- कमिश्नर और डीएम के निर्देश पर एसडीएम और तहसीलदार नीलामी रुकवाने के लिए गांधी आश्रम पहुंचे, समिति मंत्री पर भड़के अफसर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जेबी कृपलानी ने क्रांतिधरा पर गांधी आश्रम की 1920 में स्थापना की थी। जो वर्तमान में राष्टÑपिता महात्मा गांधी की धरोहर के रूप में क्रांतिधरा पर मौजूदगी का अहसास करा रही हैं, लेकिन फिलहाल गांधी आश्रम भू-माफिया के ‘चक्रव्यूह’ में फंसा है, जिसे प्रशासन भी समझता है और शहर के लोग भी। माफिया की निडरता तो देखिये कि सोमवार को इसकी नीलामी के लिए बोली लगाने के लिए पहुंच गए।
शुक्र है डीएम दीपक मीणा का, जो माफियाओं के इरादे समझते हुए उन्होंने एसडीएम और तहसीलदार की अगुवाई में एक टीम गढ़ रोड स्थित गांधी आश्रम में भेजी और राष्टÑीय धरोहर गांधी आश्रम की जमीन को नीलाम होने से बचा लिया। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने भी नोटिस जारी कर नीलामी को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए गांधी आश्रम की बिल्डिंग पर नोटिस चस्पा कर दिया। तीन घंटे तक गांधी आश्रम की भूमि गहमा-गहमी का गवाह बन गई।
यह वहीं भूमि है, जहां पर देश आजादी के लिए अग्रेजों के खिलाफ मीटिंग हुआ करती थी, लेकिन दुर्भाग्य देखिये अब उसी भूमि की नीलामी करने का षड्यंत्र चल रहा हैं। आखिर इस षडयंत्र में शामिल लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट जैसी कार्रवाई प्रशासन क्यों नहीं कर रहा हैं?
यह पहली मर्ताबा नहीं हुआ, बल्कि दो बार इससे पहले भी गांधी आश्रम समिति की तरफ से जमीन को लीज पर भू-माफियाओं को देने के लिए डीड पर हस्ताक्षर कर दिये गए थे। इसमें प्रशासन हस्ताक्षेप नहीं करता तो करीब एक अरब से ज्यादा की सम्पत्ति कभी की माफियाओं के कब्जे में होती।
दरअसल, सोमवार को जिस तेजी के साथ घटनाक्रम चला, फिर नीलामी के बीच प्रशासनिक अधिकारी कूदे तो गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारी भी बैकफुट पर आ गए। नौ बीघा जमीन नीलामी करने की बात से इनकार करने लगे। हालांकि जमीन नीलामी की प्रक्रिया गांधी आश्रम के एक आवासीय बंद कमरे में चल रही थी, जिसकी तस्वीरें ‘जनवाणी’ फोटो जर्नलिस्ट ने कैमरे में कैद कर ली।
मीडिया की एंट्री होने के बाद गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारी हड़बड़ा गए। इसी बीच नीलामी को रुकवाने के लिए कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और डीएम दीपक मीणा के निर्देश पर तहसीलदार राधेश्याम गौड़ अपनी तहसील की टीम को लेकर गांधी आश्रम में पहुंचे तथा खादी ग्रामोद्योग के निदेशक राजेश श्रीवास्तव से मिले तथा नीलामी को रुकवाने के लिए कहा, थोड़ी देर बाद नौचंदी थाना पुलिस भी पहुंची।
नीलामी बंद कमरे में चल रही थी, लेकिन तहसीलदार और खादीग्रामोद्योग के निदेशक आश्रम के आॅफिस में गांधी आश्रम समिति के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत को तलाशते रहे। करीब बीस मिनट बाद टीम रावत के आवास पर पहुंची, जहां से पृथ्वी सिंह रावत बाहर आये और खादी ग्रामोद्योग निदेशक राजेश श्रीवास्तव के साथ उलझ गए। डिप्टी डायरेक्टर दीक्षित से भी मुंह-भाषा हो गई।
तहसीलदार ने तभी गांधी आश्रम समिति के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत से पूछ लिया कि क्या जमीन की नीलामी की सोमवार को डेट थी। कितनी जमीन को नीलाम किया जा रहा हैं? बोली लगाने वाले कौन हैं और कहां है..बताओ। आश्रम मंत्री रावत ने जवाब दिया कि नीलामी तो थी, मगर सोमवार को नहीं हुई हैं। यह नीलामी लखनऊ आॅफिस के आदेश पर की जा रही थी। इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
इस तरह से आश्रम मंत्री अपनी सफाई देते रहे, जिसके बाद तहसीलदार नाराज हो गए तथा खादी ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक राजेश श्रीवास्तव से कहा कि जमीन की नीलामी नहीं हो, इसके लिए नोटिस बिल्डिंग पर चस्पा कर दे तथा एक नोटिस आश्रम मंत्री पृथ्वी सिंह रावत को रिसीव करा दो। इस बीच यहां काफी गहमा-गहमी का माहौल पैदा हो गया। एक-दूसरे पर आयोग और आश्रम के पदाधिकारी भड़के भी, मगर यह पूरा ड्रामा देखकर तहसीलदार ने भी दो टूक कर दिया कि इसमें तब तक कोई नीलामी या फिर निर्माण नहीं होगा, जब तक डीएम स्तर से कोई आदेश नहीं हो जाता हैं।
वर्तमान में यथा स्थिति बनी रहेगी। इसी बीच एसडीएम संदीप भागिया भी गांधी आश्रम आॅफिस पहुंच गए। एसडीएम ने खादी ग्रामोद्योग के निदेशक राजेश श्रीवास्तव और गांधी आश्रम समिति के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत से बात कर उनका पक्ष जाना। एसडीएम ने इसके बाद दो टूक कह दिया कि 1920 के जमीन के बैनामे है तो वो दिखाओ…। खादी ग्रामोद्योग के क्या अधिकार हैं?
बायलॉज क्या कहता हैं? जमीन बेची जा सकती है या फिर नहीं? इसके आॅन रिकार्ड दस्तावेज दिखाये। इसके बाद एसडीएम ने उस जमीन को भी मौके पर पहुंचकर देखा, जिस ‘नौ’ बीघा जमीन की नीलामी की जा रही थी। एसडीएम खुद हैरान थे कि बेसकीमती जमीन को कोडियो के भाव बेचा जा रहा था, फिर यह तो राष्टÑीय धरोहर हैं। इसकी जांच पड़ताल करने के लिए तहसीलदार की अगुवाई में एक टीम दस्तावेज खंगालने में लगा दी गई।
…तो प्रशासन की मौजूदगी में फाड़ दिया चस्पा नोटिस
तहसीलदार राधेश्याम गौड़ अपनी मौजूदगी में गांधी आश्रम की नौ बीघा जमीन की नीलामी रोकने के लिए खादी ग्रामोद्योग के कर्मचारियों से आश्रम के आॅफिस की बिल्डिंग पर नोटिस चस्पा कर रहे थे, तभी गांधी आश्रम समिति के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत पहुंचे तथा बिल्डिंग पर चस्पा नोटिस को फाड़ दिया। यह देखकर तहसीलदार थोड़ा गरम भी हुए, लेकिन प्रशासन की तरफ से इसमें कोई मामला दर्ज नहीं किया। जिस नोटिस को गांधी आश्रम समिति के मंत्री ने फाड़ा है, वह एक तरह से सरकारी नोटिस था, जिसे लाल बिल्डिंग पर चस्पा किया जा रहा था।
दरअसल, जिस समय तहसीलदार अपनी टीम को लेकर पहुंचे, तब लाल बिल्डिंग पर ताले लटके हुए थे। एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था। ऐसे में तहसीलदार ने कह दिया कि बिल्डिंग पर नोटिस चस्पा कर दो, तब नोटिस बिल्डिंग पर चस्पा किये गए थे। इसी बीच आश्रम समिति के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत पहुंचे और उन्होंने शोर मचाते हुए चस्पा नोटिस को फाड़ दिया। इसका वीडियो भी बना है, जो वायरल हो रहा हैं।
यह समिति मंत्री का दुस्साहस ही कहा जाएगा कि पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी में चस्पा नोटिस को भी फाड़ दिया। नोटिस फाड़ने की बात एसडीएम जब पहुंचे तो उनके सामने भी उठी, जिसके बाद एसडीएम भी नाराज हो गए तथा बोले कि खादी ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से चस्पा नोटिस को फाडने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए। एसडीएम ने तेवर दिखाये तथा फिर से बिल्डिंग पर अपनी मौजूदगी में नोटिस चस्पा करा दिये। तब एसडीएम यहां से लौटे।
बंद कमरे में चल रही थी जमीन की नीलामी प्रक्रिया
यदि जमीन नीलामी में कोई गलत नहीं किया जा रहा है तो फिर कलकत्ता के अखबार में ही नीलामी का विज्ञापन क्यों दिया गया? यही नहीं, नीलामी प्रक्रिया बंद कमरे में क्यों की जा रही थी? नीलामी तो ओपन हॉल में होनी चाहिए थी, फिर सेटिंग-गेटिंग का ही खेल क्यों चल रहा था? बोली लगाने वाले सभी एक ही ग्रुप के लोग शामिल थे।
ये बड़े सवाल हैं, जिनका जवाब तलाशने के लिए एसडीएम संदीप भागिया ने भी गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारियों से बातचीत की। एक दिन पहले ही कुछ लोगों ने राष्टÑीय धरोहर गांधी आश्रम की नौ बीघा जमीन की नीलामी को रोकने के लिए कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और डीएम दीपक मीणा से मिले थे। डीएम ने तहसीलदार राधेश्याम गौड की अगुवाई में एक टीम गांधी आश्रम गढ़ रोड पर भेजी। टीम ने आखिर गांधी आश्रम की जमीन की नीलामी होने से तो बचा ली। डीएम दीपक मीणा इस मामले में सख्त नजर आये तथा उनकी सूझ-बूझ से ही ये नीलामी रुक गई।
प्रशासन ने अनदेखी की होती तो शायद सोमवार को गांधी आश्रम की जमीन की नीलामी हो गई होती। क्योंकि बंद कमरे में नीलामी प्रक्रिया चल रही थी। आश्रम आॅफिस में भी कोई नहीं बैठा था, सुबह से ही ताले लटके हुए थे। तहसीलदार जब पहुंचे तो उन्हें नीलामी प्रक्रिया कहां हो रही हैं? यह नहीं पता चला। बंद कमरे में प्रक्रिया चली। इस मीटिंग में गांधी आश्रम काशीपुर के व्यवस्थापक दीनानाथ तिवारी, मुखराम भाई प्रबंधक समिति सदस्य, संजय सिंह लखनऊ आदि मौजूद थे। जब प्रशासनिक अफसरों की टीम पहुंची, ये उस दौरान भी बंद कमरे में ही बैठे हुए थे।
आयोग ने ये थमाया नोटिस
गांधी आश्रम की जमीन आयोग के पास बंधक हैं। इसकी बिक्री नहीं की जा सकती। इसकी बिक्री का समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित हुआ हैं, जिसके बाद खसरा संख्या 4736, 4737, 4738, 4739, 4740, 4741 की 9022 वर्ग गज भूमि को विक्रय करने के लिए निविदाएं समाचार पत्र में मांगी गई हैं। इसकी नीलामी गढ़ रोड गांधी आश्रम पर आॅडिट अनुभाग में होना बताया गया।
आयोग ने इस सम्पत्ति को आयोग के यहां बंधक बताते हुए इसके किसी तरह के विक्रय नहीं किया जा सकता। जो सम्पत्ति आश्रम की है, उसमें किसी तरह की गतिविधियां संचालित नहीं हो सकती। इस सम्पत्ति पर बिक्री पर कोई भी कार्मिशयल गतिविधियां संचालित नहीं की जा सकती है। यह पूर्ण रूप से खादी उददेश्यों के विपरीत हैं। अचल सम्पत्ति आयोग की बिना अनुमति के बिक्री नहीं की जा सकती। आश्रम द्वारा जो भी नीलामी प्रक्रिया की जा रही है, वह पूर्ण रूप से नियम विरुद्ध व गैर कानूनी हैं। इस प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की।