Thursday, June 12, 2025
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तैयार रहिए, जीडीपी के और गोते के लिए…

  • आईआईए और चैंबर के पदाधिकारियों ने लॉकडाउन के बड़े साइड इफेक्ट की जतायी आशंका

जनवाणी संवाददाता

मेरठ: -23.9 फीसदी जीडीपी के गोता तो अभी शुरूआत भर है। अगली तिमाही की जो रिपोर्ट आनी है, उसमें जीडीपी के और गहरे गोते के लिए तैयार रहिए।

माह अप्रैल, मई व जून की पहली तिमाही की जीडीपी में बड़ी गिरावट से आईआईए और चैंबर के बड़े पदाधिकारी बिल्कुल भी अचंभित नहीं है। उनका कहना है कि इसका संकेत काफी पहले मिल चुका था, लेकिन बजाए जीडीपी की इस बड़ी गिरावट पर चर्चा में समय गंवाने के बेहतर ये होगा कि सरकार डेमेज कंट्रोल का प्रयास करे।

कोरोना की आड़ लेकर निकलना उचित नहीं है। यही वक्त है केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक और दूसरे अन्य बैंक सामूहिक प्रयास करें ताकि अगली तिमाही में आने वाले नतीजों से जीडीपी की गिरावट से बाजार को होने वाले होने वाले बड़े संभावित नुकसान को कम किया जा सके, लेकिन यदि ऐसा नहीं किया तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान असंठित क्षेत्र के छोटे कारोबारियों को होगा।

इसके अलावा छोटे व मंझोले उद्यमियों को भी विपरीत हालात का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जीडीपी में बड़ी गिरावट कई छोटे उद्योगों में तालाबंदी के हालात पैदा कर देगी।

अभी तो नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना के साइड इफेक्ट से उभर भी नहीं पाए हैं यदि अगली तिमाही में जैसी की आशंका जतायी जा रही है यदि बड़ी गिरावट दर्ज हुई तो कम से कम एक साल के लिए बाजार में बड़ा स्लो डाउन आ सकता है।

इसलिए जरूरी है कि सरकार, रिजर्व बैंक व वो बैंक जिनसे उद्यमियों ने कर्जा लिया है वो मिलकर संयुक्त प्रयास करें ताकि आने वाले खतरे को कुछ कम किया जा सके। हालांकि कुछ का कहना है कि जीडीपी की गिरावट जो दिखाई जा रही है उससे कहीं ज्यादा है। जीडीपी की अवस्था का अंदाजा डिमांड व सप्लाई से लगाया जा सकता है। न डिमांड है न ही सप्लाई है। बाजार की रौनक गायब है।

त्योहारी सीजन में भी बाजार उभर नहीं पा रहा है। इस हालात से उबरने के लिए सरकार को तत्काल अपने तमाम प्रोजेक्ट शुरू करने चाहिए। इनसे बाजार में डिमांड व स्लाई के हालात पैदा होंगे।

-23.9 फीसदी जीडीपी के आंकड़ों पर जनवाणी संवाददाता ने इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व चैंबर के कुछ बड़े पदाधिकारियों से चर्चा की है।

बड़े गोते के पूरे आसार

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नेशनल चेयरमैन पंकज गुप्ता, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन पंकज गुप्ता का कहना है कि अगली तिमाही में जीडीपी और भी बड़ा गोता खाएगी। -23.9 फीसदी की जो गिरावट दर्ज हुई है, इसकी आशंका काफी पहले से जतायी जा रही थी, लेकिन चिंता इस बात की है जो आगामी तिमाही है उसमें जीडीपी के बड़े गोते के पूरे आसार हैं।

इसका असली कारण लंबा लॉकडाउन लगाया जाना है। इसका मैन्यूफेक्चरिंग पर सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ा है। एमएसएमई सेक्टर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा।

पंकज गुप्ता इस मामले में लॉकडाउन को बड़ा विलेन मानते हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से वो तमाम सेक्टर बंद हैं, जिनसे रेवेन्यू जैनरेट होता है। प्राइवेट और सरकारी दोनों ही सेक्टर में काम बंद है ऐसे में जीडीपी का ग्राफ तो गिरना है।

कोविड-19 है गिरावट की वजह

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चेयरमैन अनुराग अग्रवाल, आईआईए के मेरठ चैप्टर

आईआईए के मेरठ चैप्टर के चेयरमैन अनुराग अग्रवाल जीडीपी में माइन्स अंकों की गिरावट के लिए कोरोना को जिम्मेदार मानते हैं। उनका यह भी कहना है कि इसकी पहले से आशंका थी। दरअसल लंबे लॉकडाउन इसकी मुख्य वजह हैं।

दुनिया के तमाम देशों में लॉकडाउन किया गया, लेकिन इतना लंबा नहीं जितना हमारे देश में चीन के यहां केवल दो माह का लॉकडाउन रहा। लंबे लॉकडाउन ने ग्रोथ रेट को खत्म कर दिया। इसके अलावा डिमांड पर बुरा असर पड़ रहा है। जब डिमांड ही नहीं होगी तो फिर मैन्यूफेक्चरिंग कहां से होगी।

अनुराग अग्रवाल बताते हैं कि एमएसएमई की बहुत से इकाइयां केवल 50 फीसदी पर संचालित हो रही हैं। इससे लागत काफी बढ़ गयी है। साथ ही मार्जिन अब नहीं के बराबर रह गया है। इंडियन इंडस्ट्रीज खासतौर से एमएसएमई के लिहाज से पहले नोट बंदी, फिर जीएसटी और अब कोरोना को बड़ा झटका माना जा रहा है।

लंबे लॉकडाउन ने तोड़ दी कमर
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अध्यक्ष रवि प्रकाश अग्रवाल, यूपी चैंबर आफ कॉमर्स

यूपी चैंबर आफ कॉमर्स के अध्यक्ष रवि प्रकाश अग्रवाल जीडीपी में बड़ी गिरावट के पीछे लंबे लॉकडाउन के फैसले को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि जो नतीजे आए हैं यह पहली तिमाही के नतीजे हैं। जो अगली तिमाही है उसमें और भी बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है।

लंबे लॉकडाउन के फैसले से रवि प्रकाश अग्रवाल इत्तेफाक नहीं रखते। वो चेतावनी देते हैं कि यदि रिजर्व बैंक व दूसरे बैंकों ने आगे बढ़कर जोखिम मोल नहीं लिया। मसलम तमाम उद्योगों खासतौर से जिन्होंने लोन लिए हैं उनके लिए बड़े राहत पैकेजों का ऐलान नहीं किया तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। सरकार और वित्तीय संस्थानों को जीडीपी की अगली तिमाही के नतीजों का इंतजार नहीं करना चाहिए।

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