Friday, August 1, 2025
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बुरे विचार

Amritvani 18


शिष्य कुछ चीजों के लिए परेशान था। उसकी सोच अजीब हो गई थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि उसे क्या करना चाहिए। ऐसे में उसे अपने गुरु ही ऐसे दिखाई दिए, जो कोई रास्ता दिखा सकते। वह अपने गुरु के पास गया और उनसे बोला, ‘मुझे कोई मार्ग नहीं सूझ रहा है। मैं हर समय उन चीजों के बारे में सोचता रहता हूं, जिनका निषेध किया गया है। मेरे मन में उन वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा होती रहती है, जो वर्जित हैं। मैं उन कार्यों को करने की योजनाएं बनाते रहता हूं, जिन्हें करना मेरे हित में नहीं होगा। मैं क्या करूं?’ जब शिष्य गुरु को अपनी व्यथा बता रहा था, तब गुरु बगीचे में खड़े थे। गुरु की सामने शिष्य की उद्विग्नता छुपी नहीं रह सकी थी। गुरु ने शिष्य को पास ही गमले में लगे एक पौधे को देखने के लिए कहा और पूछा कि वह क्या है। शिष्य के पास उत्तर नहीं था, क्योंकि वह उस पौधे के बारे में नहीं जानता था। जवाब गुरु ने ही दिया। ‘यह बैलाडोना का विषैला पौधा है। यदि तुम इसकी पत्तियों को खा लो तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। लेकिन इसे देखने मात्र से यह तुम्हारा कुछ अहित नहीं कर सकता। उसी प्रकार, अधोगति को ले जाने वाले विचार तुम्हें तब तक हानि नहीं पहुंचा सकते, जब तक तुम उनमें वास्तविक रूप से प्रवृत्त न हो जाओ।’ शिष्य ने गुरु को कृतज्ञ नजरों से देखा। उसके सामने सारी बात साफ हो गई थी। यह उस शिष्य की ही समस्या नहीं है। हर इंसान कभी-कभी ऐसा सोचता है। लेकिन जो उन्हें जिंदगी में नहीं लाता, उसका कुछ नहीं बिगड़ता। जो ले आता है, उसके लिए परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। इसलिए बुरे विचारों का दिमाग से झटक देने में भलाई है। ऐसा भी होता है कि बुरे विचारों को अमल में लाने की पूरी तैयारी कर ली जाती है, लेकिन अंत:करण उन्हें रोक देता है। यही आत्मा की आवाज है।


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