देश में कोरोना की दूसरी लहर ने बुरी तरह जकड़ रखा है। शहरों के बाद अब गांवों और कस्बों से भी कोरोना संक्रमण से जुड़ी खबरें आ रही हैं, जो चिंता का बड़ा कारण है। कोरोना की दूसरी लहर का ‘पीक’ कब आएगा और कब ये शांत होगी इस बारे में भिन्न-भिन्न विचार सामने आ रहे हैं। कुल मिलाकर चिकित्सा विज्ञान और वैज्ञानिकों के पास कोई ऐसी ठोस सूचना या जानकारी नहीं, जिससे ये पता चल सके कि कोरोना पर काबू कैसे और कब तक होगा। चिकित्सक, वैज्ञानिक और शोध कर्ता इस दिशा में दिन-रात प्रयासरत हैं, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लग पाई है। इन सब के बीच ये समाचार भी सामने आया है कि कोरोना की तीसरी लहर आना भी तय है। कोरोना की तीसरी लहर के खबर से पहले से चिंता में डूबे देशवासियों की परेशानी और बढ़ गई है। तीसरी लहर की बात किसी और ने नहीं बल्कि भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने इस बारे में देश को आगाह किया है। उनके कथनानुसार कोरोना की तीसरी लहर आना त है। राघवन ने ‘आसार’ या ‘संभावना’ शब्द प्रयोग नहीं किए, बल्कि यह भी चेतावनी दी कि तीसरी लहर बहुत तेजी से आ सकती है और उसे टाला नहीं जा सकता।
यह लहर कब आएगी, इसका निश्चित समय उन्होंने नहीं बताया। अलबत्ता विशेषज्ञ सितंबर-अक्तूबर का अनुमान लगा रहे हैं। समाचार का संचार होते ही देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चर्चाओं का दौर गर्म हो गया। इस बीच प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने अपने ताजा बयान में कहा कि सावधानी और सर्तकता से तीसरी लहर को काबू किया जा सकता है। मेडिकल जर्नल लांसेट में छपे संपादकीय में 1 अगस्त तक भारत में कोरोना से 10 लाख मौतें होने की संभावना जताई गई है। ब्रिटेन से निकलने वाली इस प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल में ‘इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मीट्रिक्स एंड इवेल्यूएशन’ के हवाले से आंकड़े लिए गए हैं।
संकट के इस दौर के बीच ही बंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस ने गणितीय आधार पर आकलन किया है कि 11 जून तक 4.4 लाख से ज्यादा मौतें हो सकती हैं। अभी तक मौतों का कुल आंकड़ा 2.30 लाख से अधिक है। यानी भारत में कोरोना से मौतें दुगुनी हो सकती हैं! बहरहाल अभी तो हम कोविड की दूसरी लहर के पीक की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का आकलन है कि मई के अंत में पीक की स्थिति आ सकती है और उसके बाद संक्रमण कम होना शुरू हो सकता है, लेकिन अब विशेषज्ञ लगभग सर्वसम्मत हैं कि यह कोविड के सामुदायिक संक्रमण का ही दौर है। संक्रमण गांवों तक फैल चुका है और अब तेजी से फैलने की मुद्रा में है। इन परिस्थितियों के बीच यह बात किसी से छिपी नहीं है कि छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात किसी से छिपे नहीं है। अभी जांच व इलाज शहरों और जिला मुख्यालयों तक ही सीमित है। गांवों में कोविड की टेस्टिंग भी नगण्य है। लोग अब भी जागरूक नहीं हैं। गुजरात के साणंद में जिस तरह हजारों महिलाओं की भीड़ ने सिर पर पानी से भरा घड़ा रखकर जुलूस निकाला और उस पानी को एक मंदिर पर चढ़ाया गया। कोविड प्रोटोकॉल का जमकर उल्लंघन किया गया। क्या ऐसी भीड़ के रहते हुए कोरोना की तीसरी लहर को थामा जा सकता है?
पंजाब में किसानों ने बिना मास्क और दो गज की दूरी बनाए किसान कानूनों पर विरोध-प्रदर्शन किया और कानूनों को कोविड से भी ज्यादा खतरनाक करार दिया, क्या ऐसी भीड़ संक्रमण को रोक सकती है? इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा अभी भी कोरोना को लेकर रत्ती भर भी सीरियस नहीं है। आज भी पुलिस और प्रशासन को लोगों को बिना वजह घर से न निकलने की सलाह दी जा रही है। मास्क न पहनने वालों के चालान काटे जा रह हैं। ऐसी स्थितियों में कोरोना की तीसरी, चौथी या कितनी लहरें आएंगी कोई डाक्टर या वैज्ञानिक शायद ही कभी बता पाए।
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर है। बड़ी संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में कोरोना के नये नये वेरिएंट्स ने चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मिला कोरोना वेरिएंट काफी संक्रमण फैला रहा है। कोरोना के इस वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन चिंतित है। इस मामले में कुछ वैज्ञानिकों का कहना है यह वेरिएंट काफी खतरनाक और तेजी से संक्रमण फैला सकता है। यह भी देवा है कि यह कोरोना वैक्सीन को भी बेअसर कर सकता है। जिस तरह से दूसरी लहर ने तांडव मचा रखा है, ऐसे में तीसरी लहर के बारे में सोचकर भी रूह कांप जाती है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या तीसरी लहर मौजूदा लहर से ज्यादा प्रचंड और जानलेवा साबित होगी?
एक विकल्प धुंधला-सा दिखाई देता है कि तीसरी लहर आने से पहले ही हम अधिकतम लोगों में टीकाकरण करें। लेकिन टीकों की भी भारी कमी है। वहीं इतनी बड़ी आबादी को टीका लगाने में काफी समय लगेगा। ऐसे में क्या विकल्प हमारे पास बचते हैं। देश के हर नागरिक को इस संकट काल में सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। पुलिस और प्रशासन के निर्देशों का गंभीरता से पालन करना होगा। बिना जरूरी काम के घर से बाहर नहीं निकलना। मास्क पहनना, सैनिटाइजर का प्रयोग करना और सामाजिक दूरी का पालन सख्ती से करना होगा। केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि वो जरूरतमंदों के भोजन, इलाज एवं आवास का प्रबंध सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर करे। नागरिकों की जीवन रक्षा राज्य की जिम्मेदारी में शामिल है।