छोटे बच्चों व युवाओं तक के व्यवहार पर पड़ रहा था बुरा असर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भारत सरकार द्वारा बुधवार को पब्जी सहित 118 ऐप पर बैन लगा दिया गया। जिसके पश्चात सोशल मीडिया पर अनेकों प्रकार की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
एक तरफ जहां पब्जी गेम खेलने वाले लोगों में मायूसी है। वहीं अन्य लोगों में इस बात की खुशी है। सबसे ज्यादा खुशी अभिभावकों में देखने को मिल रही है। अभिभावकों की मानें तो पब्जी जैसे गेमों की वजह से बच्चों का व्यवहार बदल रहा था। छात्र-छात्राओं ने कहा कि इस गेम के वजह से उनके काफी दोस्त पहले की तरह उनसे बात भी नहीं करते है और उनके व्यवहार में भी काफी चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है।
वैसे तो यह एक गेम था, लेकिन जिस तरह से दोस्त बर्ताव करते थे ऐसा लगता था, शायद सच में ही वह जिंदगी में जंग लड़ रहे हो। दरअसल टिकटॉक वीडियो एप की तरह ही पब्जी गेम भी युवाओं के दिल पर राज करने लगा था। जिसमें अधिकतर युवा पब्जी खेल कर ही अपना समय बिता रहे थे। इससे जहां युवाओं की आंखों पर असर देखने को मिल रहा था, वहीं उनकी पढ़ाई पर भी इसका असर देखने को मिलता था।
मोदीपुरम निवासी अभिभावक विशाल भटनागर ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पब्जी सहित अन्य 118 चाइनीज एप्लीकेशन पर पाबन्दी लगाने का में स्वागत और सरकार का आभार व्यक्त करता हूं। इस गेम को बच्चों के साथ साथ बडे़ भी बहुत तल्लीनता के साथ खेलते थे और गेम का बुरा प्रभाव हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी पर पड़ रहा था। बच्चों और युवाओं में हिंसक प्रवृत्ति, उत्तेजना बढ़ रही थी। जिसका दूरगामी बुरा प्रभाव उनके व्यक्त्तिव, उनके व्यवहार और उनके स्वस्थ के साथ-साथ उनके परिवारिक और रिश्तों पर भी पड़ रहा था। इस गेम और अन्य एप्लिकेशन के माध्यम से चाइना भारत से बहुत मोटी कमाई के साथ यूथ को भटका रहा था। इस गेम के बंद होने से बहुत से बच्चे अवसाद से घिर गए है, अभिभावकों को उनको समझना और उनके साथ समय बिताना चाहिए बिना गैजेट्स की मदद से।
मेरठ कॉलेज की छात्रा वैशाली श्रीवास्तव ने कहा की पब्जी की वजह से बच्चो के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा था। साथ ही बड़े पैमाने पर लोग पब्जी के आदि हो रहे है जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है, साथ ही साथ पब्जी बच्चो की पढ़ाई को भी नुकसान पहुंचा रहा था। मोदी सरकार और ग्रह मंत्रालय का फैसला बहुत अच्छा है। हमें इस फैसले से बहुत खुशी है।
मेरठ कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शुभम मलिक का कहना है कि पब्जी बैन के सरकार के निर्णय से सभी सहमत हैं। पब्जी एकमात्र सीधा सीधा हमारे देश के युवा को भटकाने का मुख्य ऐप था। जिसकी वजह से हमारे देश का युवा लगातार फोन में लगा रहता था और पब्जी की वजह से दिन प्रतिदिन झगड़े भी बन जाते थे। सरकार का यह कदम कहीं ना कहीं युवाओं के भविष्य को सुधारने के लिए किया गया है और हमारे देश के चीन के साथ संबंध भी अच्छे नहीं हैं। इससे उनकी कहीं ना कहीं आर्थिक स्थिति को कमजोर करने में जो यह सभी ऐप बेन किए गए हैं।
सुभारती विश्वविद्यालय के छात्र एवं इकाई अध्यक्ष एबीवीपी सौरव गुर्जर का कहना है कि पब्जी बेन करने का भारत सरकार का निर्णय अत्यंत प्रसंसनीय है। सुरक्षा के लिए तो एक बड़ा कदम है ही साथ ही युवाओ को अवास्तविक दुनिया से बहार लाना तथा उनके मानसिक स्वास्थय की मजबूती की तरफ भी एक बड़ा कदम है।