कलक्ट्रेट में सोमवार से आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा को लेकर सुबह से ही सपा के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता कलक्ट्रेट पहुंचने शुरू हो गए। उन्होंने प्रचार सामग्री एवं होर्डिंग लगवाने शुरू किए तो पुलिस ने प्रचार सामग्री को बलपूर्वक हटवा दिया। इतना ही नहीं माइक भी बंद करा दिया।
साथ ही आमरण अनशन पर पहुंचने वाले समर्थकों के लिए भोजन को भट्ठी आदि चलाने की व्यवस्था की थी, पुलिस ने उसे भी नहीं चलने दिया। दोपहर करीब एक बजे अतुल प्रधान जैसे ही सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंचे तो कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ गया। उन्होंने छोटे माइक से मंच संचालन शुरू किया तो पुलिस ने उसे रोक दिया।
जिसके बाद सपा कार्यकर्ता बेकाबू हो गए पुलिस कर्मियों से उलझ गए। जिसके बाद समर्थकों को शांत कर अतुल प्रधान ने पुलिस से मोर्चा संभाला और वहां पर भोजन की भट्ठी शुरू कराई। लाउडस्पीकर भी चलवाया, जिसके बाद पुलिस कर्मी बिना अनुमति के लाउडस्पीकर शुरू कराने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए भीड़ के बीच से हट गए। सोमवार को धरना स्थल पर सपा के जिलाध्यक्ष भी दिखाई दिए व आदिल चौधरी एवं कुछ पार्षदों के साथ धरना स्थल पर पहुंचे। उधर आजाद अधिकार सेना के साथ ही कुछ अधिवक्ताओं ने भी समर्थन दिया।
इस दौरान सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, नोएडा, गौतमबुद्धनगर, कानपुर समेत कई जनपदों से अतुल समर्थक एवं कई संगठनों के लोग कलक्ट्रेट ट्रैक्टर ट्राली व कार के साथ अन्य वाहनों से पहुंचे। शाम को अतुल प्रधान से प्रथम दौर की वार्ता के लिए करीब साढेÞ तीन बजे एडीएम सिटी बृजेश सिंह पहुंचे। जिसमें वार्ता विफल होने पर वह वापस लौट गए। जिसके बाद कुछ समर्थक वहां से चले गए और अधिकतर वहीं पर डेरा डालकर बैठ गए।
अतुल प्रधान ने जो मांग पत्र सौंपा, उसकी प्रमुख मांगे
डाक्टर की फीस 200 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। ज्यादा एमआरपी की जगह डाक्टर को सस्ती दवाई लिखनी चाहिए। अपने निजी स्टोर से दवाई खरीदने के लिए मरीज को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। अवैध अस्पताल एवं अवैध लैबों की जांच कराकर उन पर कार्रवाई होनी होनी चाहिए। सुरक्षा के नाम पर रखे जाने वाले बाउंसरों को हटवाया जाए। अस्पताल में कमरे के रेट गरीब, किसान मजदूर के हिसाब से कम रेट रखा जाए।
एक बार परामर्श शु:ल्क कई दिनों के लिए मान्य होना चाहिए। आयुष्मान योजना के अंतर्गत लोगों का उचित इलाज कराया जाये ओर योजना के फर्जीवाडे पर रोक लगनी चाहिए। आईसीयू, आईसीसीयू, एनआईसीयू में मरीज को भर्ती कराया जाता है, उसका रेट कम से कम रखा जाए। डिग्री के नाम पर आपरेशन करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पिछले कई वर्षों से अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले अस्पतालों की जांच कर कार्रवाई होनी चाहिए। कुछ डाक्टरों के द्वारा अपनी कंपनी बनाकर दवाई के मूल्य मनमाने तय कर रखे जा रहे हैं।
…लेकिन बड़े नाम रहे नदारद
आमरण अनशन में जो दिखाई नहीं दिए, उसमें सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजपाल चौधरी, रफीक अंसारी, हाजी शाहिद मंजूर, गुलाम मोहम्मद समेत सपा के कई ऐसे दिग्गज नेता हैं, जोकि देर शाम तक धरनास्थल पर दिखाई नहीं दिए।
सोशल मीडिया पर छाया मामला
सपा विधायक अतुल प्रधान के द्वारा कुछ अस्पतालों को लूट के अड्डे बताने एवं उन पर कार्रवाई की मांग को लेकर जो आंदोलन शुरू किया गया। यह मामला सोशल मीडिया पर पूरी तरह से छाया रहा। जिसमें फेसबुक, वाट्सऐप पर यह मामला छाया रहा। कुछ लोगों का कहना है कि न्यूटिमा में सत्ताधारी पार्टी के एक नेता का पैसा लगा है। जिसके चलते कार्रवाई नहीं हो पा रही है। उसके उलट कुछ का कहना है कि सपा विधायक अतुल प्रधान को अपनी विधान सभा क्षेत्र की समस्याओं से सरोकार नहीं है, वह मेरठ में आंदोलन कर रहे हैं।