- प्रदेश के चार जनपदों बागपत, मुजफ्फरनगर, फर्रूखाबाद, मऊ से एक-एक ही आवेदन
- मेरठ व शामली सहित दस जनपदों में महज दो-दो आवेदन, शिक्षकों की राज्य पुरस्कार के लिए नहीं दिख रही रूचि
अमित पंवार |
बागपत: राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए नियमों की बेड़ियां मानी जाए या फिर शिक्षक उन मानकों को पूरा करने में सक्षम साबित नहीं हो पा रहे हैं, जो शासन ने इस बार तय कर दिए हैं। या उनकी रूचि आवेदन करने में कम है? कुछ भी कारण हो, लेकिन प्रभाव आवेदनों की संख्या पर साफ नजर आ रहा है। प्रदेश के बागपत सहित चार जनपद ऐसे हैं जहां एक-एक आवेदन शिक्षकों ने किए हैं, जबकि मेरठ व शामली सहित प्रदेश के दस जनपद ऐसे हैं जहां दो-दो आवेदन हुए हैं। सहारनपुर भी अछूता नहीं है वहां भी तीन आवेदन हुए हैं। शासन ने इस पर चिंता जाहिर की है और तिथि तक बढ़ा दी, लेकिन शिक्षकों की रूचि उस तरह से दिखाई नहीं दी जिस तरह से राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए आवेदन पर आवेदन आ जाते थे।
शिक्षक दिवस पर हर वर्ष प्रदेश के बेहतर काम करने वाले शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाता है। इसके लिए आनलाइन आवेदन किए जाते हैं। एक जनवरी से 15 फरवरी तक आॅनलाइन आवेदन मांगे गए थे, लेकिन 15 फरवरी तक आवेदन से शासन नाखुश नजर आया था, जिसके बाद इसकी तारीख तीन मार्च तक बढ़ा दी थी। सभी जनपदों के बीएसए को आवेदनों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उसका भी इतना लाभ नहीं हुआ। क्योंकि आवेदनों की संख्या में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है।
कुछ जनपदों में तो ज्यों की त्यों मिलेगी और कुछ में इक्का-दुक्का बढ़ सकती है। हालांकि वहां भी उम्मीद नहीं है। क्योंकि नियमों की बेड़ियों में शिक्षक इस तरह बंध गए हैं कि वह मानकों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। वह मानक पूरे करेंगे तो भी नहीं हो पाएंगे। क्योंकि स्कूलों में बच्चों की संख्या कहीं तो बेहद कम है और जहां संख्या है वहां अन्य नियम उनके आड़े आ रहे हैं। हालांकि तमाम स्कूल ऐसे भी हैं जहां छात्र संख्या भी अधिक है और शिक्षकों पर कार्रवाई तक नहीं हुई है, लेकिन शिक्षकों की रूचि उस ओर दिखाई नहीं दे रही है। शिक्षकों की रूचि का ही कारण है कि बागपत जैसे जनपद में महज एक ही आवेदन राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए आया है।
इसके अलावा मुजफ्फरनगर, फर्रूखाबाद, मऊ में भी एक-एक शिक्षक ने आवेदन किया है। दस जनपदों मेरठ, शामली, अलीगढ़, औरेया, बहराइच, एटा, फिरोजाबाद, महोबा, शाहजहांपुर व सोनभद्र में दो-दो आवेदन ही हुए हैं। 11 जनपदों सहारनपुर, बस्ती, चंदौली, इटावा, हमीरपुर, हापुड़, हाथरस, कौशांबी, मथुरा, मुरादाबाद, सीतापुर में भी महज तीन-तीन आवेदन हुए हैं। इस स्थिति को देखते हुए ही तारीख आगे बढ़ाई गई थी।
सवाल यह है कि जब डेढ़ माह के समय में ही आवेदन करने में रूचि नहीं दिखाई तो बाद में भी कैसे दिखा देंगे? उप शिक्षा निदेशक संजय कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है। इसमें सुधार किया जाए। अब देखना यह है कि शासन तारीख बढ़ाता है या फिर जो आवेदन आए हैं उनमें से ही चयन करेगा? इसके अलावा देखा जाए तो शिक्षकों में रूचि भी कम दिखाई दी है। सवाल यह है कि आखिर शिक्षक रूचि क्यों कम ले रहे हैं? जहां मानक पूरे हैं वहां के शिक्षकों ने इसमें रूचि नहीं ली है।
यह है मानक
राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए तमाम नियम तय किए गए हैं। उन नियमों पर खरा उतरने वाले शिक्षक ही आवेदन कर पाएंगे, लेकिन यहां तो रूचि बेहद कम नजर आ रही है। अगर नियमों की बात की जाए तो शिक्षक के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, शिक्षक ट्यूशन न पढ़ाता हो, शिक्षक 15 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुका हो, प्राथमिक विद्यालय में छात्र संख्या न्यूनतम 150, उच्च प्राथमिक विद्यालय में 105, संविलयन विद्यालय में 255 होनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त विद्यालय के विद्यार्थियों का नवोदय विद्यालय व विद्या ज्ञान में चयन होने के भी अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। सवाल यह है कि क्या शिक्षक इन मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। कुछ शिक्षक ऐसे अवश्य मिल जाएंगे, लेकिन उनकी भी रूचि आवेदन में नहीं दिखी।